Javed Akhtar vs Mufti Shamail Nadvi: दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हाल ही में एक ऐसा वैचारिक महायुद्ध देखने को मिला, जिसने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया है। मशहूर गीतकार और अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाने वाले जावेद अख्तर और युवा इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती शमाइल नदवी आमने-सामने थे। मुद्दा था- ‘ईश्वर का अस्तित्व’। करीब दो घंटे तक चली इस जबरदस्त बहस ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया, लेकिन अब हर किसी की जुबान पर बस एक ही सवाल है- आखिर जावेद अख्तर जैसे दिग्गज के सामने डटकर खड़े होने वाला यह युवा मुफ्ती कौन है?
मुफ्ती शमाइल नदवी का पूरा नाम इस्माइल अहमद अब्दुल्लाह है और उनका जन्म 7 जून 1998 को कोलकाता में हुआ था। महज 26 साल की उम्र में उन्होंने इस्लामिक धर्मशास्त्र में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। एक धार्मिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले इस्माइल का झुकाव बचपन से ही धर्म और दर्शन की ओर था। उनके पिता मौलाना अबू सईद खुद कोलकाता के एक बड़े इस्लामिक स्कॉलर हैं, जिनके मार्गदर्शन में उन्होंने शुरुआती शिक्षा हासिल की।
लखनऊ से जुड़ा ‘नदवी’ का तार
कोलकाता में अपनी शुरुआती तालीम पूरी करने के बाद, उन्होंने 2014 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ का रुख किया। यहां उन्होंने मशहूर इस्लामिक शिक्षण संस्थान ‘दारुल उलूम नदवतुल उलेमा’ में दाखिला लिया। यहां 6 साल तक उन्होंने कुरान, हदीस, और इस्लामी कानून (फिकह) की गहरी पढ़ाई की और ‘मुफ्ती’ की डिग्री हासिल की। चूंकि उन्होंने ‘नदवा’ से पढ़ाई की, इसलिए परंपरा के अनुसार उन्होंने अपने नाम के साथ ‘नदवी’ जोड़ लिया, जो आज उनकी पहचान बन चुका है।
मलेशिया से पीएचडी और डिजिटल लोकप्रियता
फिलहाल मुफ्ती शमाइल मलेशिया से अपनी पीएचडी कर रहे हैं, लेकिन उनकी असली पकड़ डिजिटल दुनिया में है। वे ‘मरकज अल वहियान’ नामक ऑनलाइन संस्थान और ‘वहियान फाउंडेशन’ (2024 में स्थापित) के संस्थापक हैं। सोशल मीडिया और YouTube पर उनके वीडियोज को लाखों युवा देखते हैं। वे अक्सर नास्तिकता (Atheism), विज्ञान और इस्लाम जैसे जटिल विषयों पर तुलनात्मक और तर्कपूर्ण चर्चा करते हैं। युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता का कारण उनकी बेबाक शैली और आधुनिक सवालों के जवाब देने का तरीका है।
हमारा विश्लेषण: विचारधाराओं का टकराव (Analysis)
एक वरिष्ठ संपादक के तौर पर इस बहस को देखें तो यह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं का टकराव था। एक तरफ जावेद अख्तर का तर्कवाद और नास्तिकता का अनुभव था, तो दूसरी तरफ मुफ्ती शमाइल का धार्मिक विश्वास और अध्ययन। इतनी कम उम्र के स्कॉलर का एक अनुभवी दिग्गज से मंच साझा करना यह दर्शाता है कि डिजिटल दौर में ‘तर्क’ और ‘तथ्य’ की लड़ाई में उम्र मायने नहीं रखती। मुफ्ती शमाइल का उदय यह बताता है कि पारंपरिक मदरसों से निकले छात्र अब आधुनिक मंचों पर विज्ञान और दर्शन की भाषा में बात करने लगे हैं, जो एक बड़ा सामाजिक बदलाव है।
‘जानें पूरा मामला’
दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान ‘क्या ईश्वर है?’ विषय पर डिबेट आयोजित की गई थी। इसमें जावेद अख्तर ने नास्तिकता के पक्ष में तर्क रखे, जबकि मुफ्ती शमाइल नदवी ने ईश्वर के अस्तित्व को साबित करने की कोशिश की। बहस इतनी तीखी और ज्ञानवर्धक थी कि इसके वीडियो वायरल हो गए और लोग मुफ्ती के बैकग्राउंड को गूगल पर सर्च करने लगे।
मुख्य बातें (Key Points)
-
दिल्ली में ईश्वर के अस्तित्व पर जावेद अख्तर और मुफ्ती शमाइल नदवी के बीच 2 घंटे बहस हुई।
-
मुफ्ती शमाइल का जन्म 1998 में कोलकाता में हुआ, लखनऊ के नदवतुल उलेमा से शिक्षा ली।
-
वे ‘वहियान फाउंडेशन’ के संस्थापक हैं और फिलहाल मलेशिया से पीएचडी कर रहे हैं।
-
सोशल मीडिया पर नास्तिकता और विज्ञान पर इस्लामिक नजरिया रखने के लिए वे युवाओं में लोकप्रिय हैं।






