वहीं बुधवार की शाम उसकी लोकेशन वीरपुर-विजयपुर इलाके के बफर जोन में मिली। लेकिन बीते तीनों से वह कभी जंगल में तो कभी बफर जोन या इसके भी बाहर भी चली जाती दिख रही है।कुनो अधिकारियों की मानें तो वह ज्यादातर नदी नालों के आसपास ही रह रही है। फिलहाल उसके रेडियो कॉलर के जरिए वन विभाग के अधिकारी उसपर नजर बनाए हुए हैं। जानकारी दें कि, दक्षिण अफ्रीका से आने के बाद आशा को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर कूनो नेशनल पार्क में रिलीज किया था। इस मौके पर उन्होंने खुद इसका नामकरण भी किया था। अधिकारियों के मुताबिक आशा से पहले चीता ओवानबफर जोन से बाहर निकल चूका था।
वहीं ‘ओवान’ भी अभी तक वापस जंगल एरिया में नहीं लौट पाया है। अधिकारियों के मुताबिक ओबान की लोकेशन बीते रविवार की सुबह कूनो नेशनल पार्क के बाहर विजयपुर के झाड़ बड़ौदा गांव के आस पास मिली थी। वह लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में ही घूम रहा है। इस दौरान उसने एक गाय और चिंकारा का शिकार किया है। वहीं अब कूनो की जंगल टीम उसे वापस बफर जोन के अंदर लाने का प्रयास कर रही है, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है।
हालांकि कुनो के अधिकारियों के अनुसार इन चीतों से इंसान को कोई खतरा नहीं है। दरअसल चीते इंसान की बस्ती से दूर रहना ही पसंद करते हैं और वह इंसान पर हमले भी नहीं करते। वहीं अब अधिकारियों ने कूनो के अंदर चीतों की सुरक्षा के लिए फीमेल जर्मन शेफर्ड डॉग इलू को लगाया गया है। इस डॉग को पंचकुला में सात महीने की स्पेशल ट्रेनिंग भी दी गई है। इस डॉग का इस्तेमाल वन्यजीवों का शिकार करने के लिए कूनो में घुसने वाले शिकारियों को पकड़ने में भी किया जाएगा। लेकिन फिलहाल ‘ओवान’ के बाद अब ‘आशा’ ने भी विरोध का बिगुल बजा दिया है और दोनों ही फरार हैं।






