अमृतसर (The News Air) यह दृश्य उस वक्त का है, जब अमृतपाल श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की पालकी के साथ पहुंचा। तब पुलिस उनके आगे से हटती हुई एक किनारे चली गई।
पंजाब के अमृतसर में अजनाला पुलिस स्टेशन पर ‘वारिस पंजाब दे’ के खालिस्तान समर्थक जत्थेदार अमृतपाल के समर्थकों के हमले पर नया खुलासा हुआ है। यहां पुलिस अमृतपाल के साथ आई श्री गुरू ग्रंथ साहिब की पालकी को देखकर पीछे हटने को मजबूर हुई।
पंजाब के पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इसे उठाया है। उन्होंने प्रदर्शन की जगह पर श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी को ले जाने पर सवाल उठाए। कैप्टन ने कहा कि यह स्वीकार करने योग्य नहीं है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा कि यहां श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी का अपमान किया गया है। श्री अकाल तख्त साहिब और दूसरी संस्थाओं को आगे आकर इस पर फैसला लेना चाहिए। श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी रोकनी चाहिए।
पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि आतंकवाद के काले दौर में भी कभी पंजाब पुलिस के थाने पर कब्जा नहीं हो पाया था। अजनाला में ऐसा होना चिंता का विषय है।
वहीं इस मामले में अमृतपाल सिंह ने कहा है कि वे श्री गुरु ग्रंथ साहिब के आगे थे, पीछे नहीं। इसलिए यह मत कहो कि हमने श्री गुरु ग्रंथ साहिब का सहारा लिया।
इन 3 पॉइंट्स में समझिए पूरा घटनाक्रम…
1. पहले आक्रामक थी पुलिस : अमृतपाल सिंह ने अपने समर्थक लवदीप तूफान के खिलाफ केस दर्ज करने पर विरोध का ऐलान किया था। इसको देख पुलिस की पूरी तैयारी थी। 6 जिलों की पुलिस अजनाला में तैनात कर दी गई। अमृतपाल के समर्थकों को अजनाला पुलिस थाने पहुंचने से पहले ही बस स्टैंड पर रोक लिया गया। पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग कर रखी थी। अमृतपाल समर्थकों के साथ धक्का-मुक्की हुई लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया।
अजनाला थाने के बाद समर्थकों को संबोधित करता अमृतपाल।
2. फिर अमृतपाल पालकी साहिब के साथ आया : इसके बाद सिख प्रचारक अमृतपाल की एंट्री हुई। अमृतपाल के साथ श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी का स्वरूप भी था। इसे देखकर पुलिस वाले भी ठिठक गए। उन्होंने थोड़ी कोशिश की लेकिन किसी तरह की बेअदबी न हो जाए, इसलिए किनारे होते चले गए। जिसके बाद अमृतपाल के समर्थकों ने वहां जमकर हंगामा किया। वह तलवारें और बंदूकें लेकर अजनाला पुलिस थाने में घुस गए। यहां उन्होंने तूफान को उसी वक्त छोड़ने की मांग शुरू कर दी। अमृतपाल ने कहा कि वह यहीं पर ही लंगर शुरू करवा देंगे और वाहेगुरू का जाप शुरू हो जाएगा।
3. पुलिस हरकत में आई, बात माननी पड़ी : इसके बाद पुलिस हरकत में आ गई। अमृतपाल से अमृतपाल के पुलिस कमिश्नर जसकरन सिंह, एसएसपी सतिंदर सिंह ने मीटिंग की। बंद कमरा मीटिंग के बाद पुलिस ने कहा कि तूफान सिंह के निर्दोष होने के पर्याप्त सबूत दिए गए हैं।
पुलिस उसे छोड़ रही है। हालांकि उसे केस से बाहर निकालने का काम तय प्रक्रिया के हिसाब से होगा। इसके लिए पुलिस अदालत में रिपोर्ट दाखिल करेगी। पुलिस ने कोर्ट में कैंसिलेशन रिपोर्ट फाइल करने के साथ SP तेजबीर सिंह हुंदल की अगुआई में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन कर दिया गया है।
पुलिस के बैरिकेड तोड़ते अमृतपाल के समर्थक।
तूफान विवाद और उसके बाद मचे बवाल की पूरी कहानी
असल में पंजाब के अमृतसर में अजनाला पुलिस स्टेशन ने 16 फरवरी को चमकौर साहिब के वरिंदर सिंह को अगवा कर मारपीट करने का मामला दर्ज किया गया। यह मामला ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह, लवप्रीत सिंह तूफान और करीबियों के खिलाफ था। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 18 फरवरी को गुरदासपुर से लवप्रीत तूफान को गिरफ्तार कर लिया।
अमृतपाल ने 18 फरवरी को ही पंजाब सरकार और पुलिस को वार्निंग दी कि अगर उसके साथी को 24 घंटे में ना छोड़ा गया तो वह कार्रवाई करेंगे। 22 फरवरी को वार्निंग को दोहराया गया और 23 फरवरी सुबह 11 बजे का अपने समर्थकों के साथ अजनाला पहुंचने का समय दिया गया। 10.30 बजे समर्थक इकट्ठा होना शुरू हो गए।
गिनती कम थी, तो पुलिस ने उन्हें रोका भी। इसके बाद अमृतपाल सिंह रइया के गांव जल्लूपुर खेड़ा से अजनाला पहुंच गए। वह अपने समर्थकों के साथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब की सुशोभित पालकी साहिब लेकर पहुंचे थे। पालकी साहिब को देखते ही पुलिस एक तरफ हो गई।
आधे घंटे में हालात ऐसे बने कि पुलिस पर तलवारों से हमला हुआ। एक डीएसपी सहित कुल 6 लोग घायल हो गए। समर्थक तलवारें लेकर पुलिस पर कूद पड़े। पुलिस ने बचाव के लिए सिर्फ डंडों का सहारा लिया, लेकिन आक्रमक नहीं हुई। परिणाम, अजनाला पुलिस चौकी अमृतपाल व समर्थकों के कब्जे में आ गई।
अमृतपाल समर्थकों से झड़प में घायल हुआ पुलिसकर्मी।
अफसरों ने भी कबूली बात अमृतपाल समर्थकों के आगे 6 जिलों की पुलिस के बैकफुट पर जाने के बाद पंजाब पुलिस के अफसर भी टारगेट पर हैं। हालांकि वह अपने बचाव में कह रहे हैं कि पुलिस श्री गुरु ग्रंथ साहिब की सुशोभित पालकी साहिब देख पीछे हटी थी। हटते ही समर्थकों ने तलवारों से हमला किया। सम्मान में वह जवाबी कार्रवाई भी नहीं कर सके। पुलिस कभी गुरूद्वारे में भी हथियार लेकर नहीं जाती, क्योंकि वहां श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी सुशोभित होते हैं। ऐसे में अगर यहां बल प्रयोग करते तो फिर पुलिस पर सवाल खड़े हो सकते थे।
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