PM Awas Yojana Recovery: सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को घर बनाने के लिए पैसा तो बांट दिया, लेकिन अब उन लोगों की शामत आने वाली है जिन्होंने रकम लेकर भी अपना आशियाना नहीं बनाया। शहरी विकास निदेशालय ने सख्त रुख अपनाते हुए ऐसे लाभार्थियों से सरकारी धन की रिकवरी (Recovery) का आदेश जारी कर दिया है। यह कार्रवाई उन लोगों पर होगी जिन्होंने योजना की किश्तें तो ले लीं, लेकिन मौके पर निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया या शुरू ही नहीं किया।
‘पैसा लिया, पर घर नहीं’ – हजारों मामले आए सामने
सरकारी खजाने से पैसा निकलने के बाद उसका सही इस्तेमाल हुआ या नहीं, इसकी जांच में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। हरिद्वार जिले का उदाहरण लें तो वहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 8,120 आवास स्वीकृत किए गए थे। प्रशासन ने समय-समय पर निर्माण के लिए किश्तें जारी कीं। रिकॉर्ड के मुताबिक, इनमें से 3,772 आवास पूरे हो गए और लोगों ने वहां रहना भी शुरू कर दिया।
लेकिन, जब शहरी विकास निदेशालय ने गहराई से जांच की, तो पता चला कि 4,348 आवास अभी तक अधूरे हैं। यानी आधे से ज्यादा लोगों ने पैसा तो लिया, लेकिन घर पूरा नहीं किया। कई जगहों पर केवल ढांचा खड़ा है, तो कहीं खिड़की-दरवाजे और शौचालय तक नहीं बने हैं।
लाभार्थियों से होगी पैसों की वसूली
प्रशासन अब ऐसे लोगों को बख्शने के मूड में नहीं है। जिन लोगों ने सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया है, उन्हें अब योजना की सूची से बाहर किया जाएगा। इतना ही नहीं, विभाग उनसे दिए गए सरकारी धन की वसूली (Recovery) भी करेगा। यह फैसला उन लोगों के लिए बड़ा झटका है जो सोच रहे थे कि सरकारी पैसा मिल गया तो अब कोई पूछने वाला नहीं है।
अधिकारियों पर भी गिरेगी गाज
इस लापरवाही में केवल लाभार्थी ही नहीं, बल्कि जिम्मेदार अधिकारी भी नपेंगे। शहरी विकास विभाग के निदेशक विनोद गिरी गोस्वामी ने साफ कर दिया है कि जिन नगर निकायों के अधिकारियों ने समय पर रिपोर्ट नहीं सौंपी या लापरवाही बरती, उन पर सख्त कार्रवाई होगी। ऐसे अधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि उनका वेतन (Salary) रोका जाएगा। शासन ने सभी निकायों से तत्काल स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
संपादकीय विश्लेषण: सरकारी योजनाओं में जवाबदेही जरूरी
एक वरिष्ठ संपादक के नजरिए से देखें तो यह कदम बेहद जरूरी था। अक्सर सरकारी योजनाओं में ‘लीकेज’ की समस्या देखी जाती है, जहां पात्र लोग पैसे का इस्तेमाल अन्य निजी खर्चों में कर लेते हैं। रिकवरी का यह आदेश एक कड़ा संदेश है कि ‘जनता का पैसा’ (Public Money) केवल उसी उद्देश्य के लिए खर्च होना चाहिए जिसके लिए आवंटित किया गया है। यह कार्रवाई भविष्य में अन्य योजनाओं में होने वाली धांधली को रोकने में भी एक नजीर बनेगी। जब लाभार्थी को पता होगा कि काम पूरा न करने पर पैसा वापस देना पड़ सकता है, तो वह निर्माण में देरी नहीं करेगा।
आम आदमी पर असर
इस कार्रवाई का असर उन ईमानदार गरीबों पर सकारात्मक पड़ेगा जो वास्तव में घर बनाना चाहते हैं लेकिन वेटिंग लिस्ट में हैं। जब अपात्र या डिफाल्टर लोग हटेंगे, तो जरूरतमंदों को मौका मिलेगा। वहीं, उन लोगों के लिए मुसीबत बढ़ गई है जिन्होंने पैसे लेकर घर आधा-अधूरा छोड़ दिया है।
जानें पूरा मामला
क्या है पृष्ठभूमि: उत्तराखंड के हरिद्वार और अन्य जिलों में PM Awas Yojana के तहत लाभार्थियों को किश्तों में पैसा दिया गया था। नियम के मुताबिक, पैसा मिलने के बाद निर्धारित समय में घर का निर्माण पूरा कर ‘उपयोग प्रमाण पत्र’ (Utilization Certificate) देना होता है। लेकिन हजारों लोगों ने न तो घर पूरा किया और न ही प्रमाण पत्र दिया। अब निदेशालय ने ऐसे लोगों से रिकवरी और लापरवाह अधिकारियों का वेतन रोकने का आदेश दिया है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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PM Awas Yojana के तहत घर पूरा न करने वालों से होगी धन की रिकवरी।
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हरिद्वार में स्वीकृत 8,120 आवासों में से 4,348 अभी भी अधूरे पाए गए।
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शहरी विकास निदेशक Vinod Giri Goswami ने अधिकारियों का वेतन रोकने की चेतावनी दी।
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कई घरों में खिड़की, दरवाजे और शौचालय तक नहीं बनाए गए।
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डिफाल्टर लाभार्थियों को सूची से बाहर कर पैसा वापस लिया जाएगा।








