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मोबाइल की लत, मोबाइल के जितने लाभ हैं, उतने ही इसके दुष्परिणाम भी है।

मोबाइल की लत लोगों की एक आदत और नशा बन चुकी है।

The News Air by The News Air
शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024
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मोबाइल की लत

मोबाइल की लत

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9 फरवरी (The News Air) – वर्तमान में हम अपने आसपास देख रहे हैं कि मोबाइल की लत लोगों की एक आदत और नशा बन चुकी है। मोबाइल की लत दिन-प्रतिदिन लोगों के जीवन को अपना शिकार बना रहे हैं। क्योंकि वर्तमान में व्यक्ति जब भी फ्री होता है, उस व्यक्ति को मोबाइल चलाना पसंद करता है। लेकिन पुराने जमाने में लोग मोबाइल की बजाय बाहरी दुनिया में अपना जीवन व्यतीत करते थे। आज के समय के बच्चे भी मोबाइल का शिकार होते जा रहे हैं। मोबाइल जीवन में अब शायद सांस लेने जितना जरूरी हो गया है। जिसके बिना हम जी नहीं सकते। मगर इसने और बहुत सारी चीजों को नुकसान पहुंचाया है। इनमें सबसे ऊपर है बढ़ता हुआ मोटापा और कमजोर होती मेंटल हेल्थ। हालांकि मोबाइल फोन ने हमारे जीवन को बहुत आसान बना दिया है। किसी से बात करनी हो, किसी से मिलने का मन हो तो वीडियो कॉल कर लो। बच्चों की क्लास भी आज कल फोन पर होती है। मतबल बहुत चीजें केवल फोन के माध्यम से अब संभव है। पर इसकी लत भी उतनी ही खतरनाक है। टेक्नोलॉजी के जमाने का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव लोगों पर मोबाइल की लत के रूप में पड़ रहा है। लोगों को मोबाइल का नशा हो गया है। वर्तमान में यदि किसी व्यक्ति को 2 दिन बिना मोबाइल रहने को कहा जाए तो वह व्यक्ति के लिए बहुत बड़ी सजा साबित हो सकता है।

मोबाइल की लत

मोबाइल के बिना रहना लोगों के लिए असंभव सा होने लगा है और इसकी वजह से लोगों को बहुत अधिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। ज्यादा मोबाइल चलाने से मानसिक कमजोरियों और मानसिक बीमारियों के लोग शिकार हो रहे हैं। साथ ही साथ आंखों का कमजोर होना, यादाश्त का चला जाना इससे अधिक समस्याएं भी उत्पन्न होती है।

प्रस्तावना
विज्ञान निरंतर प्रकृति कर रहा है। यह जितनी गति से आगे बढ़ रहा है, इंसान इस दौड़ में कहीं ना कहीं पीछे छूटता जा रहा है। अविष्कारों के जितने लाभ हैं, उतनी ही हानियाँ भी हैं। इन्हीं आविष्कारों में एक सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार मोबाइल भी है, जिसने हमारे कामों को और हमारी जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है। आज के इस डिजिटल युग में मानव बिना मोबाइल के अपने जीवन की संकल्पना भी नहीं कर सकता।

मोबाइल क्या है?
यह एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसके माध्यम से आप आसानी से किसी दूसरी जगह रह रहे व्यक्ति से बातचीत कर सकते हैं। संदेशों का आदान-प्रदान कर सकते हैं, ऑनलाइन अपने कामों को कर सकते हैं। मनोरंजन के लिए गेम खेल सकते हैं और भी बहुत कुछ इसे वायरलेस फोन सेल फोन सेल्यूलर फोन जैसे कई नामों से जाना जाता है।

मोबाइल का इतिहास
“आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है“

एक समय था जब हमें अपना संदेश एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना होता था। जैसे कबूतर के माध्यम से चिट्ठी लिखकर भेजना, उसके बाद डाकिया हमारे संदेशों का आदान प्रदान करने लगा। लेकिन इसमें भी काफी समय लगता था। फिर इसका स्थान टेलीफोन ने ले लिया, जिसने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी। लेकिन यह वायरलेस नहीं था। यानी आप इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जा सकते थे। अविष्कार और आगे बढ़ते हैं और मोबाइल आता है। अब व्यक्ति इसे एक स्थान से दूसरे स्थान आसानी से ले जा सकता है। इसको आसानी से अपने जेब में भी रख सकते हैं। आज के समय मोबाइल के उपयोगकर्ता की यदि बात की जाए तो 2019 में एक अनुमान के अनुसार 4.8 बिलियन इसके उपयोगकर्ता हैं।

मोबाइल की लत
जब हम मोबाइल के फायदे की बात करते है तो इसके कुछ नुकसान भी देखने को मिल रहे हैं। जिस तरह से इसने हमारे जीवन को सरल बनाया है, इंसान इसका गुलाम बनता जा रहा है। वह अपने जीवन की कल्पना भी इसके बिना नहीं कर सकता। उसकी दिनचर्या मोबाइल से शुरू होकर रात्रि तक इसके इर्द-गिर्द ही घूमती है। यदि वह मोबाइल से थोड़ी भी देर अलग रहे तो उसको बेचैनी होने लगती है। यह लत मोबाइल की स्क्रीन को बार-बार टच करने से लेकर उसकी किसी भी ऐप जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब किसी की भी हो सकती है। इसमें व्यक्ति अपने आसपास के माहौल से व्यक्तियों से खुद को दूर कर लेता है और मोबाइल की दुनिया में ही खुद को समेट लेता है।

इसके अत्यधिक उपयोग के कारण बहुत सी शारीरिक समस्याएं जैसे सिर दर्द, आंखें कमजोर हो ना और चिड़चिड़ापन की भी शिकायत रहने लग जाती है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा घातक सिद्ध होता है।

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मोबाइल की लत

मोबाइल के द्वारा आर्थिक सामाजिक और शारीरिक क्षति इंसान को होती है।

आर्थिक क्षति की बात करें तो इनकी कीमत 1000 से लेकर लाखों तक होती है और थोड़ी सी भी लापरवाही से इसकी खराब होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
सामाजिक क्षति की बात करें तो व्यक्ति ने इसके उपयोग के चलते खुद को समाज से काट लिया है, वह अपने पारिवारिक परिवेश को छोड़कर मोबाइल की दुनिया में ही खोया रहता है, वह व्यक्तियों से मिलना जुलना बंद कर देता है।
शारीरिक क्षति की बात की जाए तो मोबाइल के उपयोग ने बहुत सारी शारीरिक समस्याओं को जन्म दिया है, इसके उपयोग से आंखों की रोशनी पर प्रभाव पड़ता है। हमारे मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति की एकाग्रता पर प्रभाव पड़ता है।
इसका इस्तेमाल सड़क दुर्घटना को भी जन्म देता है। व्यक्ति फोन पर बात करते हुए वाहन चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।

इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारी आने वाली पीढ़ी पर देखने को मिल रहा है। बच्चों ने आउटडोर गेम्स खेलना बंदी कर दिया है, वह पूरे समय मोबाइल में ही वीडियो देखने गेम्स खेलने में लगे रहते हैं। इससे उनको बहुत कम ही उम्र में आंखों की रोशनी जाना भूख कम लगना शारीरिक कमजोरी जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं।

अक्सर अभिभावक बच्चों की जिद पर उन्हें मोबाइल पकड़ा देते हैं। बिना इस बात की जांच किए कि उनका बच्चा उस मोबाइल में क्या देख रहा है। क्योंकि मोबाइल हर उम्र के व्यक्तियों के लिए होता है। अनावश्यक चीजों को देखने से बच्चा चिड़चिड़ा और आपराधिक प्रकृति के भी हो जाते हैं।

कई बार न्यूज़पेपर में देखने को आता है कि बच्चों ने अपने अभिभावकों के मोबाइल से ऑनलाइन शॉपिंग की और अकाउंट से पैसे कट गए। मोबाइल का उपयोग करके बच्चे कई आपराधिक कामों को भी अंजाम दे देते हैं।

मोबाइल फोन के दुष्परिणाम
मोबाइल के जितने लाभ हैं, उतने ही इसके दुष्परिणाम भी है। अगर समय रहते इन पर नियंत्रण नहीं किया गया तो ये घातक सिद्ध होंगे।

मोबाइल फोन की लत पड़ना: मोबाइल की लत इंसानों को इस तरह लग गई है कि वे बिना जरूरत के भी इसको बार-बार चेक करते रहते हैं। एक शोध में पता चला है कि 67% लोग बिना वजह अपनी स्क्रीन को टच करते रहते हैं और यदि मोबाइल में नेटवर्क ना हो तो उनको बेचैनी होने लगती है।

सिर दर्द– सिर दर्द होना मोबाइल के उपयोग से होने वाली आम समस्या है। व्यक्ति जब निरंतर मोबाइल का उपयोग करता है तो उसको सिर दर्द की समस्या हो जाती है।

याददाश्त कमजोर होना– मोबाइल में व्यक्ति के जीवन को इतना आसान बनाया है कि वह अपनी आवश्यक जानकारियों को भी इस में सेव करके रखता है। परिणाम स्वरूप उसे अपनी आवश्यक जानकारी वह स्वयं का मोबाइल नंबर भी याद नहीं रहता।

आंखें कमजोर होना– एक शोध के अनुसार 40% स्मार्टफोन यूजर दिन में 6 घंटे से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते है, जिससे उनकी आंखें कमजोर हो जाती हैं।

दुर्घटना– यह भी मोबाइल का एक दुष्परिणाम है। व्यक्ति हर समय चाहे वह गाड़ी चला रहा हूं या रोड क्रॉस कर रहा हो, वह मोबाइल में ही लगा रहता है, जिससे जाने अनजाने कई दुर्घटनाएं हो जाती हैं।

डिप्रेशन का शिकार होना– वर्तमान समय की यह एक सबसे बड़ी समस्या है। क्योंकि व्यक्ति कई बार ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में आ जाता है जो उससे अच्छा जीवन स्तर जी रहे होते हैं, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि सब की क्षमताएं अलग अलग होती है और व्यक्ति तनाव में आ जाता है।

मोबाइल की लत

बच्चों के लिए हानिकारक– यदि मोबाइल के दुरुपयोग वा दुष्परिणाम की बात करें तो इसका सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। मोबाइल में हर विषय से संबंधित जानकारी होती है और इसका उपयोग कोई भी किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है। यदि बच्चों के मोबाइल उपयोग करते समय उन पर ध्यान ना दिया जाए तो इसका प्रभाव उनकी मानसिक स्तर पर पड़ता है।

एक रिसर्च के अनुसार वर्तमान समय में 78% से अधिक बच्चे 5 घंटे से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके कारण 14% बच्चों को सिरदर्द, अनिद्रा, आंखों की रोशनी कम होना, चक्कर आना जैसी बीमारियां हो गई है।

बहरापन: मोबाइल का उपयोग करते समय अत्यधिक ऊंची आवाज में संगीत सुनने से बहरेपन की समस्या भी हो जाती है।

समय का दुरुपयोग– मोबाइल का उपयोग करना आज के समय में उपयोगिता से ज्यादा समय का दुरुपयोग हो गया है। कई बार हम अपनी बहुत से जरूरी कामों को भी मोबाइल में व्यस्त रहने की वजह से भूल जाते हैं और उन्हें समय पर नहीं कर पाते हैं।

रिसर्च के अनुसार एक व्यक्ति दिन में औसतन डेढ़ सौ बार मोबाइल फोन को चेक करता है, जिसका मतलब 6 मिनट में एक बार एक व्यक्ति मोबाइल फोन का इस्तेमाल जरूर करता है।

एकाग्रता की कमी– मोबाइल के लगातार उपयोग से मनुष्य की एकाग्रता में कमी आ जाती है, जिससे हम कोई भी कार्य एकाग्र होकर नहीं कर पाते।

मोबाइल की लत

मोबाइल फोन के दुष्परिणाम से बचने के उपाय
दिन भर के कार्यों की सूची बनाएं– यदि आप मोबाइल का अत्यधिक उपयोग करते हैं तो इससे बचने के लिए आप अपने दैनिक कार्य की सूची बनाएं और उसके हिसाब से अपने कार्यों को करें।

घड़ी का इस्तेमाल करें– हम अक्सर मोबाइल का उपयोग समय देखने में अलार्म लगाने में करते हैं और उसके पश्चात हम मोबाइल में अन्य कार्य करने लग जाते हैं। इससे बचने के लिए घड़ी का इस्तेमाल कर ना शुरू करना चाहिए।

मोबाइल से अनावश्यक एप्लीकेशन हटाए– हम अक्सर अपने मोबाइल में अनावश्यक एप्लीकेशन को डाउनलोड करके रखते हैं, जिनके नोटिफिकेशन बार-बार हमें आते हैं और उन्हें चेक करने के लिए हमें अपना मोबाइल देखना पड़ता है। इसलिए मोबाइल में केवल उन्हीं एप्लीकेशन को रखें जो आवश्यक है।

अपने परिवार वालों के साथ बातचीत करें– स्मार्ट फोन आने के बाद लोगों ने अपने परिवार वालों से बातचीत करना ही बंद कर दिया है। याद करें कि आपने अंतिम बार अपने पूरे परिवार के साथ कब बात की थी। शायद आपको याद नहीं आ रहा होगा। क्योंकि आप पूरा दिन स्मार्टफोन चलाने में ही बिजी रहते हैं, इसलिए आज भी करने की घर पर कम से कम स्मार्टफोन का इस्तेमाल करेंगे।

घर आने पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल ना करें– कोशिश करें कि घर पर मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करें और अपना समय अपने परिवार के साथ बिताएं।

बच्चों के साथ खेलें– आप जब भी बच्चों के साथ हैं तो मोबाइल का उपयोग बिल्कुल भी ना करें। क्योंकि आपको देखते देखते बच्चों को भी मोबाइल की लत लग जाती है। बच्चों के साथ खेल कर समय दिखाएं, जिससे उनको भी मोबाइल के अलावा बाहरी गेम्स का अनुभव हो।

सुबह शाम घूमने जाएं– अपनी दिनचर्या में सुबह शाम घूमने का सुनिश्चित करें, जिससे आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहे।

मोबाइल फोन इस्तेमाल करने का टाइम निश्चित करें– मोबाइल पिलर से बचने के लिए उपयोग करने का टाइम सुनिश्चित करें और परिवार के साथ समय बताने की कोशिश करें, आप कोई खेल भी खेल सकते हैं।

मोबाइल का यदि सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह एक वरदान के समान है। परंतु यदि इसका दुरुपयोग किया जाए तो यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग बना सकता है, इसलिए इसका आवश्यकता के हिसाब से ही इसका उपयोग करें।

निष्कर्ष
मोबाइल की लत जो किसी से कम नहीं है, इससे छुटकारा पाना बहुत जरूरी है। अन्यथा आने वाली पीढ़ी के लिए यह काफी नुकसानदायक साबित होगा, वर्तमान में मोबाइल का प्रयोग लगातार बढ़ता जा रहा है।

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