अमृतसर (The News Air) पंजाब के थर्मल प्लांट को पूर्वी भारत के पछवारा खदान (झारखंड) से आने वाला कोयला 4000 कि.मी. का अतिरिक्त सफर करके पहुंचेगा। यह कोयला पहले श्री लंका जाएगा, उसके बाद अडारी कंपनी की मुंद्रा पोर्ट तक पहुंचने के बाद रेल मार्ग से पंजाब लाया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस पूरे रूट को रेल शिप रेल (RSR) नाम दिया है।
RSR के जरिए कोयला मंगवाने के लिए पंजाब सर को भेजा गया खत।
RSR के खिलाफ अब कांग्रेस नेताओं व AAP सरकार ने केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसे पंजाब की जनता पर अतिरिक्त बोझ बताया है। केंद्र ऊर्जा मंत्रालय ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया गया है कि यदि आप पूर्वी भारत से पंजाब में कोयला लाना चाहते हैं तो पहले इसे समुद्र के रास्ते श्रीलंका के ऊपर पश्चिमी तट पर दाहेज/मुंद्रा बंदरगाहों तक ले जाए। इसके बाद फिर रेल द्वारा पंजाब लाया जाए। इससे लागत सीधे तौर पर 3 गुणा बढ़ जाएगी।
1800 रुपए टन कॉस्ट बढ़ेगी
पंजाब सरकार को महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (MCL) से रेल द्वारा कोयला मंगवाने की लागत 4950 रुपये प्रति टन पड़ रही है। इसमें कोल सीधा रेल मार्ग से 1800 कि.मी. का सफर तय कर 5-6 दिन में पंजाब पहुंच जाता है। लेकिन RSR के माध्यम से सफर 5800 कि.मी. को होगा और लगात 6750 रुपये प्रति टन की होगी। सफर भी बढ़ कर 20-25 दिन को हो जाएगा।
1.40 रुपए अतिरिक्त खर्च होंगे
पंजाब से कांग्रेसी सांसद मनीष तिवारी ने इस पर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि RSR के माध्यम से कोयला मंगवाने के लिए पंजाब में एक बिजली उपभोक्ता को बिजली की प्रति यूनिट 1.40 रुपये अधिक का भुगतान करना पड़ेगा। राज्य अडानी के दाहेज और मुंद्रा के बंदरगाहों के माध्यम से कोयले की डिलीवरी के लिए 20-25 दिनों का इंतजार करेगा। जबकि रेल द्वारा MCL से सीधे कोयला केवल 4-5 दिन में पहुंच जाता है।
कैबिनेट मिनिस्टर हरभजन सिंह ETO
केंद्र से संपर्क करेगी राज्य सरकार – मंत्री ETO
बिजली मंत्री हरभजन सिंह ETO ने इसे पंजाब के साथ धक्का बताया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार पंजाब के साथ धक्का कर रही है। MCL से पंजाब को पहले से कोयला आ रहा है। लेकिन RSR के माध्मय से कोयला मंगवाने पर सफर बढ़ेगा, कॉस्ट बढ़ेगी और सफर भी। इसके लिए राज्य सरकार अक केंद्र से बात करेगी।