गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को उद्धव ठाकरे ने निर्वाचन आयोग के फैसले को ‘लोकतंत्र के लिए खतरनाक’ बताया था। इसके साथ ही उद्धव ने कहा था कि वह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। निर्वाचन आयोग के फैसले के कुछ घंटों बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में ठाकरे ने निर्वाचन आयोग पर यह भी संगीन आरोप लगाया कि वह केंद्र सरकार की ‘गुलाम’ बन चुकी है। साथ ही वह कल को उनके ‘मशाल’ के चिह्न को भी छीन सकता है।
ठाकरे ने यह भी कहा था कि देश में लोकतंत्र जिंदा रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट आखिरी उम्मीद है। उनका कहना था कि , ‘अगर यह उम्मीद खत्म हो गई तो हमें हमेशा के लिए चुनाव कराना बंद कर देना चाहिए और एक व्यक्ति का शासन कायम कर देना चाहिए।’ उनकी मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घोषणा करनी चाहिए कि आजादी के 75 साल बाद देश अब लोकतंत्र नहीं बल्कि निरंकुशता की ओर बढ़ रहा है।
इसके जवाब में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) ने पलटवार करते हुए कहा था कि, उद्धव जी को ईर्ष्या छोड़ सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “मोदी जी का नाम देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मनाया जाता है। हाल के एक वैश्विक सर्वेक्षण में वह नंबर 1 (राजनीतिक नेता) हैं। आपको ईर्ष्या क्यों हो रही है? सत्य को स्वीकार करो। इस तरह के शब्दों से PM मोदी की लोकप्रियता कम नहीं होगी।”
उन्होंने कहा कि, “आप (उद्धव ठाकरे) आत्मचिंतन करो कि ये नौबत क्यों आई है? क्योंकि आपने 2019 में बालासाहेब ठाकरे के विचारों को बेच दिया और धनुष बाण को गिरवी रखा था इसे तो हमने आज छुड़ाया है। मैं इस पवित्र कार्य के लिए चुनाव आयोग को धन्यवाद देता हूं।”
इस प्रकार देखा जाए तो 57 साल बाद ठाकरे परिवार से शिवसेना छिनी गई है। वहीं मामले पर उद्धव ठाकरे अब सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने वाले हैं, साथ ही इस बाबत उन्होंने आज पार्टी के MP-MLAs की एक जरुरी मीटिंग बुलाई है।