INSV Kaundinya Maiden Voyage – भारत की गौरवशाली और समृद्ध समुद्री परंपराओं का एक नया अध्याय आज पोरबंदर के तट से शुरू हुआ। भारतीय नौसेना का अनूठा जहाज, ‘आईएनएसवी कौंडिन्य’ (INSV Kaundinya), अपनी पहली ऐतिहासिक यात्रा पर पोरबंदर से ओमान के मस्कट के लिए रवाना हो गया है। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने जहाज के डिजाइनरों, कारीगरों और नौसेना को बधाई देते हुए इसे भारत की प्राचीन इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना बताया।
Wonderful to see that INSV Kaundinya is embarking on her maiden voyage from Porbandar to Muscat, Oman. Built using the ancient Indian stitched-ship technique, this ship highlights India's rich maritime traditions. I congratulate the designers, artisans, shipbuilders and the… pic.twitter.com/bVfOF4WCVm
— Narendra Modi (@narendramodi) December 29, 2025
‘बिना कील’ का अनोखा जहाज
आईएनएसवी कौंडिन्य कोई साधारण जहाज नहीं है। इसे भारत की हजारों साल पुरानी और लुप्त होती ‘सिलाई-जहाज तकनीक’ (Stitched-Ship Technology) से बनाया गया है। इसमें लकड़ी के तख्तों को जोड़ने के लिए लोहे की कीलों का इस्तेमाल नहीं किया गया है, बल्कि उन्हें रस्सियों और विशेष रेशों से सिला गया है। यह तकनीक प्राचीन काल में भारतीय नाविकों को तूफानी समुद्रों में भी सुरक्षित रखती थी, क्योंकि सिलाई वाले जहाज लहरों के थपेड़ों को बेहतर तरीके से झेल सकते हैं।
पीएम मोदी ने ‘एक्स’ पर दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए लिखा, “यह देखकर बेहद खुशी हुई कि आईएनएसवी कौंडिन्य पोरबंदर से ओमान के लिए रवाना हो रहा है। प्राचीन भारतीय सिलाई-जहाज तकनीक से निर्मित यह जहाज भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं का जीवंत उदाहरण है।” उन्होंने इस प्रोजेक्ट को साकार करने वाले कारीगरों और जहाज निर्माताओं की मेहनत की सराहना की और चालक दल को सुरक्षित यात्रा की शुभकामनाएं दीं।
खाड़ी देशों से ऐतिहासिक रिश्तों की नई डोर
यह यात्रा सिर्फ एक समुद्री सफर नहीं है, बल्कि भारत और खाड़ी देशों (Gulf Region) के बीच सदियों पुराने व्यापारिक और सांस्कृतिक रिश्तों को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है। प्राचीन काल में भारतीय व्यापारी इसी तरह के जहाजों से मसालों और कपड़ों का व्यापार करने ओमान और अन्य अरब देशों तक जाते थे। आईएनएसवी कौंडिन्य की यह यात्रा उस स्वर्णिम इतिहास की याद दिलाती है।
विश्लेषण: ‘विरासत’ और ‘विज्ञान’ का संगम (Expert Analysis)
आधुनिक युग में जब दुनिया स्टील और फाइबर के जहाजों पर निर्भर है, भारत का अपनी जड़ों की ओर लौटना एक साहसिक और वैज्ञानिक कदम है। सिलाई वाली तकनीक न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि यह साबित करती है कि हमारे पूर्वजों के पास इंजीनियरिंग का कितना गहरा ज्ञान था। ‘प्रोजेक्ट मौसम’ के तहत बनाई गई यह पहल भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ (Soft Power) को दुनिया के सामने मजबूती से रखती है। यह बताता है कि हम आधुनिकता की दौड़ में अपनी विरासत को भूले नहीं हैं, बल्कि उसे नई पहचान दे रहे हैं।
आम आदमी पर असर (Human Impact)
यह खबर हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। यह युवाओं को अपनी संस्कृति और इतिहास को जानने के लिए प्रेरित करती है। साथ ही, यह प्रोजेक्ट पारंपरिक कारीगरों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोल सकता है, जिनकी कला मशीनी युग में खोती जा रही थी।
जानें पूरा मामला (Background)
आईएनएसवी कौंडिन्य का निर्माण भारतीय नौसेना और संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से किया गया है। इसका उद्देश्य भारत की प्राचीन जहाज निर्माण कला को पुनर्जीवित करना है। गोवा में पारंपरिक कारीगरों ने महीनों की मेहनत से इसे तैयार किया है। पोरबंदर से मस्कट की यह यात्रा इस जहाज की पहली अग्निपरीक्षा होगी।
मुख्य बातें (Key Points)
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INSV Kaundinya अपनी पहली यात्रा पर पोरबंदर से ओमान के मस्कट के लिए रवाना।
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यह जहाज प्राचीन भारतीय Stitched-Ship Technology (सिलाई तकनीक) से बना है।
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PM Narendra Modi ने कारीगरों और नौसेना को बधाई दी और यात्रा को ऐतिहासिक बताया।
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इस जहाज में लोहे की कीलों की जगह लकड़ी के तख्तों को रस्सियों से सिला गया है।
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यात्रा का उद्देश्य भारत और Gulf Region के ऐतिहासिक संबंधों को पुनर्जीवित करना है।






