Arunachal Pradesh Spy Network and China Pakistan Link : अरुणाचल प्रदेश में सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़े जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जिसके तार सीधे पाकिस्तान और चीन से जुड़े हैं। भारत की सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए अब सरहद पार से ‘हाइब्रिड वॉर’ (Hybrid War) की साजिश रची जा रही है, जिसमें स्थानीय लोगों के बीच घुल-मिलकर स्लीपर सेल तैयार किए जा रहे थे।
अरुणाचल प्रदेश, जिसे चीन अपना हिस्सा बताते हुए बार-बार विवाद खड़ा करता है, अब पाकिस्तान और चीन की संयुक्त साजिशों का नया केंद्र बनता जा रहा है। एक तरफ बांग्लादेश में हिंसा की आग सुलग रही है, तो दूसरी तरफ अरुणाचल में एक खतरनाक जासूसी नेटवर्क का खुलासा हुआ है। राज्य पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले 10 दिनों में एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम देते हुए पाकिस्तान स्थित जासूसी नेटवर्क से जुड़े चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है।
टेलीग्राम और ‘अल-अक्सा’ चैनल का इस्तेमाल
पुलिस जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपी टेलीग्राम और सोशल मीडिया के एंक्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स (Encrypted Platforms) का इस्तेमाल कर रहे थे। इनके मोबाइल से ‘अल-अक्सा’ (Al-Aqsa) नाम के एक टेलीग्राम चैनल के सबूत मिले हैं, जिसके जरिए भारतीय सेना की गतिविधियों, रक्षा शिविरों की लोकेशन और अन्य संवेदनशील जानकारियां (Sensitive Information) पाकिस्तानी हैंडलर्स तक पहुंचाई जा रही थीं। पुलिस को इनके फोन से डिलीट किए गए चैट्स भी मिले हैं, जो एक गहरी साजिश की ओर इशारा करते हैं।
चीन की घुसपैठ और स्थानीय दावे
यह मामला सिर्फ जासूसी तक सीमित नहीं है। स्थानीय लोगों का दावा है कि सितंबर 2024 से चीनी सेना (PLA) ने अरुणाचल के अंजाव जिले के कापा क्षेत्र में भारतीय सीमा के करीब 60 किलोमीटर अंदर तक घुसपैठ कर अपने कैंप बना लिए हैं। हालांकि, आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है, लेकिन स्थानीय निवासियों का कहना है कि हालात 2022 जैसे तनावपूर्ण हैं। सुरक्षा विशेषज्ञ इसे चीन और पाकिस्तान की ‘हाइब्रिड वॉर’ रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं, जिसमें घुसपैठ, सैन्य दबाव और जासूसी तीनों का एक साथ इस्तेमाल किया जा रहा है।
कंबल बेचने की आड़ में जासूसी
इस नेटवर्क की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 11 दिसंबर को ईटानगर से गिरफ्तार किए गए दो संदिग्ध, नजीर अहमद मलिक और शब्बीर अहमद मीर, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के रहने वाले हैं। ये दोनों अरुणाचल में कंबल बेचने का काम कर रहे थे, लेकिन असल में ये पाकिस्तानी हैंडलर्स के इशारे पर काम कर रहे थे। उन्हें अवैध घुसपैठ में मदद करने और हथियारों की तस्करी के लिए ‘कूरियर’ बनने के निर्देश मिले थे। इसके बाद 13 दिसंबर को कश्मीर से दो और युवकों को पकड़ा गया, जिससे साफ होता है कि यह नेटवर्क असम तक फैला हुआ है।
बांग्लादेशी कनेक्शन और सुरक्षा पर सवाल
जांच में यह भी आशंका जताई गई है कि इस नेटवर्क में कुछ बांग्लादेशी युवकों की भी भूमिका हो सकती है। वेस्ट सियांग के एसपी के मुताबिक, यह असम और अरुणाचल से जुड़ा एक बड़ा जासूसी मॉड्यूल हो सकता है, जिसमें पाकिस्तान ‘प्रॉक्सी’ (Proxy) की भूमिका निभा रहा है। राज्य के गृह मंत्री मामा नतुंग ने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा और आरोपियों पर ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट (Official Secrets Act) के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
आम आदमी के जीवन पर असर
सीमावर्ती राज्यों में जासूसी और घुसपैठ की घटनाएं वहां रहने वाले आम लोगों के लिए चिंता का विषय हैं। यह न केवल उनकी सुरक्षा को खतरे में डालता है, बल्कि क्षेत्र में अस्थिरता और विकास कार्यों में बाधा भी उत्पन्न करता है। स्थानीय समुदायों के बीच अविश्वास का माहौल पैदा होता है, क्योंकि बाहरी तत्व उन्हीं के बीच छिपकर देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
जानें पूरा मामला
अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन चीन इसे ‘दक्षिणी तिब्बत’ बताकर दावा करता रहता है। हाल ही में बांग्लादेश में तख्तापलट और अस्थिरता के बाद, भारत विरोधी ताकतें (चीन और पाकिस्तान) सक्रिय हो गई हैं। वे अब अरुणाचल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में स्थानीय वेशभूषा या व्यापार की आड़ में स्लीपर सेल तैयार कर रहे हैं ताकि भारत की आंतरिक सुरक्षा को चुनौती दी जा सके।
मुख्य बातें (Key Points)
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अरुणाचल में पाकिस्तान से जुड़े जासूसी नेटवर्क के 4 संदिग्ध गिरफ्तार।
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टेलीग्राम के ‘अल-अक्सा’ चैनल से भेजी जा रही थी सेना की खुफिया जानकारी।
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स्थानीय लोगों का दावा, चीनी सेना ने अंजाव जिले में 60 किमी अंदर तक बनाए कैंप।
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कश्मीर के रहने वाले संदिग्ध कंबल बेचने की आड़ में कर रहे थे जासूसी।






