Shashi Tharoor Nalanda Visit – कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद Shashi Tharoor हाल ही में बिहार के दौरे पर थे, जहाँ उन्होंने राजगीर स्थित प्राचीन Nalanda University के खंडहरों का भ्रमण किया। वहां के इतिहास और विरासत को देखकर थरूर इतने भावुक हो गए कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक कविता शेयर कर बिहार के लोगों का दिल जीत लिया।
राजनीति के शोर-शराबे से दूर, जब एक विद्वान राजनेता इतिहास की गलियों में कदम रखता है, तो क्या होता है, इसका जीता-जागता उदाहरण शशि थरूर ने पेश किया है। बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के बीच खड़े होकर थरूर ने न केवल उस दौर को महसूस किया, बल्कि शब्दों में एक ऐसी तस्वीर उकेरी जिसने हर भारतीय को अपने अतीत पर गर्व करने का मौका दे दिया। उन्होंने साफ कहा कि किताबें जलाने से इतिहास नहीं मरता, और ‘हिंद’ जैसा खास कोई नहीं मरता।
‘जलाने से इतिहास नहीं मरता…’
शशि थरूर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में नालंदा के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए एक बेहद मार्मिक कविता साझा की। उन्होंने लिखा, “नालंदा गजब इतिहास है अपना, गजब बीता जमाना था… कवि, शायर और दर्शन के बड़े विद्वान आते थे।” थरूर ने अपनी चंद लाइनों में उस दर्द और उम्मीद को बयां कर दिया जब उन्होंने लिखा, “जलाने से किताबें चंद कभी इतिहास नहीं मरता, जो मरते होंगे वो हैं आम, हिंद सा खास नहीं मरता।”
उनका यह अंदाज बता रहा था कि 1600 साल पुराने उन ईंटों के बीच खड़े होकर, जहां कभी दुनिया भर के छात्र और शिक्षक रहते थे, उन्हें एक विस्मयकारी और विनम्रतापूर्वक अनुभव हुआ। उन्होंने कहा कि यह अविश्वसनीय लगता है कि भारत ने विश्व के पहले विश्वविद्यालय की मेजबानी की थी।
मीडिया रिपोर्ट पर थरूर का पलटवार
इस दौरे के दौरान एक दिलचस्प वाकया भी हुआ। जब शशि थरूर ने बिहार के इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़कों, बापू टावर और बिहार म्यूजियम की तारीफ की, तो कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसे मौजूदा सरकार या किसी नेता की तारीफ के तौर पर पेश किया गया। इस पर थरूर ने तुरंत स्पष्टीकरण दिया।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हमारे मीडिया को ऐसी बुनियादी टिप्पणियों पर राजनीतिक विवाद खड़ा करने की क्या जरूरत है? उन्होंने साफ किया कि उन्होंने न तो भाजपा का जिक्र किया और न ही किसी मुख्यमंत्री का। उन्होंने केवल नालंदा विश्वविद्यालय, बापू टावर और बिहार म्यूजियम जैसे शानदार स्थलों की प्रशंसा की और भारतीयों को यहां आने के लिए प्रोत्साहित किया।
विश्लेषण: राजनीति से ऊपर विरासत का सम्मान
एक वरिष्ठ संपादक के नजरिए से देखें तो शशि थरूर का यह दौरा और उनकी प्रतिक्रिया यह साबित करती है कि विरासत किसी पार्टी की नहीं, बल्कि देश की होती है। थरूर ने जिस तरह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर बिहार के विकास कार्यों (जैसे अच्छी सड़कें और सुविधाएं) की सराहना की, वह एक परिपक्व लोकतंत्र की निशानी है। उनका यह संदेश कि “हमें उस खोए हुए गौरव को पुनर्जीवित करना है,” युवाओं के लिए एक प्रेरणा है कि वे अपने सुनहरे अतीत को जानें और उससे सीखें।
जानें पूरा मामला (Background)
शशि थरूर 23 दिसंबर को बिहार के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने पटना और राजगीर के कई ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया। नालंदा विश्वविद्यालय, जिसे प्राचीन काल में ज्ञान का केंद्र माना जाता था और जिसे आक्रांताओं ने जला दिया था, वहां पहुंचकर थरूर ने छात्रों से भी संवाद किया। उनके द्वारा साझा की गई तस्वीरें और कविता अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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शशि थरूर ने नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों का दौरा कर भावुक कविता लिखी।
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उन्होंने कहा, 1600 साल पुराने इतिहास के बीच खड़ा होना एक विस्मयकारी अनुभव था।
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विकास कार्यों की तारीफ को राजनीतिक रंग देने पर थरूर ने मीडिया को आड़े हाथों लिया।
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उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी तारीफ किसी नेता के लिए नहीं, बल्कि बिहार की धरोहरों के लिए थी।






