Abhinav Bindra Task Force Report – भारत ने साल 2036 तक दुनिया के शीर्ष 10 खेल राष्ट्रों में शामिल होने का एक महत्वकांक्षी सपना देखा है। इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए अब खेल के मैदान के साथ-साथ ‘बोर्ड रूम’ में भी पसीना बहाया जाएगा। ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की अध्यक्षता में गठित कार्य बल (Task Force) ने खेल विभाग को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में भारतीय खेल प्रशासन की पुरानी ढांचे को पूरी तरह बदलकर उसे ‘प्रोफेशनल’ और ‘जवाबदेह’ बनाने का खाका तैयार किया गया है, ताकि भारत वैश्विक खेल मंच पर अपनी धाक जमा सके।
एनसीएसईसीबी: खेल शिक्षा का नया आयोग
रिपोर्ट की सबसे बड़ी सिफारिश एक नए स्वायत्त निकाय की स्थापना है। कार्य बल ने सुझाव दिया है कि युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के अधीन ‘राष्ट्रीय खेल शिक्षा और क्षमता निर्माण परिषद’ (NCSECB) का गठन किया जाए। यह संस्था खेल प्रशासन के प्रशिक्षण को विनियमित करेगी, उसे मान्यता देगी और सर्टिफिकेट प्रदान करेगी। आसान शब्दों में कहें तो, अब खेल चलाने वाले अधिकारी भी ‘ट्रेंड और सर्टिफाइड’ होंगे, जिससे सिस्टम में पारदर्शिता और कुशलता आएगी।
फेडरेशंस का होगा ‘रिपोर्ट कार्ड’
खेल प्रशासकों की क्षमता को परखने के लिए अभिनव बिंद्रा की टीम ने एक अनोखा ‘पांच-स्तरीय क्षमता परिपक्वता मॉडल’ (Capability Maturity Model – CMM) लागू करने की वकालत की है। यह मॉडल भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI), राष्ट्रीय खेल संघों (NSFs) और राज्य विभागों के लिए एक दर्पण की तरह काम करेगा। इसके जरिए यह देखा जाएगा कि किस विभाग में डिजिटल क्षमता कितनी है, कैडर संरचना कैसी है और खिलाड़ियों के विकास का रास्ता कितना साफ है। यह मॉडल सबूतों के आधार पर निगरानी करेगा और जहां कमी होगी, वहां सुधार के उपाय सुझाएगा।
अधिकारियों की ट्रेनिंग और रोटेशनल पोस्टिंग
रिपोर्ट में एक और अहम बात कही गई है कि भारतीय खेल प्राधिकरण और राज्य सिविल सेवा अधिकारियों की ट्रेनिंग में ‘खेल प्रशासन मॉड्यूल’ को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। इसका मतलब है कि नीति बनाने वाले आईएएस और अन्य अधिकारियों को खेलों की समझ होनी चाहिए। इसके अलावा, प्रशासकों को पेशेवर बनाने के लिए रोटेशनल पोस्टिंग, अप्रेंटिसशिप मॉडल और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी की भी सिफारिश की गई है।
विश्लेषण: ‘सिस्टम’ को सुधारने की कड़वी दवा (Expert Analysis)
अक्सर भारतीय खेलों में प्रतिभा की कमी नहीं, बल्कि प्रबंधन की कमी आड़े आती है। अभिनव बिंद्रा की यह रिपोर्ट उसी ‘दुखती रग’ पर हाथ रखती है। अब तक खेल संघों में नेताओं और नौकरशाहों का बोलबाला रहा है, जिनके पास खेल प्रबंधन की तकनीकी समझ कम होती थी। ‘राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, 2025’ के संदर्भ में यह रिपोर्ट गेम-चेंजर साबित हो सकती है। मई 2025 में सरकार ने पहले ही एनएसएफ (NSF) को अपने बजट का 10% प्रशासनिक स्टाफ पर खर्च करने की छूट दे दी है, जो बताता है कि सरकार अब ‘जुगाड़’ से नहीं, बल्कि ‘प्रोफेशनल टीम’ के जरिए खेल चलाना चाहती है। यह बदलाव भारत को 2036 ओलंपिक की मेजबानी और पदक तालिका के लिए तैयार करने में मील का पत्थर साबित होगा।
आम खिलाड़ी पर असर (Human Impact)
जब खेल प्रशासन सुधरेगा, तो उसका सीधा फायदा एथलीट को होगा। एक खिलाड़ी को अब फाइलों और बाबूगिरी के चक्कर में नहीं फंसना पड़ेगा। पेशेवर प्रशासक होने से खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं, समय पर फंड और अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग मिल पाएगी, जिससे वे अपना पूरा ध्यान सिर्फ मेडल जीतने पर लगा सकेंगे।
जानें पूरा मामला (Background)
खेल विभाग ने भारत को 2036 ओलंपिक तक एक खेल महाशक्ति बनाने के उद्देश्य से अभिनव बिंद्रा की अध्यक्षता में इस टास्क फोर्स का गठन किया था। इसका मुख्य काम खेल प्रशासनिक क्षमताओं को मजबूत करने के उपाय सुझाना था। विभाग फिलहाल इन सिफारिशों का मूल्यांकन कर रहा है ताकि भविष्य की कार्रवाई तय की जा सके।
मुख्य बातें (Key Points)
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Abhinav Bindra की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स ने खेल विभाग को रिपोर्ट सौंपी।
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NCSECB नामक नए स्वायत्त निकाय की स्थापना की सिफारिश की गई है।
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खेल संघों की क्षमता जांचने लिए 5-Level CMM Model लागू करने का सुझाव।
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National Sports Federations अब बजट का 10% प्रशासनिक स्टाफ पर खर्च कर सकते हैं।
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लक्ष्य भारत को 2036 तक शीर्ष 10 खेल राष्ट्रों में शामिल करना है।






