Libya Army Chief Death: 23 दिसंबर की काली रात तुर्की के आसमान में एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने जिओपॉलिटिक्स की दुनिया में भूचाल ला दिया है। तुर्की की राजधानी अंकारा के पास एक प्राइवेट जेट क्रैश होने से लीबिया की सेना के ‘रीढ़’ माने जाने वाले चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद अली अहमद अल-हद्दाद की दर्दनाक मौत हो गई। उड़ान भरने के महज 40 मिनट बाद रडार से गायब हुए इस विमान में कुल 8 लोग सवार थे, और कोई भी जिंदा नहीं बच सका।
रात का सन्नाटा था और तुर्की के अंकारा स्थित ‘एसएन बोगा एयरपोर्ट’ से एक प्राइवेट जेट ने उड़ान भरी। गंतव्य था लीबिया की राजधानी त्रिपोली। विमान में लीबिया के सबसे ताकतवर और सम्मानित सैन्य अधिकारी जनरल मोहम्मद अली अहमद अल-हद्दाद अपनी टीम के साथ सवार थे। सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन उड़ान भरने के करीब 40 मिनट बाद ही पायलट ने कंट्रोल टावर को एक खौफनाक संदेश भेजा—”इलेक्ट्रिकल फॉल्ट है, इमरजेंसी लैंडिंग चाहिए।”
आसमान में धमाका और रडार से गायब विमान
पायलट की अपील के बाद विमान को तुरंत वापस अंकारा की ओर मोड़ा गया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इससे पहले कि विमान रनवे को छू पाता, वह रडार से गायब हो गया। कुछ ही देर बाद अंकारा के ‘हैमाना’ इलाके से काला धुआं उठता दिखाई दिया। जब बचाव दल वहां पहुंचा, तो सिर्फ मलबा और आग की लपटें थीं। इस भयानक हादसे में विमान में सवार सभी 8 लोगों की जान चली गई।
मरने वालों में जनरल अल-हद्दाद के अलावा जनरल अल फितोरी घरवीली, ब्रिगेडियर जनरल महमूद अल कतावी, सैन्य सलाहकार मोहम्मद अल असावी और फोटोग्राफर मोहम्मद उमर अहमद महजूब समेत तीन क्रू मेंबर शामिल हैं।
लीबिया की ‘सैन्य रीढ़’ का टूटना
यह हादसा लीबिया के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। जनरल अल-हद्दाद सिर्फ एक अधिकारी नहीं थे, बल्कि वे पश्चिमी लीबिया की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार (GNU) की सैन्य ताकत का आधार थे। तुर्की समर्थित इस सरकार के लिए वे एक मजबूत स्तंभ थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि 2011 में मुअम्मर गद्दाफी के पतन के बाद बंटे हुए लीबिया (पूर्वी और पश्चिमी गुट) में वे उन गिने-चुने लोगों में से थे, जिनका सम्मान दोनों धड़े करते थे। उन्हें लीबिया को जोड़ने वाले ‘ब्रिज’ के रूप में देखा जाता था।
हादसा या गहरी साजिश? उठ रहे सवाल
जैसे ही विमान के क्रैश होने की खबर आई, पूरी दुनिया में एक ही सवाल गूंजने लगा—क्या यह महज तकनीकी खराबी थी या कोई सोची-समझी साजिश? तुर्की सरकार का कहना है कि अभी तक किसी साजिश या छेड़छाड़ के सबूत नहीं मिले हैं और पायलट ने खुद इलेक्ट्रिकल फॉल्ट की बात कही थी। लेकिन कुछ स्थानीय सीसीटीवी फुटेज ने शक गहरा दिया है, जिनमें आसमान में एक तेज रोशनी और विस्फोट जैसा दृश्य दिखाई दिया है।
कौन उठा सकता है फायदा?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि अगर यह हमला था, तो इसका फायदा किसे होगा? एक्सपर्ट्स की मानें तो अल-हद्दाद की मौत से तुर्की समर्थित GNU सरकार की सैन्य पकड़ कमजोर होगी, जिसका सीधा फायदा पूर्वी लीबिया के कमांडर जनरल खलीफा हफ्तार को हो सकता है। दबी जुबान में कई देशों और खुफिया एजेंसियों के नाम भी लिए जा रहे हैं, लेकिन फिलहाल यह सब केवल अटकलें हैं और कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है।
संपादकीय विश्लेषण: कूटनीति पर गहरा असर
एक वरिष्ठ संपादक के नजरिए से देखें तो यह घटना सामान्य नहीं है। तुर्की की धरती पर एक विदेशी और इतना हाई-प्रोफाइल जनरल मारा जाता है, तो यह तुर्की की सुरक्षा व्यवस्था और उसकी कूटनीति दोनों के लिए चुनौती है। तुर्की कतई नहीं चाहेगा कि उसकी जमीन पर हुई यह घटना कोई राजनयिक विवाद बने। अल-हद्दाद की मौत से लीबिया में पूर्व और पश्चिम के बीच एकता की जो थोड़ी बहुत उम्मीद बंधी थी, उसे गहरा झटका लगा है। यह हादसा लीबिया की राजनीति में एक लंबा शून्य छोड़ गया है जिसे भरना आसान नहीं होगा।
जांच और मातम
तुर्की सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए आपराधिक जांच के आदेश दे दिए हैं। एविएशन और सुरक्षा एक्सपर्ट्स मलबे की जांच कर रहे हैं। जिस विमान ने अपनी आखिरी उड़ान भरी, वह ‘डसोल्ट फाल्कन 50’ था, जो माल्टा में रजिस्टर्ड था। इधर, लीबिया सरकार ने 3 दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है और अपने झंडे झुका दिए हैं।
जानें पूरा मामला (Background)
लीबिया साल 2011 से ही अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। मुअम्मर गद्दाफी के सत्ता से हटने के बाद देश दो मुख्य हिस्सों—पश्चिमी लीबिया और पूर्वी/दक्षिणी लीबिया में बंट गया। जनरल अल-हद्दाद पश्चिमी गुट (GNU) का प्रतिनिधित्व करते थे, जिसे तुर्की का समर्थन हासिल है। वे देश की सेना को एकजुट करने की कोशिशों में एक अहम कड़ी थे।
मुख्य बातें (Key Points)
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स्थान: तुर्की के अंकारा के पास हैमाना इलाका।
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विमान: डसोल्ट फाल्कन 50 (प्राइवेट जेट)।
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वजह: पायलट ने इलेक्ट्रिकल फॉल्ट की सूचना दी थी, लेकिन साजिश का शक भी है।
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बड़ा नुकसान: लीबियाई सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल अल-हद्दाद समेत 8 की मौत।






