Rajasthan Smartphone Ban : राजस्थान के जालोर जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ 24 से अधिक गांवों की खाप पंचायत ने महिलाओं और लड़कियों के स्मार्टफोन इस्तेमाल करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। डिजिटल इंडिया के दौर में सुनाए गए इस फरमान ने महिला सशक्तिकरण और उनकी आजादी पर एक नई बहस छेड़ दी है।
देश जहाँ एक तरफ 5G और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं राजस्थान के जालोर जिले का एक हिस्सा समय के पहिये को पीछे घुमाता नजर आ रहा है। जिले की सुंधा माता पट्टी क्षेत्र में एक समाज विशेष की पंचायत ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए लड़कियों और बहुओं के स्मार्टफोन रखने पर पाबंदी लगा दी है।
यह फैसला किसी एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे इलाके के पंचों का सामूहिक निर्णय है। पंचों का मानना है कि स्मार्टफोन की वजह से समाज में गलत प्रभाव पड़ रहा है, इसलिए इसे रोकना जरूरी है।
‘स्मार्टफोन नहीं, कीपैड से चलाओ काम’
पंचों द्वारा जारी किए गए इस मौखिक आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि गांव की कोई भी छात्रा या विवाहित महिला (बहू-बेटी) अब स्मार्टफोन का उपयोग नहीं कर सकेगी। हालांकि, संचार के लिए उन्हें पूरी तरह से दुनिया से नहीं काटा गया है। पंचों ने “कीपैड मोबाइल” (बेसिक फोन) रखने की छूट दी है, जिससे वे केवल कॉल कर सकें।
फैसले के पीछे तर्क दिया गया है कि इससे मोबाइल की लत (Addiction) को रोका जा सकेगा। 24 से ज्यादा गांवों में यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू करने की बात कही गई है, जिससे वहां रहने वाली हजारों महिलाओं की डिजिटल दुनिया तक पहुंच खत्म हो गई है।
विश्लेषण: तरक्की की राह में रोड़ा
एक वरिष्ठ डिजिटल संपादक के तौर पर, इस फैसले का विश्लेषण करना बेहद जरूरी है। यह फरमान सीधे तौर पर महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों और उनकी निजता का हनन है। आज के दौर में स्मार्टफोन केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि शिक्षा, बैंकिंग, सुरक्षा और सूचना का सबसे बड़ा माध्यम है।
जब सरकारें महिलाओं को ‘डिजिटल सखी’ बना रही हैं और उन्हें तकनीक से जोड़ रही हैं, ऐसे में पंचायत का यह फैसला पितृसत्तात्मक सोच (Patriarchal Mindset) को दर्शाता है। यह सोच मानती है कि तकनीक महिलाओं को ‘बिगाड़’ देगी, जबकि असलियत यह है कि तकनीक उन्हें सशक्त बनाती है। मोबाइल की लत का बहाना बनाकर महिलाओं की आजादी को नियंत्रित करने की यह कोशिश समाज को पीछे ले जाने वाली है।
जानें पूरा मामला
राजस्थान के जालोर जिले में सुंधा माता पट्टी एक प्रमुख बेल्ट है। यहाँ चौधरी समाज के पंचों की एक बैठक हुई, जिसमें समाज सुधार के नाम पर कई फैसले लिए गए। इन्हीं फैसलों में से एक था महिलाओं के स्मार्टफोन पर बैन। पंचों का तर्क है कि लड़कियां फोन में ज्यादा समय बिताती हैं, जिससे संस्कृति प्रभावित हो रही है। इस फैसले के बाद से स्थानीय प्रशासन और महिला अधिकार संगठनों में भी हलचल है, क्योंकि यह सीधे तौर पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है।
मुख्य बातें (Key Points)
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जालोर के सुंधा माता पट्टी क्षेत्र में 24 गांवों की पंचायत का फैसला।
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बहु-बेटियों और छात्राओं के स्मार्टफोन रखने पर लगाया गया बैन।
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महिलाओं को सिर्फ साधारण ‘कीपैड मोबाइल’ रखने की अनुमति।
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पंचों ने इसे मोबाइल की लत रोकने के लिए उठाया गया कदम बताया।






