Shatrughan Sinha on TMC Politics : पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सस्पेंड विधायक हुमायूं कबीर द्वारा नई पार्टी बनाने के ऐलान पर टीएमसी के कद्दावर सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने करारा पलटवार किया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि बंगाल में ‘वोट कटवा’ राजनीति का हश्र असदुद्दीन ओवैसी जैसा ही होगा और ममता बनर्जी की सत्ता को कोई हिला नहीं पाएगा।
पश्चिम बंगाल के सियासी गलियारों में सस्पेंड टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर की नई पार्टी को लेकर चर्चा जोरों पर है। लेकिन टीएमसी सांसद और ‘बिहारी बाबू’ के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने इस चुनौती को सिरे से खारिज कर दिया है। सिन्हा ने बेहद सधे हुए शब्दों में कहा कि हुमायूं कबीर के इस कदम से बंगाल की राजनीति पर कोई “विशेष फर्क” नहीं पड़ने वाला है।
उन्होंने पुराने दिनों की याद दिलाते हुए एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का उदाहरण दिया। सिन्हा ने कहा, “पिछली बार ओवैसी साहब भी बंगाल आए थे, वे विद्वान हैं और मेरे मित्र भी हैं, उन्होंने बहुत कोशिश की थी, लेकिन नतीजा क्या हुआ, यह सबको पता है।” उनका इशारा साफ था कि बंगाल की जनता बाहरी या नई पार्टियों को नकार देती है।
‘केंद्र ने रोका 2 लाख करोड़, फिर कैसा विकसित भारत?’
शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के समर्थन में जमकर कसीदे पढ़े। उन्होंने कहा कि मुसीबत की इस घड़ी में भी ममता जी बंगाल के लोगों के साथ चट्टान की तरह खड़ी हैं। सिन्हा ने केंद्र की मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र ने बंगाल का करीब 2 लाख करोड़ रुपये रोक रखा है।
यह पैसा मनरेगा (MGNREGA), विकास कार्यों, किसानों और गरीबों का है। सिन्हा ने सवाल दागा कि एक तरफ आप बंगाल का पैसा रोकते हैं और दूसरी तरफ ‘विकसित भारत’ की बात करते हैं। अगर बंगाल विकसित नहीं होगा, तो भारत विकसित कैसे हो सकता है?
पीएम मोदी पर ‘शूट एंड स्कूट’ का आरोप
शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली पर अब तक का सबसे तीखा हमला बोला। उन्होंने पीएम के दौरों को “शूट एंड स्कूट पॉलिटिक्स” (आओ और भाग जाओ) करार दिया। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री आते हैं, अपनी बात कहते हैं और चले जाते हैं, लेकिन किसी सवाल का जवाब नहीं देते।
सिन्हा ने दावा किया कि पिछले 11-12 सालों में पीएम मोदी ने एक बार भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि किसी भी लोकतंत्र में शायद ये पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जिन्होंने एक दशक से ज्यादा समय में मीडिया के सवालों का सीधा जवाब नहीं दिया है।
वरिष्ठ संपादक का विश्लेषण: नैरेटिव की सीधी टक्कर
एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर देखें तो शत्रुघ्न सिन्हा का यह बयान केवल एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि टीएमसी की आगामी चुनावी रणनीति का हिस्सा है। ओवैसी का नाम लेकर वे मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट रखने का संदेश दे रहे हैं, ताकि हुमायूं कबीर उसमें सेंध न लगा सकें। वहीं, ‘2 लाख करोड़’ के फंड का मुद्दा उठाकर वे एंटी-इनकंबेंसी को केंद्र सरकार की तरफ मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह ममता बनर्जी की ‘विक्टिम कार्ड’ और ‘फाइटर’ वाली छवि को और मजबूत करने का प्रयास है।
आम आदमी पर असर
केंद्र और राज्य की इस सियासी लड़ाई का सीधा असर बंगाल के आम नागरिक पर पड़ रहा है। जब 2 लाख करोड़ रुपये जैसा बड़ा फंड अटकता है, तो मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी, किसानों की सब्सिडी और गांव के विकास कार्य ठप हो जाते हैं। शत्रुघ्न सिन्हा का बयान इसी दर्द को उभारकर वोट बैंक को साधने की कोशिश है।
जानें पूरा मामला
दरअसल, टीएमसी से सस्पेंड चल रहे विधायक हुमायूं कबीर ने हाल ही में अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा की है, जिससे टीएमसी के वोट बैंक में बिखराव का डर पैदा हो गया था। इसी मुद्दे पर जब पत्रकारों ने आसनसोल से टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से सवाल पूछा, तो उन्होंने इसे बेअसर बताया और दावा किया कि जनता ममता बनर्जी के साथ है और इस बार टीएमसी पिछली बार से भी ज्यादा सीटें जीतेगी।
मुख्य बातें (Key Points)
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शत्रुघ्न सिन्हा ने हुमायूं कबीर की तुलना ओवैसी से करते हुए उनकी चुनौती को खारिज किया।
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केंद्र सरकार पर बंगाल का 2 लाख करोड़ रुपये (मनरेगा और किसान फंड) रोकने का आरोप।
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पीएम मोदी की राजनीति को ‘शूट एंड स्कूट’ बताया और प्रेस कॉन्फ्रेंस न करने पर सवाल उठाए।
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दावा किया कि ममता बनर्जी इस बार पिछले चुनावों से भी बड़ी जीत दर्ज करेंगी।






