Infosys Share Price: आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी इंफोसिस (Infosys) के शेयरों में आज बिकवाली का भारी दबाव दिख रहा है और शेयर धड़ाम से 10 फीसदी टूट गए। कंपनी ने इस वित्त वर्ष 2023-24 के अपने रेवेन्यू गाइडेंस को घटा दिया है जिसके चलते शेयरों की बिकवाली बढ़ी। इसके अलावा अप्रैल-जून 2023 तिमाही में कंपनी को जो नेट प्रॉफिट हुआ, वह भी मार्केट की उम्मीदों से कम रहा। इसने भी इंफोसिस को लेकर माहौल खराब किया। फीकी जून तिमाही और कमजोर ग्रोथ गाइडेंस के चलते मैक्वॉयरी और नोमुरा जैसे कुछ ब्रोकरेज ने इसकी रेटिंग डाउनग्रेड कर दी है जबकि बाकी ने सावधानी बरतने को कहा है। आज शेयरों के हालत की बात करें तो फिलहाल बीएसई पर यह 7.64 फीसदी गिरकर 1338.10 रुपये (Infosys Share Price) पर है। इंट्रा-डे में यह 1311.60 रुपये तक आ गया था।
Infosys ने कितना घटाया रेवेन्यू गाइडेंस
इंफोसिस ने चालू वित्त वर्ष के लिए रेवेन्यू गाइडेंस घटाकर 1-3.5 फीसदी कर दिया है। पहले यह अनुमान 4-7 फीसदी पर था। रेवेन्यू गाइडेंस में यह कटौती मार्केट के अनुमान से भी ज्यादा तेज है। कंपनी ने चुनौतीपूर्ण मैक्रोइकनॉमिक माहौल को इस कटौती का कारण बताया है। इसके चलते न सिर्फ इंफोसिस के शेयर धड़ाम से गिर गए बल्कि रिजल्ट का ऐलान होने के बाद 20 जुलाई को नास्डाक पर एडीआर (अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट्स) भी 8.4 फीसदी फिसल गया।
क्या है ब्रोकरेज की राय
जून तिमाही में इंफोसिस को कितने डील मिले, इसके आंकड़ों से मैक्वेरी (Macquarie) को निराशा हुई है। इसके अलावा इंफोसिस को जो 200 करोड़ डॉलर का फ्रेमवर्क डील मिला है, उसे ब्रोकरेज मेगा डील नहीं मान रहा है क्योंकि उसके मुताबिक यह सिर्फ मैनेजमेंट का एस्टीमेट है। इसके अलावा मैक्वेरी को इस बात पर भी संदेह है कि आने वाली तिमाहियों में इंफोसिस को आउटकम-ओरिएंटेड मैनेज्ड सर्विसेज के सौदों में उचित हिस्सेदारी मिलेगी। इस कारण मैक्वेरी ने इसे अंडरपरफॉर्म रेटिंग दी है।
वहीं नोमुरा ने भी इसकी रेटिंग डाउनग्रेड कर रिड्यूस कर दी और टारगेट प्राइस करीब 1 फीसदी घटाकर 1210 रुपये कर दिया। कमजोर नतीजे के चलते नोमुरा ने वित्त वर्ष 2024-25 के ईपीएस एस्टीमेट में भी 3-4 फीसदी की कटौती कर दी है। ब्रोकरेज के मुताबिक गाइडेंस में कटौती डिस्क्रेशनेरी डिमांड में कमी और फैसले लेने में सुस्ती का संकेत है। जेफरीज, बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज, नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज और एचएसबीसी ने भी वित्त वर्ष 2024-25 के ईपीएस अनुमान में 2-6 फीसदी की कटौती कर दी है।
फैसले लेने में देरी, क्लाइंट्स के खर्चों में कटौती जैसी वजहों ने बिगाड़ा Infosys का खेल
वहीं दूसरी तरफ जेपीमॉर्गन का मानना है कि रेवेन्यू गाइडेंस में तेज कटौती वास्तविकता को पहचानना है और अब इसके आधार पर वैल्यूएशन भी तय होना चाहिए। ब्रोकरेज का मानना है कि नेट प्रॉफिट में सुस्ती और गाइडेंस में कटौती से कंपनी के शॉर्ट से मीडियम टर्म में इंफोसिस के वैल्यूएशन पर असर पड़ेगा। मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि वित्त वर्ष 2024 के गाइडेंस में जो बदलाव हुआ है, उससे इसके नियर टर्म में निगेटिव असर दिख सकता है लेकिन लॉन्ग टर्म में ब्रोकरेज अभी भी इसे लेकर पॉजिटिव है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रोकरेज के मुताबिक मीडियम टर्म में आईटी खर्चों में उछाल से इसे फायदा मिलेगा।
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