उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से एक साथ नौ स्कूली बच्चे चेचक से संक्रमित पाए गए हैं। बलिया के जिले के गोविंदपुर गांव के एक सरकारी स्कूल में एक शिक्षक समेत नौ बच्चों में चेचक का संक्रमण पाया गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (नराही) के अधीक्षक ने रविवार को संक्रमितों की जानकारी दी। चेहरे पर लाल धब्बे जैसे कुछ लक्षण दिखने के बाद बच्चों का टेस्ट किया गया था।
बलिया के शिक्षा अधिकारी ने भी की पुष्टि
जिले के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी लालजी ने भी सहायक शिक्षक विवेक कुमार के साथ नौ बच्चों के चिकनपॉक्स से संक्रमित होने की पुष्टि की है। चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि बच्चों में संक्रमण की जानकारी शुक्रवार को मिली और इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इलाज शुरू किया और बीमारी के प्रसार को रोकने के प्रयास भी किए गए।
वायरल इंफेक्शन है चिकन पॉक्स
भारत के नेशनल हेल्थ पोर्टल के अनुसार चिकनपॉक्स एक वायरल संक्रमण है और अत्यधिक संक्रामक है। यह वैरिकाला-जोस्टर वायरस (VZV) के कारण होता है। चिकनपॉक्स मुख्य रूप से 10 साल से कम उम्र के बच्चों में होता है, लेकिन यह वयस्कों को भी प्रभावित कर सकता है। वयस्कों में रोग गंभीर हो सकता है। चिकन पॉक्स में त्वचा पर खुजली, थकान, बुखार और स्किन पर लाल धब्बे जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
चिकन पॉक्स होने पर फॉलो करें ये सलाह
डॉक्टरों का कहना कि ज्यादातर चिकन पॉक्स के मामलों में डॉक्टरी इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। डॉक्टर इस वायरल इंफेक्शन के पूरी तरह से ठीक होने की प्रतीक्षा करने की सलाह देते हैं। खुजली से छुटकारा पाने के लिए, डॉक्टर कुछ खास तरह के मलहम को लगाने की सलाह देते हैं। क्रमित बच्चों को वायरस के प्रसार को रोकने के लिए स्कूल न जाने का सुझाव दिया जाता है, जबकि वयस्कों को घर में रहने की सलाह दी जाती है।
इन स्थितियों में दी जाती है दवा
अगर चिकन पॉक्स में तेज बुखार है तो रोगी को डॉकर रोगियों को एंटी वायरल की दवाएं लिखते हैं। बता दें कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा चेचक को रोकन के लिए टीके की व्यवस्था भी की गई है। 12-15 महीने के बीच के बच्चों को यह टीका लगवाया जा सकता है।