Chandigarh Mayor Election Politics : चंडीगढ़ नगर निगम (Chandigarh Municipal Corporation) में मेयर चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा सियासी भूचाल आ गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के दो पार्षदों ने पाला बदलते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया है। बुधवार को AAP की महिला पार्षद सुमन देवी और पूनम देवी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली, जिससे निगम के सदन का पूरा गणित ही बदल गया है। अब तक गठबंधन के भरोसे जीत का दावा कर रही AAP और कांग्रेस बैकफुट पर आ गई हैं।
भाजपा का मास्टरस्ट्रोक, अमित शाह के दौरे से पहले बड़ा खेल
इस सियासी उलटफेर की पटकथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पंचकूला दौरे से ठीक पहले लिखी गई। भाजपा की पूर्व मेयर सरबजीत कौर, उनके पति काला और भाजपा पार्षद कंवर राणा की मौजूदगी में दोनों AAP नेताओं को पार्टी में शामिल कराया गया।
सूत्रों के मुताबिक, आज पंचकूला दौरे के दौरान इन दोनों पार्षदों की मुलाकात गृह मंत्री अमित शाह से भी करवाई जा सकती है। जनवरी में होने वाले मेयर चुनाव से पहले भाजपा का यह कदम विपक्ष के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
आंकड़ों का खेल: जादुई नंबर 19 के करीब पहुंची भाजपा
इस दलबदल के बाद चंडीगढ़ नगर निगम में सीटों का गणित पूरी तरह बदल चुका है।
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कुल वोट: 36 (35 पार्षद + 1 सांसद का वोट)।
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बहुमत का आंकड़ा: 19 वोट।
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भाजपा की नई स्थिति: पहले भाजपा के पास 14 पार्षद और 1 सांसद का वोट मिलाकर 15 वोट थे, और शिरोमणि अकाली दल के 1 पार्षद के समर्थन से यह संख्या 16 थी। अब AAP के 2 पार्षदों के आने से भाजपा के अपने पार्षदों की संख्या 16 हो गई है। सांसद किरण खेर का वोट और अकाली दल का साथ मिलाकर भाजपा अब 18 के मजबूत आंकड़े पर पहुंच गई है।
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विपक्ष (AAP-कांग्रेस) की हालत: AAP के पास अब सिर्फ 11 पार्षद बचे हैं। कांग्रेस के पास 6 पार्षद और सांसद मनीष तिवारी का वोट मिलाकर 7 वोट हैं। यानी गठबंधन के पास कुल 18 वोट ही रह गए हैं।
अब मुकाबला 18-18 की बराबरी पर आ खड़ा हुआ है, जिससे क्रॉस वोटिंग की संभावना और भी बढ़ गई है।
गठबंधन के हाथ से फिसल सकते हैं डिप्टी मेयर पद भी
चंडीगढ़ की मौजूदा मेयर हरप्रीत कौर बबला (BJP) हैं। पिछली बार कांग्रेस और AAP ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन क्रॉस वोटिंग के कारण मेयर पद भाजपा के खाते में गया था। हालांकि, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पद कांग्रेस को मिले थे।
इस बार बदले हुए समीकरणों को देखते हुए लग रहा है कि गठबंधन के हाथ से मेयर के साथ-साथ सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पद भी फिसल सकते हैं। भाजपा अब सदन में ‘सिंगल लार्जेस्ट पार्टी’ बनकर उभरी है।
विश्लेषण: हर साल क्यों बिखर जाता है विपक्ष?
यह चंडीगढ़ की राजनीति का एक पैटर्न बन गया है। 2022 से लेकर अब तक, हर बार मेयर चुनाव के समय भाजपा आखिरी मौके पर बाजी मार ले जाती है। चाहे 2022 में 1 वोट से जीत हो, या 2024 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कुलदीप कुमार का मेयर बनना। इस बार भी चुनाव से ऐन पहले पार्षदों का टूट जाना यह दर्शाता है कि स्थानीय स्तर पर AAP और कांग्रेस अपने पार्षदों को एकजुट रख पाने में नाकाम साबित हो रही हैं। यह अस्थिरता सीधे तौर पर शहर के विकास कार्यों को प्रभावित करती है, क्योंकि सदन में राजनीति हावी रहती है और फैसले लटक जाते हैं।
जानें पूरा मामला
चंडीगढ़ में हर साल मेयर का चुनाव होता है। यह 5 साल का कार्यकाल होता है जिसमें हर साल आरक्षण की स्थिति बदलती है। जनवरी 2026 में होने वाला चुनाव इस कार्यकाल का पांचवां और आखिरी चुनाव होगा। इससे पहले ही भाजपा ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने अनिल मसीह प्रकरण में हस्तक्षेप किया था, लेकिन 2025 में भाजपा ने फिर वापसी कर ली थी।
मुख्य बातें (Key Points)
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Defection: AAP पार्षद सुमन देवी और पूनम देवी भाजपा में शामिल।
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Numbers: भाजपा गठबंधन के पास अब 18 वोट, विपक्ष के पास भी 18 वोट।
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Majority Mark: मेयर बनने के लिए 19 वोटों की जरूरत है।
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Impact: जनवरी में होने वाले मेयर चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी हुआ।






