2025 Year Ender India : साल 2025 भारतीय लोकतंत्र के लिए कई गंभीर सवाल लेकर आया और जाते-जाते देश की जनता को सोचने पर मजबूर कर गया। वोट चोरी के आरोपों से लेकर चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर उठे सवाल, ऑपरेशन सिंदूर के नतीजों पर बहस से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के सामने भारत की स्थिति तक – इस साल ने कई ऐसे पहलू उजागर किए जो आम नागरिक के जीवन से सीधे जुड़े हैं।
आर्थिक मोर्चे पर मिडिल क्लास की बढ़ी मुश्किलें
साल 2025 में डॉलर 91 रुपये तक जा पहुंचा और सोने की कीमतें इतनी आसमान छूने लगीं कि शादियों में लोग अब कम खरा सोना गिफ्ट देने लगे हैं। मिडिल क्लास की हालत यह हो गई कि वह टैक्स देते-देते थक गया लेकिन उसे राहत कहीं नजर नहीं आई। पीएम इंटर्नशिप योजना की जितनी बड़ी हेडलाइन छपी थी, उस हिसाब से जमीन पर लोगों को इंटर्नशिप नहीं मिली और योजना की असलियत उम्मीदों से कोसों दूर साबित हुई।
अहमदाबाद एयर इंडिया हादसे की जांच अधूरी
अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान हादसे में 170 से अधिक लोगों की जान चली गई, लेकिन छह महीने बीत जाने और साल खत्म होने के बावजूद जांच रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है। लोकसभा में जब सांसद मनीष तिवारी ने इस बारे में सवाल पूछा तो जवाब में बस इतना बताया गया कि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के अनुसार एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो जांच कर रहा है। मारे गए लोगों के परिवारों को आज भी नहीं पता कि उनके अपनों के साथ आखिर हुआ क्या था।
75 की उम्र पार, मार्गदर्शक मंडल से इनकार
इस साल दो प्रमुख नेता 75 वर्ष की उम्र पार कर गए, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि दोनों ने मार्गदर्शक मंडल में जाने से साफ इनकार कर दिया। जिन लोगों को उम्मीद थी कि 75 की उम्र पूरी होने पर पार्टी में कुछ बड़ा बदलाव होगा और नई पीढ़ी को मौका मिलेगा, उन सबको जबरदस्त निराशा हाथ लगी और उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
RSS के 100 साल और आजादी की लड़ाई का सवाल
आरएसएस ने 2025 में अपने 100 साल पूरे किए और सबको उम्मीद थी कि इस मौके पर कोई बड़ा और भव्य आयोजन होगा, लेकिन ऐसा कुछ खास हुआ नहीं। उल्टा वंदे मातरम की बहस में विपक्ष ने आरएसएस को जमकर घेर लिया और सवाल उठाया कि 1925 से 1947 के बीच के 22 सालों में आरएसएस आजादी की लड़ाई में आखिर कहां थी। संसद में तो यहां तक पूछा गया कि आरएसएस के चार लोगों का नाम बताओ जो वंदे मातरम का नारा लगाकर जेल गए, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिला।
प्रसार भारती और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग
सरकार ने प्रसार भारती के जरिए करोड़ों रुपये खर्च करके इन्फ्लुएंसर्स से सड़कों और रेलवे की तारीफ में वीडियो बनवाए। इस पर सवाल उठा कि अगर सड़कों और रेल की वाकई में कोई क्रांति आई होती तो क्या गोदी मीडिया खुद से यह वीडियो नहीं बना देता? सैकड़ों करोड़ का विज्ञापन तो 2014 से गोदी मीडिया को मिल ही रहा था, फिर अलग से इन्फ्लुएंसर्स को पैसे देने की क्या जरूरत पड़ी – यह सवाल बना रहा।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर विवाद
पहलगाम में जब आतंकी हमला हुआ तो भारत ने भी जवाबी कार्रवाई की, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के नतीजों को लेकर देश में बहस छिड़ गई। भारत के विमान मार गिराए जाने की खबरें विदेश से आने लगीं और सैनिक अधिकारियों ने इशारों में इसकी पुष्टि भी कर दी, लेकिन फिर दबाव पड़ने पर खंडन कर दिया गया। पूर्व सेना अध्यक्ष वेद प्रकाश मलिक ने खुद कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का क्या नतीजा निकला, इस पर भविष्य में विचार-विमर्श किया जाता रहेगा। इसके अलावा 30 से अधिक देशों में सांसदों के दल भेजने पड़े और करोड़ों रुपये खर्च हुए।
चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल
2025 का सबसे बड़ा झटका लोकतंत्र के पहले और आखिरी भरोसे यानी चुनाव आयोग को लगा। मुख्य चुनाव आयुक्त संवेदनशील मुद्दों पर गंभीरता दिखाने की जगह “थर्ड क्लास शायरी” सुनाते रहे और ईवीएम पर शायरी पढ़ी कि “अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं, वफा खुद से नहीं होती, खता ईवीएम की कहते हो।” इसी दौर में महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव हुए और अगस्त 2025 में राहुल गांधी ने खुलेआम वोट चोरी के आरोप लगाए।
वोट चोरी का साल
अगर 2025 को किसी एक चेहरे से परिभाषित करना हो तो वह है वोट चोरी। इस साल वोट की चोरी हुई, वोटर का नाम लिस्ट से कटा, वोट खरीदा गया और शर्म की बात यह रही कि लोगों ने खुद अपना वोट बेचा भी। मामला संसद तक पहुंचा लेकिन कुछ भी नहीं हुआ और सब कुछ दबा दिया गया। दुखद यह रहा कि जनता के वोट के लिए जिंदगी भर लड़ने वाले जगदीप छोकर साहब इसी साल दुनिया छोड़ गए और भ्रष्ट जजों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने वाले मुंबई के जाने-माने वकील इकबाल छागला भी गुजर गए।
जगदीप धनखड़ का चुपचाप इस्तीफा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक और चुपचाप अपने पद से इस्तीफा दे दिया। विपक्ष के नेता उन्हें विदाई देना चाहते थे और उनसे सवाल-जवाब करना चाहते थे, लेकिन वे बिना किसी को बताए चले गए। हैरानी की बात यह रही कि किसी ने पूछा तक नहीं कि इस्तीफा क्यों दिया, गोदी मीडिया ने उन्हें घेरा तक नहीं और धनखड़ ने भी कभी नहीं बताया कि वे क्यों गए।
ट्रंप के सामने भारत की स्थिति
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कई बार खुलेआम दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर उन्होंने कराया और ट्रेड डील की धमकी देकर यह संभव हुआ। भारत की तरफ से कोई आधिकारिक घोषणा होने से पहले ही ट्रंप ने बता दिया था कि सीजफायर होने वाला है। इस पूरे मामले में एक बार भी प्रधानमंत्री मोदी कोई जवाब नहीं दे पाए। उल्टा ट्रंप ने भारत पर टैरिफ भी लाद दिया और इसके खिलाफ प्रधानमंत्री का कोई बयान 2025 में नहीं आया। स्थिति यह हो गई कि ट्रंप जहां-जहां जाते थे, प्रधानमंत्री मोदी ने वहां-वहां जाना बंद कर दिया।
इंडिगो का यात्रियों से बर्ताव
इंडिगो एयरलाइन ने 2025 में लाखों यात्रियों को बीच रास्ते में पैदल कर दिया और उतार दिया। बेचारे लोग एयरपोर्ट पर भटकते रहे, बिलखते रहे, लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा। कंपनी ने बस अखबारों में “वी आर सॉरी” का एक विज्ञापन छपवा दिया और मामला रफा-दफा हो गया। जिस देश की जनता G20 को भूल गई जिसका पोस्टर गांव-गांव में लगा था, वह इंडिगो का यह बर्ताव भी भूल जाएगी।
दिल्ली की जहरीली हवा
दिल्ली में हवा इतनी जहरीली हो गई कि लोग बीमार पड़ने लगे, लेकिन दिल्ली खामोश रही और किसी ने कुछ नहीं कहा। आसमान में तबाही तैर रही थी और लोग उसे और बढ़ाने के लिए पटाखे फोड़कर “परंपरा की रक्षा” कर रहे थे। मानव जाति के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हो रहा था कि लोग जानते-बूझते अपनी और अपने बच्चों की सेहत को दांव पर लगा रहे थे।
नेहरू – समानांतर प्रधानमंत्री
2025 में भी नेहरू पर हमले जारी रहे और उनका नाम बार-बार लिया जाता रहा। संसद में प्रियंका गांधी ने एक अनोखा सुझाव दिया कि नेहरू से जितनी भी शिकायतें हैं, उनकी एक पूरी सूची बना लें, चाहे वह 9999 अपमानों की सूची हो। एक बार में 10-20-40 घंटे की बहस करके “वंस एंड फॉर ऑल” इस चैप्टर को बंद कर दें। उसके बाद देश की असली समस्याओं जैसे बेरोजगारी, महंगाई और पीएमओ में क्या हो रहा है, बेटिंग ऐप के मामले – इन पर चर्चा हो। नेहरू ने एक बात साबित कर दी कि वे केवल भारत के पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं बल्कि नरेंद्र मोदी के समानांतर प्रधानमंत्री हैं, क्योंकि दो कदम चलने के बाद मोदी को पीछे मुड़कर देखना ही पड़ता है कि नेहरू आ रहे हैं या नहीं।
क्या है पृष्ठभूमि
2025 का यह विश्लेषण उन तमाम घटनाओं पर आधारित है जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र और आम जनता के जीवन को गहरे तक प्रभावित किया। चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठे, आर्थिक चुनौतियों ने मिडिल क्लास की कमर तोड़ दी, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उतार-चढ़ाव आए और मीडिया की भूमिका पहले से ज्यादा सवालों के घेरे में आ गई। ये सब मिलकर एक ऐसी तस्वीर बनाते हैं जो 2026 के लिए एक गंभीर चेतावनी है। जैसा कि कहा गया – “2025 ने तय कर दिया है कि 2026 भयावह होगा।” सर्दी के दिन हैं और अगर लोग वीडियो देखते-देखते सो जाते हैं तो समझ में आता है कि अच्छी नींद सेहत के लिए जरूरी है, लेकिन गहरी नींद देश के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
मुख्य बातें (Key Points)
- वोट चोरी के आरोप: महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में वोट चोरी के गंभीर आरोप लगे, चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठे और मामला संसद तक पहुंचा लेकिन कुछ नहीं हुआ।
- ऑपरेशन सिंदूर विवाद: पहलगाम हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई के नतीजों पर बहस छिड़ी और पूर्व सेना अध्यक्ष ने भी सवाल उठाए कि असल में हुआ क्या।
- आर्थिक दबाव: डॉलर 91 रुपये पहुंचा, सोना इतना महंगा हुआ कि शादियों में कम सोना मिलने लगा और मिडिल क्लास पर बोझ लगातार बढ़ता गया।
- ट्रंप फैक्टर: अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीजफायर का श्रेय लिया, भारत पर टैरिफ लगाए और प्रधानमंत्री मोदी इन मुद्दों पर जवाब नहीं दे पाए।
- लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर: चुनाव आयोग से लेकर न्यायपालिका तक हर जगह सवाल उठते रहे और जवाबदेही का अभाव दिखा।






