नई दिल्ली, 10 अप्रैल (The News Air) कुछ अलग करना हो, तो कई बार पुराने बने-बनाए ढांचे से निकलकर अलग तरह का काम करना पड़ता है। अभिनेता आर माधवन भी इस बात में यकीन रखते हैं। वह कहते हैं कि जो फिल्म लोगों की उम्मीदों और फिल्म इंडस्ट्री के नियमों के बारे में सोचकर बनाई जाएगी, वह कई बार फेल हो जाती है।
उन्होंने कहा कि पिछले 20 साल के सिनेमा पर नजर डालें, तो लगान, रंग दे बसंती, थ्री इडियट्स और तनु वेड्स मनु समेत कुछ फिल्मों में उस बने बनाए ढांचे को तोड़ा है। जब कोई कहानी कहनी है, तो वह भीतर से आनी चाहिए। कई बार फिल्म इंडस्ट्री के नियमों को फालो करने से लोग सफल होते हैं, लेकिन कई बार फेल भी होते हैं।
मैं खुद फिल्में बनाता हूं
आगे बोले कि मैं खुद फिल्में बनाता हूं, लेकिन वैसा व्यक्ति नहीं हूं, जो यह हिसाब-किताब लगाकर काम करता हो कि फलां एक्टर को फिल्म में ले लो, फलां चीज डाल दो, तो इतनी कमाई की गारंटी है। यह तरीका मेरे लिए काम नहीं करता है। कमर्शियल तौर पर मैं ऐसे नहीं सोचता हूं। मेरी फिल्म तनु वेड्स मनु पर जितने पैसे लगे थे, उससे ज्यादा कमाई फिल्म ने की थी। जबकि वह फिल्म वर्ल्ड कप के दौरान रिलीज हुई थी। फिर भी चली।
तनु वेड्स मनु हार्टलैंड की कहानी
माधवन ने कहा कि पहले रोमांस वाली फिल्में विदेश में जाकर महंगे कपड़े पहनकर शूट की जाती थी। लेकिन तनु वेड्स मनु हार्टलैंड की कहानी थी। उसने इस ढांचे को तोड़ा। मैंने खुद अपने गृहनगर में तनु जैसी राकस्टार लड़कियां देखी हैं। ऐसी कहानियों को हिंदी सिनेमा में कम ही दिखाया जाता था। उसके बाद हार्टलैंड पर छोटे शहरों पर कई कहानियां बनीं। अगर एक ही फार्मूले से चिपके रहते, तो इंडस्ट्री को वहां के किरदार कैसे मिलते।