Gujarat Family Kidnapped in Libya News – विदेश में बसने की चाहत ने गुजरात के एक परिवार को जिंदगी और मौत के बीच ला खड़ा किया। मेहसाणा जिले के बादलपुरा (मेऊ) गांव का एक दंपत्ति और उनकी 3 साल की मासूम बच्ची, एजेंटों के झांसे में आकर पुर्तगाल के सपने देख रहे थे, लेकिन उनकी किस्मत उन्हें लीबिया के नर्क में ले गई। एजेंटों ने धोखे से उन्हें लीबिया में उतार दिया, जहां उन्हें किडनैपर्स ने 18 दिनों तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उन्हें बेहिसाब शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं। आखिर में, 85 लाख रुपये की भारी-भरकम फिरौती चुकाने के बाद यह परिवार सुरक्षित अपने घर लौट पाया है।
दुबई के रास्ते पुर्तगाल का वादा, लीबिया में धोखा
किस्मत सिंह चावड़ा 29 नवंबर को अपनी पत्नी और 3 साल की बच्ची के साथ एक बेहतर भविष्य की तलाश में निकले थे। एजेंटों ने उन्हें अहमदाबाद से दुबई और फिर वहां से पुर्तगाल भेजने का वादा किया था। दुबई में दो दिन रुकने के बाद, उन्हें यह कहकर लीबिया ले जाया गया कि वहां सिर्फ 4 घंटे का होल्ड है। लेकिन लीबिया उतरते ही उनका पासपोर्ट, मोबाइल, और 6000 यूरो (करीब 5.5 लाख रुपये) छीन लिए गए। उन्हें एक होटल में ले जाने के बहाने एक मकान में कैद कर दिया गया।
18 दिन का नर्क: अलग-अलग कमरों में कैद
किडनैपर्स ने पति और पत्नी को अलग-अलग कमरों में बंद कर दिया। मासूम बच्ची भी इस खौफ का हिस्सा बनी। किडनैपर्स ने वीडियो कॉल के जरिए भारत में उनके रिश्तेदारों को डराया-धमकाया और रिहाई के लिए शुरुआत में 1 करोड़ रुपये की मांग की। किस्मत सिंह के रिश्तेदार महिपाल सिंह राणा ने बताया कि उन्होंने किडनैपर्स के साथ मोलभाव किया और आखिरकार 80-85 लाख रुपये देने पर सहमति बनी।
1.15 करोड़ गंवाए, पर जान बची
यह परिवार पहले ही एजेंट को 30 लाख रुपये दे चुका था। फिरौती की रकम मिलाकर उन्होंने कुल करीब 1 करोड़ 15 लाख रुपये गंवा दिए। हालांकि, परिवार वालों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन से सहयोग मिला, लेकिन सरकारी प्रक्रिया लंबी होने के कारण और परिवार की सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने पैसे देकर जान बचाना ही सही समझा। अब वे धोखेबाज एजेंट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं।
विश्लेषण: सपनों का सौदा और अवैध कबूतरबाजी
यह घटना एक बार फिर ‘कबूतरबाजी’ या अवैध इमिग्रेशन (Illegal Immigration) के काले सच को उजागर करती है। गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों में युवाओं के बीच विदेश जाने का क्रेज इतना हावी है कि वे अक्सर बिना जांच-पड़ताल के एजेंटों के जाल में फंस जाते हैं। ‘डंकी रूट’ (Dunki Route) के जरिए अवैध तरीके से अमेरिका या यूरोप जाने की कोशिश में कई बार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है या फिरौती का शिकार होना पड़ता है। सरकार को ऐसे फर्जी एजेंटों पर नकेल कसने के लिए और सख्त कानून बनाने चाहिए और युवाओं को भी जागरूक होना होगा कि शॉर्टकट का रास्ता अक्सर मुसीबत की ओर ले जाता है।
जानें पूरा मामला
मेहसाणा का यह परिवार 29 नवंबर को पुर्तगाल जाने के लिए घर से निकला था। एजेंट ने उन्हें वैध वीजा और सुरक्षित यात्रा का भरोसा दिलाया था। लेकिन दुबई पहुंचने के बाद, उनका रूट बदल दिया गया और उन्हें लीबिया भेज दिया गया, जो मानव तस्करी और अपहरण के लिए कुख्यात है। वहां उन्हें बंधक बना लिया गया और रिहाई के बदले मोटी रकम की मांग की गई।
मुख्य बातें (Key Points)
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Mehsana का परिवार 18 दिनों तक लीबिया में किडनैपर्स के चंगुल में रहा।
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एजेंटों ने Portugal भेजने के नाम पर लीबिया में ले जाकर फंसाया।
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किडनैपर्स ने पासपोर्ट और पैसे छीने, Rs 1 Crore की फिरौती मांगी।
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रिश्तेदारों ने Rs 85 Lakh देकर परिवार को सुरक्षित छुड़ाया।
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कुल 1.15 Crore रुपये गंवाने के बाद परिवार की वतन वापसी हुई।






