India US Trade Deal – भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक खींचतान अब एक निर्णायक मोड़ पर आ गई है। भारत ने अमेरिका के सामने अपना ‘फाइनल और आखिरी ऑफर’ रख दिया है, जिसने वाशिंगटन से लेकर दिल्ली तक की कूटनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। भारत ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि हमारे सामान पर लगने वाले भारी-भरकम टैक्स को कम किया जाए और रूस से तेल खरीदने पर लगाई गई ‘पेनाल्टी’ को तुरंत हटाया जाए। यह केवल एक व्यापारिक प्रस्ताव नहीं, बल्कि न्यू इंडिया का वह आत्मविश्वास है जो दुनिया की महाशक्ति से भी बराबरी की बात कर रहा है।
क्या है भारत का ‘आखिरी ऑफर’?
खबरों के मुताबिक, भारत ने अमेरिका के साथ चल रही Trade Negotiation में अपना अंतिम प्रस्ताव पेश कर दिया है। वर्तमान में अमेरिका भारतीय सामानों पर कुल 50% तक का Tariff (टैक्स) लगाता है। भारत की मांग स्पष्ट है—इस 50% टैरिफ को घटाकर सीधे 15% पर लाया जाए। इतना ही नहीं, भारत ने उस 25% एक्स्ट्रा Penalty को भी पूरी तरह खत्म करने को कहा है, जो अमेरिका ने सिर्फ इसलिए लगाई थी क्योंकि भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदा था।
रूसी तेल: विवाद की असली जड़
अमेरिका और भारत के बीच तनाव का मुख्य कारण ‘रूसी तेल’ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आरोप था कि भारत, रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को Fund कर रहा है। इसी नाराजगी में अमेरिका ने भारत पर दोतरफा मार की थी—25% ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ और 25% अलग से रूसी तेल खरीदने की सजा के तौर पर। लेकिन भारत ने बिना झुके साफ कर दिया था कि वह अपने नागरिकों के हितों और अपनी Economy को ध्यान में रखकर ही फैसले लेगा। अब भारत का यह प्रस्ताव उसी दृढ़ता का परिणाम है।
बर्फ पिघल रही है: ट्रंप के बदले सुर
कभी तल्ख तेवर दिखाने वाले डोनाल्ड ट्रंप अब थोड़े नरम पड़ते दिख रहे हैं। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को अपना “अच्छा दोस्त” बताया। जानकारों का मानना है कि चीन (China) की बढ़ती चुनौती और भारत के बढ़ते वैश्विक वर्चस्व को देखते हुए ट्रंप को यह समझ आ गया है कि भारत को अलग-थलग करना अमेरिका के लिए ही घाटे का सौदा होगा। यदि अमेरिका भारत का साथ छोड़ता है, तो रणनीतिक रूप से नुकसान वाशिंगटन का ही होगा। यही वजह है कि अब दोनों देशों के बीच बातचीत की मेज पर सहमति के आसार बनते दिख रहे हैं।
अगर डील हुई तो आम आदमी को क्या मिलेगा?
अगर अमेरिका भारत के इस ‘आखिरी ऑफर’ को मान लेता है, तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे:
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सस्ता पेट्रोल-डीजल: रूसी तेल पर से पेनाल्टी हटने का मतलब है कि भारत बिना किसी दबाव के सस्ता तेल खरीदता रहेगा, जिससे देश में पेट्रोल-डीजल के दाम काबू में रहेंगे।
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रोजगार और एक्सपोर्ट: टैरिफ 15% होने पर भारतीय सामान अमेरिका में सस्ता होगा, जिससे Export बढ़ेगा। कंपनियों को ज्यादा ऑर्डर मिलेंगे, जिसका सीधा असर भारत में रोजगार (Employment) के नए अवसर पैदा होने पर पड़ेगा।
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मजबूत रुपया: डॉलर का इनफ्लो (Inflow) बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी।
गेंद अब ट्रंप के पाले में
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने संकेत दिए हैं कि Trade Deal जल्द हो सकती है, हालांकि कोई तारीख तय नहीं है। दिल्ली में दोनों देशों की टीमों के बीच मैराथन बैठकें हुई हैं। भारत ने अपना पत्ता चल दिया है, अब गेंद ट्रंप के पाले में है। ट्रंप, जो अपनी अप्रत्याशित फैसलों के लिए जाने जाते हैं, क्या भारत की शर्तों को मानेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा, लेकिन इतना तय है कि भारत अब झुकने के मूड में नहीं है।
जानें पूरा मामला (Background)
अमेरिका ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति के तहत दूसरे देशों के सामानों पर भारी टैक्स लगाता है। भारत पर कुल 50% टैरिफ थोपा गया था, जिसमें 25% सामान्य टैक्स और 25% रूस से तेल खरीदने के कारण लगाई गई पेनाल्टी शामिल थी। दोनों देश अब एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) पर काम कर रहे हैं ताकि इस गतिरोध को खत्म किया जा सके।
मुख्य बातें (Key Points)
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भारत ने अमेरिका को 50% टैरिफ घटाकर 15% करने का प्रस्ताव दिया है।
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रूस से तेल खरीदने पर लगी 25% Penalty को पूरी तरह हटाने की मांग।
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वाणिज्य सचिव के अनुसार, दोनों देशों के बीच जल्द समझौता होने की उम्मीद है।
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अगर डील होती है, तो भारतीय Export बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
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ट्रंप के तेवर अब नरम पड़ रहे हैं, जो भारत की कूटनीतिक जीत का संकेत है।






