Jaipur Chomu Violence – राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास चोमू कस्बे में एक धार्मिक स्थल के बाहर रखे पत्थरों को हटाने को लेकर जबरदस्त सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया है। गुरुवार तड़के करीब 3 बजे भड़की इस हिंसा में दो समुदायों के लोग आपस में भिड़ गए, जिसके बाद जमकर पथराव हुआ। बेकाबू भीड़ ने मौके पर पहुँची पुलिस टीम को भी निशाना बनाया, जिसमें 6 से 7 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए चोमू में अगले 24 घंटों के लिए इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी हैं। फिलहाल इलाके में भारी पुलिस बल तैनात है और फ्लैग मार्च निकालकर शांति बहाल करने की कोशिश की जा रही है।
45 साल पुराने ‘पत्थर’ पर क्यों मचा बवाल?
विवाद की जड़ चोमू स्थित कलंदरी मस्जिद के बाहर करीब 45 सालों से सड़क किनारे पड़े कुछ पत्थरों से जुड़ी है। इन पत्थरों की वजह से इलाके में आए दिन ट्रैफिक जाम की समस्या बनी रहती थी, जिसकी शिकायत स्थानीय लोग लंबे समय से कर रहे थे। इसी समस्या के समाधान के लिए पुलिस और मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच आपसी सहमति बनी थी कि इन पत्थरों को हटा दिया जाए। हालांकि, पत्थर हटने के बाद जब तड़के सुबह कुछ लोग वहां लोहे के एंगल गाड़कर रेलिंग बनाने पहुंचे, तो दूसरे समुदाय के लोगों ने इसका विरोध किया, जिसने देखते ही देखते हिंसक मोड़ ले लिया।
पुलिस पर हमला और 40 उपद्रवियों की गिरफ्तारी
हिंसा की खबर मिलते ही पुलिस जब बस स्टैंड इलाके में पहुँची, तो उपद्रवियों ने उन पर भी पथराव शुरू कर दिया। अराजक तत्वों ने सरकारी काम में बाधा डाली और कानून को हाथ में लिया। स्थिति को बिगड़ता देख पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। पश्चिम जिले के डीसीपी हनुमान प्रसाद मीणा ने बताया कि कुछ शरारती तत्वों ने स्थाई अतिक्रमण करने की कोशिश की थी, जिसे रोकने पर पुलिस पर हमला किया गया। मामले में अब तक 40 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है और सीसीटीवी फुटेज के जरिए अन्य आरोपियों की पहचान की जा रही है।
बीजेपी-कांग्रेस में ‘सियासी पथराव’
इस घटना ने राजस्थान की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है। बीजेपी नेता रामलाल शर्मा ने कहा कि पुलिस ने केवल ट्रैफिक सुधारने के लिए एक्शन लिया था और अराजकता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पलटवार करते हुए इसे पुलिस प्रशासन की नाकामी बताया है। डोटासरा का आरोप है कि जब सहमति केवल पत्थर हटाने की हुई थी, तो पुलिस की मंशा मस्जिद पर कार्रवाई करने की क्यों बदल गई? उन्होंने दावा किया कि संबंधित मस्जिद पर पहले से कोर्ट का स्टे है, इसके बावजूद पुलिस ने हालात बिगाड़ दिए।
विश्लेषण: सहमति के बाद क्यों भड़की आग? (Expert Analysis)
यह मामला बेहद पेचीदा है क्योंकि हिंसा तब भड़की जब दोनों पक्षों के बीच पहले ही सहमति बन चुकी थी। यह साफ तौर पर उन ‘असामाजिक तत्वों’ की साजिश लगती है जो शांतिपूर्ण समझौते को हजम नहीं कर पा रहे थे। जब प्रशासन और समुदाय के प्रतिनिधि मिलकर किसी समस्या का हल निकालते हैं, तो तीसरे पक्ष द्वारा अतिक्रमण की कोशिश करना केवल उकसावे की कार्रवाई है। पुलिस पर हमला यह दर्शाता है कि कानून का डर कम हो रहा है। ऐसे संवेदनशील मामलों में जहां धर्म और अतिक्रमण की पतली लकीर हो, वहां प्रशासन को और अधिक सतर्क रहना चाहिए था। इंटरनेट बंद करना अफवाहों को रोकने के लिए सही कदम है, लेकिन स्थाई शांति के लिए संवाद की प्रक्रिया को फिर से बहाल करना होगा।
जानें पूरा मामला (Background)
चोमू में कलंदरी मस्जिद के बाहर सड़क चौड़ीकरण और ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए प्रशासन ने पत्थर हटाने का निर्णय लिया था। इससे पहले पुलिस और समुदाय के बीच शांतिपूर्ण बैठक हुई थी। लेकिन तड़के सुबह लोहे के एंगल गाड़ने की घटना ने विश्वास की इस कड़ी को तोड़ दिया। इससे पहले जयपुर के हवा महल क्षेत्र में भी इसी तरह का विवाद देखने को मिला था, जिससे क्षेत्र में सांप्रदायिक संवेदनशीलता बनी हुई है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Jaipur Chomu में मस्जिद के बाहर अतिक्रमण हटाने पर दो समुदायों में हिंसक झड़प।
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उपद्रवियों के पथराव में 7 पुलिसकर्मी घायल, इलाके में इंटरनेट सस्पेंड।
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पुलिस ने अब तक 40 से ज्यादा संदिग्धों को हिरासत में लिया है।
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बीजेपी ने इसे कानून व्यवस्था का मामला बताया, कांग्रेस ने पुलिस की मंशा पर उठाए सवाल।
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फिलहाल इलाके में शांति बहाल करने के लिए भारी पुलिस जाब्ता और फ्लैग मार्च जारी।






