President Draupadi Murmu Speech – देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार, 30 दिसंबर 2025 को झारखंड की पावन धरती पर एक अहम संदेश दिया। गुमला जिले में आयोजित भव्य ‘अंतर्राज्यीय जनसंस्कृति समागम समारोह – कार्तिक जतरा’ में शिरकत करते हुए उन्होंने झारखंड को अपने लिए ‘तीर्थयात्रा’ के समान बताया। राष्ट्रपति ने आदिवासी समाज के युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी परंपराओं को साथ लेकर आधुनिकता की दौड़ में आगे बढ़ें।
झारखंड आना मेरे लिए तीर्थयात्रा जैसा
गुमला में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति भावुक नजर आईं। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की जन्म और कर्मभूमि झारखंड की यात्रा उनके लिए किसी तीर्थयात्रा से कम नहीं है। भगवान बिरसा मुंडा न केवल सामाजिक न्याय के प्रतीक हैं, बल्कि वे आदिवासी गौरव के उस शिखर का नाम हैं, जो हम सभी के लिए श्रद्धा का केंद्र है। उनके इस बयान ने वहां मौजूद हजारों लोगों के दिलों को छू लिया।
कार्तिक उरांव: शिक्षा और एकता के पुरोधा
समारोह में राष्ट्रपति ने ‘पंखराज साहब’ के नाम से मशहूर कार्तिक उरांव (Kartik Oraon) को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि कार्तिक उरांव ने भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों पर चलते हुए आदिवासी चेतना को नया आयाम दिया। उन्होंने अपना पूरा जीवन आदिवासी समुदाय और राष्ट्र के उत्थान के लिए होम कर दिया। शिक्षा का प्रसार हो या सामाजिक एकता को मजबूत करना, कार्तिक उरांव हमेशा अग्रणी रहे। राष्ट्रपति ने लोगों से संकल्प लेने को कहा कि वे उनके आदर्शों पर चलकर समाज और देश का विकास करेंगे।
युवाओं के लिए खास संदेश: जड़ें और उड़ान
राष्ट्रपति मुर्मू ने युवाओं और भावी पीढ़ी को लेकर गहरी चिंता और उम्मीद दोनों जताई। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आदिवासी समुदायों की परंपराओं से युवाओं को जोड़ना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने मंत्र दिया कि युवाओं को अपनी ‘आदिवासी विरासत और पहचान’ को सुरक्षित रखते हुए आधुनिक विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ना चाहिए। विरासत और विकास का यह संतुलन ही समाज को प्रगति के पथ पर ले जाएगा।
विश्लेषण: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नई परिभाषा (Expert Analysis)
राष्ट्रपति का यह दौरा और उनका संबोधन केवल एक औपचारिक घटना नहीं है, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता के सशक्तिकरण का एक मजबूत दस्तावेज है। जिस तरह उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा और कार्तिक उरांव को एक ही धागे में पिरोया, वह बताता है कि भारत का नेतृत्व अब अपने ‘गुमनाम नायकों’ को मुख्यधारा में ला रहा है। राष्ट्रपति का यह कहना कि ‘सरकार संग्रहालय बना रही है, लेकिन विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना समाज का दायित्व है’, यह दर्शाता है कि वे समाज को आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बनाना चाहती हैं। यह भाषण आदिवासी युवाओं के लिए एक ‘वेक-अप कॉल’ है कि वे अपनी संस्कृति को हीनता नहीं, बल्कि शक्ति मानें।
आम लोगों पर असर (Human Impact)
गुमला और आसपास के आदिवासी इलाकों के लोगों के लिए, देश के सर्वोच्च पद पर बैठीं एक आदिवासी महिला का उनके बीच आना और उनकी भाषा-संस्कृति की बात करना, आत्मसम्मान को कई गुना बढ़ा देता है। इससे युवाओं में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ेगा और वे अपनी संस्कृति को लेकर और अधिक गर्व महसूस करेंगे।
जानें पूरा मामला (Background)
‘कार्तिक जतरा’ झारखंड के प्रमुख सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है, जो महान आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कार्तिक उरांव की याद में मनाया जाता है। 30 दिसंबर 2025 को आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। सरकार इन दिनों आदिवासी संग्रहालयों के जरिए जनजातीय नायकों की गाथाओं को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है।
मुख्य बातें (Key Points)
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President Draupadi Murmu ने गुमला में कार्तिक जतरा समारोह में भाग लिया।
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उन्होंने झारखंड की यात्रा को Pilgrimage (तीर्थयात्रा) के समान बताया।
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Kartik Oraon (पंखराज साहब) के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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युवाओं से Tribal Heritage को संरक्षित रखते हुए आधुनिक बनने की अपील की।
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सरकार आदिवासी नायकों के सम्मान में Museums का निर्माण कर रही है।






