West Bengal Assembly Election 2026: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी तापमान चरम पर पहुंच गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गृहमंत्री अमित शाह के तीन दिवसीय बंगाल दौरे पर तीखा हमला करते हुए उन्हें ‘दुशासन’ और ‘भ्रष्टाचारी’ बताया है। वहीं अमित शाह ने खुला ऐलान कर दिया है कि 15 अप्रैल 2026 के बाद बंगाल में भाजपा की सरकार होगी। इस बीच चुनाव आयोग की SIR लिस्ट से 58 लाख से ज्यादा वोटरों के नाम कटने का मामला गरमा गया है।
ममता बनर्जी का तीखा हमला – ‘दुशासन आ चुके हैं बंगाल’
ममता बनर्जी ने आज खुले तौर पर गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ‘शकुनी के चेले दुशासन पश्चिम बंगाल आ चुके हैं। वह कुछ जानकारी इकट्ठा करना चाहते हैं और चुनाव आते ही आपको दुर्योधन भी नजर आएंगे।’ ममता ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘दुर्योधन’ और अमित शाह को ‘दुशासन’ की संज्ञा दी।
इससे भी आगे बढ़ते हुए ममता ने कहा, “भ्रष्टाचारी होम मिनिस्टर रिजाइन करो। तुम्हें पद छोड़ना होगा। एजेंसी दिखाते हो, जाके किसी बीजेपी वाले को अरेस्ट करो जो चोरी-डाका करता है।” यह पहली बार है जब ममता ने इतने खुले और तीखे शब्दों में गृहमंत्री पर हमला किया है।
अमित शाह का जवाबी वार – घुसपैठ पर ममता को घेरा
गृहमंत्री अमित शाह ने तीन दिवसीय बंगाल दौरे के दौरान घुसपैठ के मुद्दे पर ममता सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा, “हमने सात पत्र भेजे घुसपैठ को लेकर। गृह सचिव दिल्ली से आए और उन्होंने बंगाल के होम सेक्रेटरी से तीन मीटिंग की। लेकिन आप फेंसिंग के लिए जगह देते नहीं हैं।”
शाह ने सवाल उठाया, “मैं पूछना चाहता हूं तृणमूल कांग्रेस की सरकार को जमीन देने में क्या डर है? क्या आपकी कोई रिस्पांसिबिलिटी नहीं है या आप घुसपैठ होने देना चाहते हो?”
15 अप्रैल 2026 को BJP सरकार का ऐलान
अमित शाह ने खुलकर ऐलान कर दिया कि 15 अप्रैल 2026 के बाद बंगाल में भाजपा की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा, “हिंदुओं के हृदय पर घाव इतना गहरा बैठ गया है कि कोई मरहम काम नहीं आएगा। अब आपका जाने का समय तय हो गया है।”
शाह ने आगे कहा, “मोदी जी के नेतृत्व में बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के साथ ही यहां की विरासत को हम पुनर्जीवित करेंगे। विकास की गंगा फिर से बड़ी तेज गति से बहेगी।”
58 लाख वोटर कटे – ममता का बड़ा आरोप
इस पूरे सियासी संग्राम के बीच सबसे बड़ा मुद्दा है चुनाव आयोग की SIR (Special Summary Revision) लिस्ट। इस लिस्ट से 58 लाख 2000 वोटरों के नाम कट चुके हैं। ममता बनर्जी का आरोप है कि SIR के जरिए पश्चिम बंगाल में वोटरों का हेरफेर हो रहा है।
खास बात यह है कि जो वोट कटे हैं उनमें से 70% उन क्षेत्रों में कटे हैं जहां पिछली बार TMC जीती थी। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तुलना में टीएमसी को 60 लाख वोट ज्यादा मिले थे। यानी आंकड़े बिल्कुल फिट बैठते हैं।
ममता बनर्जी ने चेतावनी देते हुए कहा, “कान खड़ा रख। SIR माने सर्वनाश।”
मोहन भागवत का बयान – ‘हिंदू एक हों तो सत्ता पलटे’
हफ्ते भर पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत भी बंगाल में थे और उन्होंने खुल्लमखुल्ला राजनीतिक बात कही। भागवत ने कहा कि अगर पूरा हिंदू समाज एक हो जाए तो पश्चिम बंगाल की सत्ता पलट सकती है।
यह बयान बताता है कि बंगाल चुनाव को लेकर BJP और RSS दोनों कितने गंभीर हैं। एक तरफ स्वयंसेवकों की कतार है तो दूसरी तरफ गृहमंत्री खुद तीन दिनों से बंगाल में डटे हुए हैं।
बंगाल में BJP की वोट यात्रा – 17% से 38% तक
बंगाल में बीजेपी की ग्रोथ चौंकाने वाली है। 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब बीजेपी को पश्चिम बंगाल में सिर्फ 17% वोट मिले थे और दो सांसद चुनकर आए थे। यह 2019 में एक झटके में 41% हो गया और 18 सांसद चुनकर आ गए।
विधानसभा की बात करें तो 2016 में बीजेपी को सिर्फ 10% वोट मिले थे और तीन विधायक चुनकर आए थे। लेकिन 2021 में यह तीन से बढ़कर 77 हो गए और वोट प्रतिशत 38% पर पहुंच गया।
अब बीजेपी को सत्ता के लिए सिर्फ 35 लाख वोट और चाहिए। और SIR के जरिए 58 लाख से ज्यादा वोट कट चुके हैं जिसमें 70% TMC के गढ़ से हैं।
अधीर रंजन चौधरी की PM से मुलाकात – संयोग या रणनीति?
एक अजीबोगरीब संयोग देखिए। जिस समय गृहमंत्री अमित शाह बंगाल की यात्रा पर हैं, उसी समय दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी मिलने पहुंच गए।
अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में राहुल गांधी से पहले विपक्ष के नेता थे और उनकी ट्यूनिंग बीजेपी के साथ बहुत अच्छी मानी जाती है। मिलने के बाद उन्होंने कहा कि वे बंगाल के मजदूरों की प्रताड़ना का मुद्दा उठाने आए थे।
बंगाल में कॉर्पोरेट की क्या है असली भूमिका?
बंगाल को लेकर दिल्ली की सत्ता इतनी बेचैन क्यों है? इसका जवाब कॉर्पोरेट की मौजूदगी में छिपा है। पश्चिम बंगाल पूर्वी और दक्षिण-पूर्व एशिया का गेटवे है। यहां से ईस्ट साउथ का दरवाजा खुलता है।
बंगाल में दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियों की मौजूदगी है। IT सेक्टर में TCS, विप्रो, IBM, Google, Microsoft और कॉसेंट्रिक्स जैसी कंपनियां हैं। मैन्युफैक्चरिंग में एवरेडी, एक्साइड और GRSC हैं। BPO में भी कई बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं।
अंबानी और अडानी दोनों अपनी-अपनी तर्ज पर बंगाल में घुसने का प्रयास करते रहे और कुछ हद तक सफल भी हुए। रिलायंस रिटेल सेक्टर में घुस चुकी है और बंदरगाहों के मामले में अडानी की मौजूदगी है।
टॉप कंपनियों की बंगाल में मौजूदगी
पश्चिम बंगाल में जो बड़ी कंपनियां हैं उनकी सूची चौंकाने वाली है:
- IT सेक्टर: विप्रो, IBM, Jio Reliance (10,000 से ज्यादा कर्मचारी)
- इंडस्ट्री और एनर्जी: कोल इंडिया (CIL), एक्साइड इंडस्ट्री, हदिया एनर्जी लिमिटेड
- बैंकिंग: Axis बैंक, ICICI बैंक
- अन्य: इमामी लिमिटेड, बिरला कॉरपोरेशन, ITC, बालमेर लॉरेन एंड कंपनी, HPCL, महिंद्रा एंड महिंद्रा, IOC
एक दर्जन से ज्यादा बड़ी कंपनियों के मुनाफे का पैसा अगर विपक्ष की झोली में जा रहा है तो राजनीतिक तौर पर बीजेपी कभी भी मात नहीं कर पाएगी। यही असली चिंता है।
बंगाल की इकॉनमी – कृषि से लेकर IT तक
पश्चिम बंगाल की GDP में कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी देश के तमाम राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है – लगभग 68%। चाय, जूट और लेदर जैसी ट्रेडिशनल इंडस्ट्री के अलावा कोयला और लाइमस्टोन जैसे नेचुरल रिसोर्स भी भरे पड़े हैं।
मत्स्य पालन का पूरा बिजनेस है और कृषि क्षेत्र से जुड़े मजदूर और किसान मायने रखते हैं। जो ट्रेडिशनल तरीके पश्चिम बंगाल के भीतर हैं वो अभी भी जिंदा हैं।
ममता की नई रणनीति – गांधी का नाम
ममता बनर्जी अब अपनी रणनीति बदलती नजर आ रही हैं। वे समझ चुकी हैं कि अब कांग्रेस और महात्मा गांधी का साथ भी चाहिए। इसीलिए उन्होंने मनरेगा का जिक्र किया और कहा कि यह गांधी जी के नाम का प्रोग्राम था जिसे बंद कर दिया गया।
ममता ने कहा, “गांधी जी को हम क्या बोलते हैं – फादर ऑफ द नेशन, जाति नेता। गांधी जी के नाम का प्रोग्राम बंद कर दिया।”
BSF विमान से राजनीति – ममता का सवाल
ममता बनर्जी ने एक और तीखा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री की राजनीतिक यात्राओं में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स का विमान इस्तेमाल होता है। BSF के विमान से आकर आप राजनीतिक रैली करते हैं लेकिन BSF पश्चिम बंगाल की सीमा की रक्षा नहीं कर रही है।
मतलब साफ है – गृहमंत्री सीमा पर नहीं गए हैं, वह राजनीति साध रहे हैं।
आगे क्या होगा – ED, CBI और IT की एंट्री?
अगले तीन महीनों में बंगाल में ED, CBI और IT विभाग की सक्रियता बढ़ सकती है। जैसा बिहार, महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव से पहले हुआ, वैसा ही बंगाल में भी हो सकता है।
नारदा-शारदा की फाइलें, नियुक्तियों में गड़बड़ी की फाइलें और कोयला खदानों की फाइलें जिसमें अभिषेक बनर्जी का नाम भी है – ये सब खुल सकती हैं।
एक सवाल यह भी है कि क्या ममता बनर्जी को ही दो हिस्सों में तोड़ दिया जाए और अभिषेक बनर्जी चुनाव आते-आते उस राजनीतिक लकीर को पकड़ लें जो दूसरे राज्यों में पार्टियों के टूटने के बाद पकड़ी गई।
बांग्लादेश फैक्टर – विदेश नीति का मामला
बंगाल के चुनाव में एक और एंगल है – बांग्लादेश। पड़ोसी देश के साथ भारत के रिश्ते बिगड़ चुके हैं और वो पाकिस्तान के करीब है। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को साधना और पड़ोसियों के साथ संबंधों को कैसे साधना है – यह उस विदेश नीति का हिस्सा है जो दिल्ली के हाथ में होनी चाहिए।
इस लिहाज से भी बंगाल इस बार जीतना है। यही वजह है कि BSF के जवान और BSF के विमान में गृहमंत्री बंगाल पहुंचे हैं।
‘इस बार नहीं तो फिर नहीं’ – BJP का मंत्र
BJP और संघ के भीतर बंगाल को लेकर एक मैसेज है – “यह जोड़ी ही सब कुछ जीत सकती है और अब हारना नहीं है। इस बार नहीं तो फिर नहीं।”
कर्नाटक और बंगाल – यही दो जगह हैं जहां बीजेपी को लगता है कि वह कब्जा कर सकती है। तमिलनाडु अभी दूर की बात है। इन दो राज्यों में जो पैसा है वो विपक्ष की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए काफी है।
आम जनता पर असर
इस राजनीतिक लड़ाई का सीधा असर बंगाल के आम लोगों पर पड़ेगा। अगर 58 लाख वोटर सचमुच गलत तरीके से कटे हैं तो यह लोकतंत्र पर सवाल है। अगर घुसपैठ का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक है तो सीमावर्ती इलाकों के लोगों की सुरक्षा का क्या होगा? और अगर कॉर्पोरेट ही असली खेल है तो आम लोगों को विकास का लाभ कैसे मिलेगा?
मुख्य बातें (Key Points)
- ममता बनर्जी ने अमित शाह को ‘दुशासन’ और ‘भ्रष्टाचारी’ बताया, PM मोदी को ‘दुर्योधन’ कहा और गृहमंत्री से इस्तीफे की मांग की
- अमित शाह ने 15 अप्रैल 2026 को BJP सरकार बनाने का ऐलान किया; घुसपैठ के मुद्दे पर TMC सरकार को घेरा और फेंसिंग के लिए जमीन न देने का आरोप लगाया
- SIR लिस्ट से 58 लाख वोटरों के नाम कटे; ममता का आरोप है कि 70% कटे वोट TMC के गढ़ से हैं जबकि पिछले चुनाव में TMC को 60 लाख वोट ज्यादा मिले थे
- पश्चिम बंगाल में TCS, विप्रो, IBM, Google, Microsoft, Reliance, अडानी सहित दर्जनों बड़ी कंपनियां मौजूद हैं और यही कॉर्पोरेट हित असली राजनीतिक लड़ाई का कारण है






