New Cheque Clearing Rules – भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने करोड़ों बैंक ग्राहकों को एक बड़ा झटका दिया है। चेक क्लीयरेंस में तेजी लाने के लिए जो New Cheque Clearing Rules जनवरी 2026 से लागू होने वाले थे, उन्हें अब अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया है। आरबीआई ने बैंकों की तैयारियों में कमी को देखते हुए यह फैसला लिया है।
बैंक ग्राहकों के लिए एक जरूरी खबर है। अगर आप चेक के जरिए लेन-देन करते हैं और उम्मीद कर रहे थे कि नए साल से आपका चेक महज 3 घंटे में क्लियर हो जाएगा, तो आपको अभी और इंतजार करना होगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने ‘कंटीन्यूअस क्लियरिंग एंड सेटलमेंट सिस्टम’ (CCS) के दूसरे चरण (Phase-2) को लागू करने की समय सीमा को आगे बढ़ा दिया है। यह नियम 3 जनवरी 2026 से लागू होना था, लेकिन अब इसे अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है।
क्या था ‘फेज-2’ का 3 घंटे वाला नियम?
आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक, ‘फेज-2’ का मकसद चेक क्लीयरेंस को सुपर-फास्ट बनाना था। इस नियम के तहत, बैंकों को चेक की इमेज (Image) मिलने के मात्र 3 घंटे के भीतर उसे मंजूर (Approve) या खारिज (Reject) करना होता। अगर बैंक 3 घंटे में जवाब नहीं देता, तो चेक को अपने आप ‘पास’ मान लिया जाता। इससे ग्राहकों को पैसा उसी दिन और बेहद कम समय में मिल जाता। लेकिन आरबीआई ने पाया कि बैंक अभी इस ‘सुपर-फास्ट’ व्यवस्था के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं, इसलिए इसे फिलहाल होल्ड पर डाल दिया गया है।
अभी कैसे काम करेगा सिस्टम? (Phase-1 जारी रहेगा)
राहत की बात यह है कि चेक क्लीयरेंस का ‘फेज-1’, जो 4 अक्टूबर 2025 से लागू है, वह बदस्तूर जारी रहेगा। इस व्यवस्था में भी चेक क्लीयरेंस पहले के मुकाबले काफी तेज है।
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प्रेजेंटेशन का समय: बैंक सुबह 9:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक चेक क्लीयरेंस के लिए भेज सकते हैं।
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मंजूरी का समय: बैंकों को सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक चेक को कन्फर्म या रिजेक्ट करना होता है।
इस सिस्टम में ‘कंटीन्यूअस क्लियरिंग’ होती है, यानी बैंक चेक जमा होते ही उसकी इमेज स्कैन करके क्लीयरिंग हाउस को भेज देते हैं। उन्हें दिन के अंत तक किसी बैच (Batch) का इंतजार नहीं करना पड़ता।
विश्लेषण: रफ़्तार पर क्यों लगा ब्रेक?
एक वरिष्ठ संपादक के नजरिए से देखें तो आरबीआई का यह कदम ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ वाली सोच पर आधारित है। फेज-1 लागू होने के बाद कुछ तकनीकी दिक्कतें सामने आई थीं। चेक की स्कैनिंग, इमेज क्वालिटी और सर्वर पर लोड जैसी समस्याओं से बैंक जूझ रहे थे। ऐसे में अगर 3 घंटे की सख्त डेडलाइन वाला ‘फेज-2’ बिना पूरी तैयारी के लागू कर दिया जाता, तो फ्रॉड और गलत क्लीयरेंस का खतरा बढ़ सकता था। आरबीआई ने गति से ज्यादा सुरक्षा और स्थिरता को प्राथमिकता दी है, जो लंबी अवधि में ग्राहकों के हित में है।
पुराने दिनों की सुस्त रफ्तार अब इतिहास
भले ही फेज-2 टल गया हो, लेकिन बैंकिंग सिस्टम पुराने ढर्रे पर नहीं लौटा है। पहले चेक क्लियर होने में 2 से 3 दिन लग जाते थे, क्योंकि फिजिकल चेक को एक बैंक से दूसरे बैंक भेजना पड़ता था। अब ‘चेक ट्रंकेशन सिस्टम’ (CTS) के जरिए सब कुछ डिजिटल इमेज और इलेक्ट्रॉनिक डेटा पर आधारित है। फेज-1 के तहत भी अगर आप सुबह चेक जमा करते हैं, तो शाम तक पैसा आपके खाते में आने की पूरी संभावना रहती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Phase-2 Postponed: 3 जनवरी 2026 से लागू होने वाला 3 घंटे का क्लीयरेंस नियम टला।
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Phase-1 Active: 4 अक्टूबर 2025 से चल रही मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी।
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New Timings: चेक प्रेजेंटेशन अब सुबह 9 से 3 बजे तक और कन्फर्मेशन शाम 7 बजे तक होगा।
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Reason: बैंकों को अपनी कार्यप्रणाली और सिस्टम को सुधारने के लिए और समय दिया गया है।






