Bangladesh Hindu Crisis – पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं (Hindus in Bangladesh) के हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। वहां का माहौल अब सिर्फ तनावपूर्ण नहीं, बल्कि भयावह हो चुका है। हाल ही में दीपू चंद्र दास (Dipu Chandra Das) और अमृत मंडल (Amrit Mandal) की बर्बर लिंचिंग (Mob Lynching) ने हिंदू समुदाय को हिलाकर रख दिया है। जान बचाने के लिए अब बांग्लादेशी हिंदू भारत सरकार से एक ही गुहार लगा रहे हैं- “कृपया बॉर्डर खोल दीजिए, हमें बचा लीजिए।”
‘अगला नंबर हमारा हो सकता है’
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, रंगपुर, ढाका और मयमनसिंह में रहने वाले हिंदुओं ने अपनी दर्दनाक दास्तां साझा की है। रंगपुर के एक 52 वर्षीय हिंदू ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “सड़क पर चलते हुए हमें ताने सुनने पड़ते हैं, अपमान सहना पड़ता है। हमें डर है कि अगला नंबर हमारा हो सकता है। हम बेबस हैं और हमारे पास भागने की कोई जगह नहीं है।” उन्होंने कहा कि वे सिर्फ भारत की ओर ही उम्मीद से देख रहे हैं, लेकिन बॉर्डर पर कड़ी सुरक्षा के कारण वे वहां भी नहीं जा पा रहे।
तारिक रहमान की वापसी से बढ़ा खौफ
बांग्लादेश में हिंदुओं की चिंता का एक बड़ा कारण पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (Khaleda Zia) के बेटे तारिक रहमान (Tarique Rahman) की संभावित वापसी भी है। तारिक रहमान को वहां कट्टरपंथी छवि वाला नेता माना जाता है। हिंदुओं को डर है कि अगर बीएनपी (BNP) सत्ता में आती है, तो अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और बढ़ जाएंगे। उनका मानना है कि शेख हसीना की अवामी लीग ही उनकी एकमात्र रक्षक थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।
भारत में भी विरोध के सुर तेज
बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भारत में भी गुस्सा फूट पड़ा है। पश्चिम बंगाल में हिंदू संगठनों ने बांग्लादेशी वीजा ऑफिस और सोनाली बैंक का घेराव किया है। ‘बांग्ला हिंदू महामंच’ के अध्यक्ष विक्रमादित्य मंडल ने चेतावनी दी है कि अगर वहां हिंदुओं को सुरक्षा नहीं मिली, तो यहां बांग्लादेशी अधिकारियों को काम नहीं करने दिया जाएगा। वहीं, अभिनेता मनोज जोशी (Manoj Joshi) ने भी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि गाजा-फिलिस्तीन पर बोलने वाले लोग हिंदुओं की हत्या पर चुप क्यों हैं?
विश्लेषण: क्या 1971 जैसे हालात बन रहे हैं? (Expert Analysis)
बांग्लादेश में हिंदुओं की घटती आबादी और बढ़ता कट्टरपंथ एक गंभीर संकेत है। 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद यह शायद सबसे बुरा दौर है जब हिंदू समुदाय इतना असुरक्षित महसूस कर रहा है। ‘सनातन जागरण मंच’ के कार्यकर्ता का यह कहना कि “हम नरसंहार की ओर बढ़ रहे हैं”, स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। अगर भारत सरकार ने कूटनीतिक दबाव नहीं बनाया या शरणार्थियों के लिए कोई नीति नहीं अपनाई, तो यह मानवीय संकट एक बड़ी त्रासदी में बदल सकता है। यह सिर्फ एक धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।
जानें पूरा मामला (Background)
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बाद से ही कट्टरपंथी ताकतें सिर उठा रही हैं। मंदिरों में तोड़फोड़, मूर्तियों का अपमान और अब टारगेटेड किलिंग्स (Targeted Killings) ने हिंदुओं का जीना मुहाल कर दिया है। दीपू और अमृत की हत्या इसी नफरत का परिणाम थी, जिसने पूरे समुदाय को दहशत में डाल दिया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Bangladesh के हिंदू नागरिकों ने भारत से बॉर्डर खोलने की अपील की।
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Dipu Chandra Das और Amrit Mandal की लिंचिंग के बाद दहशत का माहौल।
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Tarique Rahman (खालिदा जिया के बेटे) की वापसी से हिंदुओं में डर।
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पश्चिम बंगाल में हिंदू संगठनों ने Visa Office और सोनाली बैंक का घेराव किया।
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अभिनेता Manoj Joshi ने बांग्लादेशी हिंदुओं की चुप्पी पर सवाल उठाए।






