War Against Drugs in Punjab – पंजाब की भगवंत सिंह मान सरकार द्वारा राज्य को नशा मुक्त बनाने के लिए शुरू की गई मुहिम ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। इस अभियान के लगातार 300वें दिन पंजाब पुलिस ने पूरे राज्य में एक बड़ा और सघन तलाशी अभियान चलाया। पुलिस की इस मुस्तैदी ने नशा तस्करों की कमर तोड़ दी है। वीरवार को राज्य भर में 327 स्थानों पर छापेमारी की गई, जिसमें 84 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया। मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों का पालन करते हुए पुलिस प्रशासन ने न केवल तस्करों को सलाखों के पीछे भेजा है, बल्कि नशे की लत में फंसे युवाओं को नई जिंदगी देने की पहल भी शुरू की है।
एक ही दिन में 63 एफआईआर, भारी मात्रा में नशा बरामद
पुलिस महानिदेशक (DGP) के दिशा-निर्देशों पर चलाए गए इस विशेष अभियान के दौरान 64 राजपत्रित अधिकारियों (Gazetted Officers) की देखरेख में 900 से अधिक पुलिसकर्मियों की 100 से ज्यादा टीमों ने हिस्सा लिया। दिन भर चले इस ऑपरेशन में पुलिस ने 360 संदिग्ध व्यक्तियों की गहन जांच की और 63 नई एफआईआर दर्ज कीं। गिरफ्तार किए गए तस्करों के पास से पुलिस ने 2.8 किलोग्राम हेरोइन, 1 किलोग्राम अफीम, 518 नशीली गोलियां/कैप्सूल और 8,890 रुपये की ड्रग मनी बरामद की है। यह कार्रवाई साबित करती है कि नशा माफिया के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति धरातल पर काम कर रही है।
300 दिनों का लेखा-जोखा: 41 हजार से ज्यादा गिरफ्तारियां
पिछले 300 दिनों में पंजाब पुलिस ने नशा तस्करी के नेटवर्क को ध्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आंकड़ों के मुताबिक, इस अवधि में अब तक कुल 41,881 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह आंकड़ा बताता है कि पुलिस किस स्तर पर जाकर काम कर रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पंजाब से नशे का नामोनिशान नहीं मिट जाता, यह जंग जारी रहेगी। इस अभियान की निगरानी के लिए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा की अध्यक्षता में एक विशेष 5 सदस्यीय कैबिनेट सब-कमेटी भी लगातार काम कर रही है।
ईडीपी रणनीति: सिर्फ पकड़ना नहीं, सुधारना भी है लक्ष्य
पंजाब सरकार ने नशों के खात्मे के लिए सिर्फ पुलिसिया डंडे का ही इस्तेमाल नहीं किया है, बल्कि एक मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए तीन-स्तरीय रणनीति ‘ईडीपी’ (EDP) – इन्फोर्समेंट (Enforcement), डी-एडिक्शन (De-addiction) और प्रिवेंशन (Prevention) लागू की है। इसी सोच के तहत, पुलिस ने आज 27 नशा पीड़ितों को नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्रों में इलाज कराने के लिए प्रेरित किया। यह कदम दर्शाता है कि सरकार का उद्देश्य न केवल अपराधियों को सजा देना है, बल्कि भटके हुए युवाओं को समाज की मुख्यधारा में वापस लाना भी है।
विश्लेषण: एक उम्मीद की किरण (Expert Analysis)
पंजाब लंबे समय से नशे की समस्या से जूझ रहा है, जिसने न जाने कितने परिवारों को बर्बाद किया है। लेकिन पिछले 300 दिनों में जिस तरह से सरकार और पुलिस ने समन्वित प्रयास किए हैं, वह एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है। इन्फोर्समेंट के साथ-साथ डी-एडिक्शन पर जोर देना एक दूरदर्शी कदम है। अगर यह मुहिम इसी सख्ती और संवेदनशीलता के साथ जारी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब पंजाब फिर से अपनी खुशहाली और जवानी के लिए जाना जाएगा, न कि नशे के लिए। हालांकि, सीमावर्ती राज्य होने के कारण चुनौतियां बड़ी हैं, लेकिन इच्छाशक्ति उससे भी बड़ी नजर आ रही है।
जानें पूरा मामला (Background)
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सत्ता में आते ही नशा मुक्त पंजाब का वादा किया था। इसी वादे को पूरा करने के लिए ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ अभियान की शुरुआत की गई। पुलिस कमिशनरों और एसएसपी को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने इलाकों में नशा तस्करों की पहचान करें और उन पर कड़ी कार्रवाई करें। साथ ही, नशा पीड़ितों को अपराधी मानने के बजाय मरीज मानकर उनका इलाज कराने पर जोर दिया जा रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Punjab Police ने ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ मुहिम के 300वें दिन 84 तस्करों को गिरफ्तार किया।
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अब तक कुल 41,881 नशा तस्कर पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं।
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एक दिन में 2.8 Kg Heroin और 1 Kg अफीम समेत नशीली गोलियां बरामद।
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‘डी-एडिक्शन’ पहल के तहत 27 लोगों को नशा मुक्ति इलाज के लिए भेजा गया।
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अभियान की निगरानी के लिए 5 सदस्यीय Cabinet Sub-Committee गठित की गई है।






