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Home Breaking News

रूस ने मार्च में भारत को सप्लाई किया 16.4 लाख bpd कच्चा तेल

The News Air by The News Air
Friday, 7th April, 2023
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कच्चा तेल
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The News Air: एनर्जी ट्रैकर वोर्टेक्सा के अनुसार, भारत ने मार्च में रूस से अपनी कच्चे तेल (Crude Oil) की जरूरतों को पूरा किया। महीने के दौरान, रूस (Russia) ने सऊदी अरब (Saudi Arabia) और इराक (Iraq) जैसे पारंपरिक सप्लायर्स को पीछे छोड़ते हुए भारत को 16.4 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) कच्चे तेल की सप्लाई की। हालांकि, भारत के इंपोर्ट बास्केट में रूस के कच्चे तेल की हिस्सेदारी पिछले महीने के मुकाबले में थोड़ी कम हुई है।

भारत ने फरवरी में रूस से अपने कच्चे तेल का 35 प्रतिशत आयात किया, जो मार्च में थोड़ा कम होकर 33.9 प्रतिशत रह गया। अक्टूबर 2022 से रूस भारत का कच्चे तेल का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया। सऊदी अरब ने भारत को 986,288 bpd कच्चे तेल की सप्लाई की, जबकि इराक ने मार्च 2023 में 821,952 bpd की सप्लाई की।

फरवरी 2022 में मास्को की तरफ से यूक्रेन में सेना भेजने के बाद से रूस भारत के लिए कच्चे तेल का एक प्रमुख सोर्स बन गया है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद यूरोपीय संघ (EU) और अमेरिका की तरफ से मास्को पर कई प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से वो अपना तेल एशियाई देशों, खासतौर से भारत और चीन को कम कीमत पर बेच रहा है।

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मार्च 2023 में 16.4 मिलियन bpd की तुलना में, रूस ने पिछले साल इसी अवधि में भारत को केवल 68,600 bpd कच्चे तेल की सप्लाई की थी।

OPEC ने की सप्लाई में कटौती

एक हैरान करने देने वाले कदम में, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और उसके सहयोगियों, जिन्हें आमतौर पर OPEC+ के नाम से जाना जाता है, उन्होंने महीने की शुरुआत में लगभग 1.16 मिलियन bpd की सप्लाई कटौती की घोषणा की, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई।

सऊदी अरब और इराक के साथ रूस ने मई 2023 से साल के आखिर तक सप्लाई में कटौती की घोषणा की। सऊदी अरब ने 500,000 bpd से सप्लाई कम करने का फैसला किया है, जबकि इराक 200,000 bpd से ज्यादा सप्लाई में कटौती करेगा।

रूस भी OPEC+ के तहत आता है। उसने ने कहा कि वो 2023 के आखिर तक 500,000 bpd के प्रोडक्शन में कटौती बनाए रखेगा।

कच्चे तेल की कीमतें, जो कई विदेशी बैंकों के धराशायी होने और मांग में कमी के कारण मार्च के बीच में 72 डॉलर प्रति बैरल के निचले स्तर पर पहुंच गई थीं, लेकिन कम प्रोडक्शन के कारण फिर से ऊपर की ओर बढ़ने की संभावना है।

ICRA के कॉर्पोरेट रेटिंग के VP प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, “OPEC+ की तरफ से प्रति दिन लगभग 11.6 लाख बैरल के अतिरिक्त प्रोडक्शन कटौती की घोषणा करने के निर्णय से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है। ये पूरी संभावना है कि अर्थव्यवस्था पर महंगाई के दबाव को बढ़ा सकता है।”

वशिष्ठ ने आगे कहा, “क्योंकि आयात भारत में कुल मांग का लगभग 85 प्रतिशत योगदान देता है, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से इंपोर्ट बिल बढ़ता है और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है।”

अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें भारत की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाती हैं, क्योंकि देश कच्चे तेल का नेट इंपोर्टर है और अपनी तेल जरूरतों के 85 प्रतिशत के लिए इंपोर्ट पर निर्भर है।

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