Kuldeep Sengar Case: आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्नाव रेप केस में भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित कर जमानत देने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने का स्वागत किया है। “आप” के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सोशल मीडिया समेत तमाम मंचों पर आवाज उठाने वाले लोगों को बधाई देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत पर रोक लगाने से राइट विंग के उत्साही प्रयासों को तगड़ा झटका लगा है। सबको पता था कि कुलदीप सेंगर के केस में हाईकोर्ट का आदेश कानून की नजर में गलत था और इस पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा देगा। इसके बाद भी राइट विंग ये परखने की कोशिश कर रहा था कि समाज में इस फैसले का कितना विरोध होता है?
सौरभ भारद्वाज ने एक्स पर कुलदीप सिंग सेंगर के पक्ष में खड़े राइट विंग के सोशल मीडिया चैंपियंस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि हर कोई जानता था कि कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में हाई कोर्ट का आदेश कानून की नजर में गलत था और सुप्रीम कोर्ट उस पर रोक लगा देगा। इसके बावजूद, राइट विंग यह परखने की कोशिश कर रहा था कि सिविल सोसाइटी की ओर से कितना विरोध किया जाएगा। सोशल मीडिया पर मौजूद राइट विंग इको-सिस्टम के एक हिस्से ने माहौल को भांपने की कोशिश की।
सौरभ भारद्वाज ने इसकी तुलना कुछ माह पहले सुप्रीम कोर्ट के दलित मुख्य न्यायाधीश पर फेंके गए जूते की घटना से करते हुए कहा कि यह घटना भी ठीक वैसी ही है, जैसे राइट विंग ने दलित मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंके जाने के “विरोध” का टेस्ट लिया था। राइट विंग के इन दोनों प्रयासों का खुलकर विरोध करने वाले सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई।
उधर, “आप” के सांसद और उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि यह बहुत ही अजीब बात है कि उन्नाव रेप केस में लुका-छिपी का खेल चल रहा है। मैंने शुरुआत में ही कहा था कि सीबीआई ने हाई कोर्ट के सामने सारे तथ्य क्यों नहीं रखे, जबकि इस केस में एक हत्या हो चुकी है, पीड़िता पर हमला भी हो चुका है और तमाम परिस्थितियां कोर्ट की जानकारी में हैं। यदि सीबीआई ने हाई कोर्ट में ठीक ढंग से पैरवी की होती और अच्छे से मुकदमा लड़ा होता, तो आरोपी को जमानत नहीं मिल पाती। यह सरकार के इशारे पर किया गया या कैसे किया गया, मुझे नहीं मालूम, लेकिन इसका सीधा लाभ कुलदीप सिंह सेंगर को मिला।
संजय सिंह ने कहा कि इसे लेकर दिल्ली सहित पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए, पीड़िता ने विरोध किया और प्रदर्शन करने वालों को गिरफ्तार भी किया गया। इसके बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करके यह फैसला दिया है। इससे न्याय व्यवस्था के प्रति लोगों के मन में एक बार फिर से भरोसा जगा है, लेकिन हाई कोर्ट में जो हुआ, वह ठीक नहीं था।






