Sharif Usman Hadi Funeral : शनिवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका का माहौल गम और गुस्से से भरा रहा। कड़े सुरक्षा पहरे के बीच छात्र नेता और ‘इकबाल मंच’ के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी को हजारों नम आंखों ने अंतिम विदाई दी। उनके जनाजे में उमड़ी भीड़ ने न केवल उन्हें श्रद्धांजलि दी, बल्कि न्याय के लिए जोरदार नारे भी लगाए। हादी को, उनके परिवार की इच्छा के अनुसार, बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम की कब्र के बगल में दफनाया गया है।
जनाजे में भावुक पल और यूनुस की मौजूदगी
ढाका स्थित National Parliament House के साउथ प्लाजा में दोपहर करीब 2:00 बजे हादी के जनाजे की नमाज अदा की गई। इस दौरान वहां मौजूद लोगों का हुजूम फूट-फूट कर रोता दिखाई दिया। अंतिम विदाई देने के लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस भी विशेष रूप से पहुंचे थे। दफनाने की तैयारियां 20 दिसंबर की सुबह से ही शुरू हो गई थीं और नजरुल समाधि चत्वर पर सुबह 11:30 बजे से ही लोग जुटने लगे थे। जैसे ही हादी का शव वहां पहुंचा, माहौल बेहद भावुक हो गया और समर्थकों के सब्र का बांध टूट गया।
‘चुनाव प्रचार के दौरान मारी गई थी गोली’
इस दुखद घटना की शुरुआत 12 दिसंबर को हुई थी, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। ढाका के विजयनगर इलाके में जब शरीफ उस्मान हादी अपना Election Campaign शुरू कर रहे थे, तभी नकाबपोश हमलावरों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। हमलावरों ने उन्हें सीधे सिर में गोली मारी थी। गंभीर हालत में उन्हें इलाज के लिए Singapore ले जाया गया, जहां जिंदगी और मौत से एक हफ्ते तक जूझने के बाद उनका निधन हो गया। इस हत्या ने फरवरी 2026 में होने वाले चुनावों से पहले बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल को बेहद नाजुक और तनावपूर्ण बना दिया है।
‘शशि थरूर ने जताई गहरी चिंता’
इस घटना और बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर भारतीय सांसद शशि थरूर ने भी 20 दिसंबर को सोशल मीडिया के जरिए अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने लिखा कि वहां भीड़ द्वारा Daily Star News और Prothom Alo अखबार पर किया गया हमला सिर्फ एक संस्थान पर हमला नहीं, बल्कि प्रेस की आजादी और विविधता वाले समाज की नींव पर चोट है। थरूर ने खुलना और राजशाही में वीज़ा सेवाओं की जबरन समाप्ति को छात्रों और मरीजों के लिए एक बड़ा झटका बताया। हिंसा का सीधा असर उन आम परिवारों पर पड़ रहा है जो पहले से ही मुश्किलों में घिरे हैं।
‘संपादकीय विश्लेषण: लोकतंत्र पर गहराता संकट’
शरीफ उस्मान हादी की हत्या महज एक आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि यह बांग्लादेश में गहराते राजनीतिक संकट का संकेत है। जब एक युवा छात्र नेता को दिनदहाड़े गोली मार दी जाती है और प्रेस की आजादी पर भीड़ हावी होने लगती है, तो यह दर्शाता है कि वहां कानून का राज कमजोर पड़ रहा है। चुनाव से ठीक पहले ऐसी हिंसा का होना यह बताता है कि आने वाला समय बांग्लादेश के लिए और भी अस्थिर हो सकता है। यह न केवल वहां की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि पड़ोसी देशों के लिए भी चिंता का विषय है।
‘जानें पूरा मामला’
शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश के एक उभरते हुए छात्र नेता थे, जिनकी 12 दिसंबर को ढाका में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इलाज के दौरान सिंगापुर में उनकी मौत हुई। उनका शव ढाका लाए जाने के बाद शनिवार को राजकीय सम्मान और भारी जनसमूह के बीच उन्हें दफनाया गया। उनकी हत्या के बाद से समर्थकों में भारी आक्रोश है और वे लगातार न्याय की मांग कर रहे हैं।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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शरीफ उस्मान हादी को राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम की कब्र के बगल में दफनाया गया।
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12 दिसंबर को ढाका में चुनाव प्रचार के दौरान नकाबपोशों ने सिर में गोली मारी थी।
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जनाजे में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस भी शामिल हुए।
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शशि थरूर ने बांग्लादेश में प्रेस पर हमलों और वीज़ा सेवाएं बंद होने पर चिंता जताई।
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फरवरी 2026 के चुनावों से पहले इस हत्या ने देश में तनाव और अस्थिरता बढ़ा दी है।






