The News Air- (चंडीगढ़) पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए किसान संगठनों और आम आदमी पार्टी (AAP) के गठजोड़ में पेंच फंस गया है। एक तरफ़ किसान नेता पारंपरिक राजनीति के ठप्पे से सहम गए हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी चाहती है कि किसान नेता आज़ाद के बजाय उनके चुनाव चिन्ह पर लड़ें। इसको लेकर बात बनती नज़र नहीं आ रही है।
हालांकि आप और किसान संगठनों का संयुक्त समाज मोर्चा इस पर कुछ भी कहने से क़तरा रहा है। दोनों इस बात से इन्कार कर रहे हैं कि उनके बीच गठजोड़ को लेकर कोई बातचीत चल रही है। अगर ऐसा हुआ तो इसका बड़ा झटका आम आदमी पार्टी को ही लग सकता है।
दबाव बनाने के लिए कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी कर रही सरकार
आम आदमी पार्टी इस बार पंजाब में जीत के प्रति भरोसेमंद है। इसीलिए वह अकेले दम पर राजनीति में कूदने की तैयारी कर चुके हैं। आप अभी तक 98 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। ऐसे में गठजोड़ का इंतज़ार किए बगैर आप के इस क़दम को दबाव से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं, पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल का कहना है कि किसान संगठनों के संयुक्त समाज मोर्चा से गठजोड़ को लेकर कोई बात नहीं है। वह अपने उम्मीदवार मैदान में उतार रहे हैं।
इसलिए झाड़ू पर चुनाव चाहती है आप
आम आदमी पार्टी चाहती है कि किसानों के उम्मीदवार झाड़ू पर चुनाव लड़ें। इसकी बड़ी वजह यह है कि अगर कल को वह MLA बन जाते हैं तो पार्टी नहीं बदल पाएंगे। ऐसे में दलबदल क़ानून के तहत उनका MLA पद निरस्त हो सकता है। इसलिए आप को बग़ावत का डर नहीं रहेगा।
किसान AAP से लड़े तो बढ़ेगी उनकी मुश्किल
किसान संगठनों का संयुक्त समाज मोर्चा अगर आप से लड़ेगा तो उनकी मुश्किल बढ़ेगी। अभी तक किसान किसी राजनीतिक दल को अपनी स्टेज पर नहीं आने दे रहे थे। अगर ऐसे में वह आप से चुनाव लड़ते हैं तो उन पर सीधे सियासी मुहर लग जाएगी। वहीं, उनके आप से गठजोड़ को लेकर भी संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव सवाल उठा चुके हैं।
जो पहले आप में रह चुके हैं। हालांकि अगर किसान अकेले चुनाव लड़ते हैं तो उनकी जीत कितनी संभव हो सकेगी, इस पर भी सियासी मंथन हो रहा है। किसान मोर्चे के नेता बलबीर राजेवाल ने कहा कि अभी आप से गठजोड़ जैसी कोई बात नहीं है।
किसानों के चुनाव लड़ने से पंजाब का सियासी गणित
किसानों के चुनाव लड़ने का बड़ा असर पंजाब की ग्रामीण सीटों पर पड़ेगा। ख़ासकर, पंजाब की 117 में से 77 सीटों पर ज़्यादा असर दिखेगा, जहां किसान वोट बैंक प्रभावी है। ऐसे में गांवों की राजनीति करने वाले अकाली दल और कांग्रेस के साथ आप को भी नुक्सान झेलना पड़ेगा। गांवों में इसका असर कैप्टन अमरिंदर सिंह और भाजपा के गठजोड़ पर पड़ेगा लेकिन शहरों में यही बात कैप्टन-भाजपा गठजोड़ को फ़ायदा पहुंचा सकता है।