विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने ब्रिटेन के न्यूजपेपर दी टाइम्स (The Times) में इंडिया के बारे में छपी एक रिपोर्ट को निराधार बताया है। इस खबर में कहा गया था कि ब्रिटेन ने पिछले महीने लंदन में इंडियन हाई कमीशन पर सिख चरमपंथी समूह के हमलों की आलोचना नहीं की है, जिसके चलते इंडिया ने दोनों देशों के बीच चल रही व्यापारिक वार्ता से खुद को अलग कर लिया है। यह हमला 19 मार्च को हुआ था। तब खालिस्तान के बैनर्स के साथ प्रदर्शनकारियों ने भारतीय उच्यायोग पर प्रदर्शन किया था। उन्होंने पंजाब में पुलिस की हालिया कार्रवाई के खिलाफ आक्रोश जताते हुए इमारत की पहली मंजिल पर स्थिति बॉलकनी से भारतीय झंडे को उतार दिया था।
टाइम्स ने क्या खबर दी थी?
दी टाइम्स ने एक सरकारी ब्रिटिश सूत्र के हवाले से अपनी खबर में लिखा था, “इंडिया तब तक व्यापार को लेकर बातचीत में हिस्सा में नहीं लेना चाहता है जब तक ब्रिटेन आधिकारिक रूप से खालिस्तान चरमपंथियों के प्रदर्शन की आलोचना नहीं कर देता।” पिछले महीने इंडिया ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि विदेश में उसके उच्चायोग पर हंगामा करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उसने यह भी कहा था कि उसे उम्मीद है कि संबंधित देश की सरकार हमें आश्वासन देने के बजाय उन घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी पक्रिया शुरू करेगी।
इंडिया ने कहा था कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होनी चाहिए
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 24 मार्च को अपनी वीकली ब्रीफिंग में कहा था कि नई दिल्ली की उम्मीद है कि मेजबान सरकार ऐसी घटनाओं को भविष्य में दोबारा होने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएगी। पंजाब में चरमपंथी नेता अमृतपाल सिंह के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के खिलाफ खालिस्तान समर्थकों ने लंदन, ब्रिटिश कोलंबिया और सैन फ्रांसिस्को में भारतीय उच्चायोग में कथित रूप से तोड़फोड़ की थी।
इंडिया ने ब्रिटिश डिप्टी हाई कमीश्नर को तलब किया था
खालिस्तान के समर्थकों ने 19 मार्च को लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग की इमारत से भारतीय झंडे को उतार दिए थे। उन्होंने अमृतपाल के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर आक्रोश में इमारत की खिड़की तोड़ दी थी। खास बात यह है कि पंजाब पुलिस अब तक अमृतपाल को पकड़ नहीं सकी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस घटना की आलोचना की थी। उसने दिल्ली स्थिति ब्रिटेन के डिप्टी हाई कमीश्नर को तलब किया था। मंत्रालय ने कहा था कि लंदन स्थिति उच्चायोग की सुरक्षा में चूक हुई है।
पुलिस ने 22 मार्च को दिल्ली स्थित ब्रिटिश हाई कमीशन के बाहर लगे सुरक्षा घेरे को अस्थायी रूप से हटा दिया था। खालिस्तान समर्थकों ने 20 मार्च को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास में भी तोड़फोड़ की थी।






