गुरदासपुर (The News Air) मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। ऐसा ही कुछ भारत-पाक सीमा पर कस्बा दोरांगला के गांव शाहपुर की रहने वाली दिव्यांग लड़की स्नेहा में देखने को मिलता है। जिसकी शिक्षा के प्रति लगन देखते ही बनती है। दिव्यांग होने के बावजूद भी वह अपना हौसला नहीं हार रही है। रोजाना 3 किलोमीटर दूरी तय कर शिक्षा ग्रहण करने स्कूल पहुंचती है।
सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल दोरांगला में 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़की स्नेहा ने बताया कि बचपन से ही वह दिव्यांग है। उसे पढ़ने का बहुत शौक है। उसने बताया कि रोजाना गांव से व्हील चेयर पर करीब 3 किलोमीटर दूरी तय कर पढ़ने के लिए स्कूल पहुंचती है। उसे उसकी बहन लेकर आती है। इस दौरान उसे बहुत ही परेशानी होती है, लेकिन फिर भी वह हिम्मत नहीं हारती है।

ऊबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरती दिव्यांग स्नेहा।
पिता दिहाड़ी लगाकर परिवार का करते हैं पालन-पोषण
उसने बताया कि उसकी चार बहनें और एक भाई है। उसके पिता दिहाड़ी लगाकर परिवार का पालन पोषण करते हैं। उसका सपना है कि वह पढ़ लिखकर बैंक में नौकरी करे। स्कूल की तरफ से भी उसे पूरा सहयोग दिया जाता है। कक्षा इंचार्ज ने बताया कि स्नेहा की पढ़ाई के प्रति बहुत ही ज्यादा लगन है। जब डोर टू डोर कैंपेन करने के लिए गए तो इस बच्ची के बारे में पता चला।

दिव्यांग स्नेहा के बारे में जानकारी देते स्कूल टीचर।
स्कूली की तरफ से नहीं ली जाती फीस
भगवान ने भले ही शारीरिक पक्ष से कमजोर रखा, लेकिन इस बच्ची का दिमाग बहुत ही ज्यादा तेज है और शिक्षा के प्रति अपनी हर कोशिश करती रहती है। प्रिंसिपल ने बताया कि छात्रा स्नेहा 10वीं कक्षा की परीक्षा दे रही है। समाज की तरफ से भी इस लड़की की कोई मदद नहीं की जा रही है। स्कूल की तरफ से इस बच्ची से कोई भी फीस नहीं ली जाती है और किताबें, बैग आदि मुफ्त में दिए जाते हैं।






