Mining Mafia War: 2007 से 2017 तक पंजाब ने जितने भी माफिया राज झेले हैं, वे सभी भाजपा और अकाली दल के शासन के दौरान थे। चाहे वह केबल माफिया हो, रेत माफिया, नशा तस्करी या ट्रांसपोर्ट माफिया, यह सारा तंत्र उनके साझा राज के दौरान फला-फूला। उस समय से पहले पंजाब में न तो माइनिंग माफिया के बारे में पता था और न ही कभी संगठित रेत माफिया का नाम सुना गया था।
भाजपा और अकाली दल के सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस ने उनके माफिया राज की विरासत को बचाने के लिए कदम बढ़ाए। सत्ता में आने के बाद ‘आप’ ने सिर्फ उस गंदगी को साफ करने पर ध्यान दिया है जो सालों की राजनीतिक सरपरस्ती और आपराधिक मिलीभगत से पैदा हुई थी।
आप सरकार ने गैरकानूनी माइनिंग के खिलाफ जीरो टॉलरेंस (बिल्कुल बर्दाश्त न करने) की नीति अपनाई है। इसकी मिसाल 26-27 दिसंबर की आधी रात को की गई कार्रवाई से मिलती है, जिसमें माजरी और डेराबस्सी में 20 एफआईआर दर्ज की गईं, 15 गिरफ्तारियां हुईं और भारी मात्रा में सामान जब्त किया गया।
‘पंजाब स्टेट माइनिंग पॉलिसी 2025’ के सहयोग से, जो जमीन मालिकों द्वारा माइनिंग को कानूनी मान्यता देती है और जीपीएस ट्रैकिंग व सीसीटीवी निगरानी को अनिवार्य बनाती है, टेक्नोलॉजी-आधारित अमल योजनाबद्ध तरीके से माइनिंग माफिया के शिकंजे को खत्म कर रहा है।






