नई दिल्ली (The News Air): चन्द्रयान-2 की असफलता के 5 साल बाद इसरो यानी इंडियन स्पेश रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) एक बार फिर से चांद की सतह पर उतरने की तैयारी कर चुका है। मिशन चन्द्रयान-3 (Chandrayaan-3) लॉन्चिंग कल यानी 14 जुलाई को की जाएगी। भारत के इस मिशन पर दुनिया की नजरें टिकीं हुई हैं। इसे लांच करने का उद्देश्य चांद की सतह पर जीवन और पर्यावरण के बारे में पता लगाना है।
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
Mission Readiness Review is completed.
The board has authorised the launch.
The countdown begins tomorrow.The launch can be viewed LIVE onhttps://t.co/5wOj8aimkHhttps://t.co/zugXQAY0c0https://t.co/u5b07tA9e5
DD National
from 14:00 Hrs. IST…— ISRO (@isro) July 12, 2023
इतिहास में नाम दर्ज करने की ओर भारत
मिशन चन्द्रयान-3 अगर चांद की सतह पर सफल पूर्वक उतर गया तो ऐसा करने वाला भारत विश्व का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले यह उपलब्धि युनाइटेड स्टेट, रूस और चीन के नाम दर्ज है। चन्द्रयान-3 अगर सफल रहा तो इतिहास कायम करने में भारत का भी नाम दर्ज हो जा हो जाएगा।
14 जुलाई दोपर 2: 35 पर होगी लॉन्चिंग
मिशन चन्द्रयान-3 शतीश धवन स्पेश सेंटर श्रीहरि कोटा से लाॅन्च किया जाएगा। इसे एलवीएम-3 लांच करेगा। यह 14 जुलाई दोपर 2 बजकर 35 मिनट पर लांच होगा। चन्द्रयान-3 पृथ्वी से 3,84,000 किलोमीटर की यात्रा तय करेगी।
चन्द्रयान-3 से ज्यादा उम्मीदें क्यों है
चन्द्रयान- 2 की विफलता के बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने चन्द्रयान- 2 की विफलता के कारण को स्टडी किया। उन विफलताओं का हल ढूंढ कर मिशन चन्द्रयान-3 को तैयार किया गया। इसलिए चन्द्रयान-3 से उम्मीद है कि यह चांद की सतह पर उतरने में सफल रहेगी। प्रमुख एस सोमनाथ ने सोमवार को खुलासा किया कि एजेंसी ने सफलता सुनिश्चित करने के लिए चंद्रयान-3 के लिए विफलता-आधारित दृष्टिकोण डिजाइन को अपनाया है। मिशन की सफलता की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और लैंडिंग अनुक्रम में संशोधन किए गए हैं।
विफलता-आधारित दृष्टिकोण डिजाइन क्या है?
विफलता-आधारित दृष्टिकोण डिजाइन में संभावित विफलताओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है। साथ ही उन्हें कम करने के उपाय कर लिए जाते हैं। इस दृष्टिकोण से इसरो ने अपने लक्षित मिशन में कुछ सुधार किए हैं और इस मिशन को सफल बनाने की संभावना को बढ़ाने की कोशिश की है।
चंद्रयान-3 में लैंडिंग साइट बढ़ाई गई
इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि हमने चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट को 500 मीटर x 500 मीटर से बढ़ाकर 2.5 किलोमीटर कर दिया है, जिससे यह कहीं भी उतर सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि चंद्रयान-3 में ईंधन भी अधिक है, जिससे इसके लिए यात्रा करने या पथ-विचलन को संभालने या वैकल्पिक लैंडिंग स्थल पर जाने की अधिक क्षमता रखना संभव होगा।
मिशन चंद्रयान-3 की लागत कितनी है?
इसरो ने चंद्रयान-3 के शुरुआती बजट के लिए 600 करोड़ रुपए की उम्मीद की थी, लेकिन यह मिशन 615 करोड़ रुपए में पूरा हुआ। हालांकि बताया ये भी जा रहा कि चंद्रयान मिशन-2 की तुलना में चंद्रयान मिशन-3 का खर्च कम रहा है।
चंद्रयान मिशन-1 और चंद्रयान मिशन-2 कब लॉन्च हुआ था ?
भारत ने चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारतीय समयानुसार दोपहर 02:43 बजे सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इसरो की महिला वैज्ञानिक रितू करिधल चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर थीं। उन्हें रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। हालांकि यह मिशन असफल रहा।
चांद पर पानी होने का पता चला था
चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर, 2008 को लॉन्च किया गया था। इसने 28 अगस्त, 2009 तक काम किया था। इसी मिशन के दौरान चांद पर पानी होने का पता चला था। यह इसरो का बजट स्पेसशिप माना गया था।






