फाजिल्का (The News Air) पंजाब के फाजिल्का में समृद्ध किसान इंजीनियर संजीव नागपाल द्वारा पिछले 10 सालों से लगातार धान की बिजाई के बाद बचने वाली पराली से गोबर को मिक्स करके बायो खाद बनाई जा रही है। लंबे अध्ययन के बाद इंजीनियर संजीव नागपाल द्वारा अपनाया गया यह प्रोजेक्ट भारत सरकार द्वारा मंजूर कर लिया गया है।
फाजिल्का में खाद की जांच करते नवेंदु गुप्ता।
रसायनों के इस्तेमाल से कमजोर हो रही जमीनें
इंजीनियर संजीव नागपाल को भारत में पहला पराली व गोबर से बनाई गई जैविक खाद का लाइसेंस जारी किया गया है। यह जानकारी फाजिल्का पहुंचे भारत सरकार के कृषि व खोज विभाग से प्रिंसिपल वैज्ञानिक डॉक्टर नवेंदु गुप्ता ने दी।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि जिस तरह से किसान जमीनों से अधिक उपज लेने के चक्कर में रसायनों का लगातार बड़ी मात्रा में प्रयोग कर रहे हैं, जिससे धरती की उपजाऊ शक्ति में धीरे-धीरे कमी आ रही है। धरती के नीचे का पानी और गहरा होता जा रहा है। लगातार किए जाने वाले रसायनों के उपयोग से जहां जीव-जंतुओं व वातावरण को नुकसान हो रहा है।
फाजिल्का में आयोजित कार्यक्रम में नवेंदु गुप्ता।
इंसानों की सेहत पर पड़ रहा बुरा प्रभाव
साथ ही रसायनों से पैदा होने वाली उपज के उपयोग से इंसानों की सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अगर किसानों द्वारा अभी जैविक खाद का प्रयोग ढंग से नहीं किया जाने लगा तो आने वाले 10 से 15 सालों में मिट्टी की उपज शक्ति खत्म हो जाएगी। कैंसर जैसी बीमारियों का बोलबाला बढ़ जाएगा।
डॉ. गुप्ता ने कहा कि ज्यादातर फसलों पर रसायनों का उपयोग लगातार हो रहा है, जो कि वातावरण व इंसानियत के लिए खतरे की घंटी है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा शुरू किया गया आत्मा प्रोजेक्ट के जरिए गांव-गांव के किसानों तक पराली व गोबर से बनाई गई जैविक खाद की जानकारी पहुंचाई जाएगी।
फाजिल्का में आयोजित कार्यक्रम में नवेंदु गुप्ता।
जैविक खाद से धरती की उपज शक्ति बढ़ेगी
इस खाद का उपयोग करने से खेती में क्या फायदा है? लोगों तक पहुंचाया जाएगा। भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए फाजिल्का में इस प्रोजेक्ट को मान्यता दी गई है। क्योंकि इससे आने वाले सालों में नई पीढ़ी को दूषित वातावरण व रसायन से पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से मुक्ति मिलेगी और धरती की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ेगी।
फाजिल्का में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे किसान और बिजनेसमैन।