Bangladesh Violence Update : बांग्लादेश एक बार फिर उन्मादी हिंसा और कट्टरपंथी उग्रता की आग में जल रहा है। शुक्रवार की रात हुई बर्बरता ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया, जब एक 7 साल की मासूम बच्ची को घर में बंद कर जिंदा जला दिया गया। उस्मान हादी के जनाजे के बाद राजधानी ढाका समेत कई इलाकों में हालात विस्फोटक हो गए हैं, जहां भीड़ ने संसद भवन में घुसने की कोशिश की और भारत विरोधी नारे लगाए।
Bangladesh में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। अगस्त में हुई हिंसा के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि शुक्रवार रात लक्ष्मीपुर सदर इलाके में उपद्रवियों ने एक दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया। भीड़ ने एक घर को बाहर से बंद किया और उसमें पेट्रोल डालकर आग लगा दी। इस वीभत्स घटना में 7 साल की मासूम आयशा अख्तर की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।
‘मासूम को पेट्रोल डालकर जिंदा जलाया’
यह हमला सिर्फ एक घर पर नहीं, बल्कि इंसानियत पर था। आग इतनी भयानक थी कि घर में मौजूद लोग बाहर नहीं निकल सके। मृत बच्ची के पिता बिलाल हुसैन, जो Bangladesh Nationalist Party (BNP) के स्थानीय नेता बताए जा रहे हैं, बुरी तरह झुलस गए। उनकी दो बेटियां, जिनकी उम्र 16 और 14 वर्ष है, 50 से 60 प्रतिशत तक जल चुकी हैं। हालात नाजुक होने के कारण उन्हें ढाका रेफर किया गया है। यह घटना बताती है कि वहां राजनीतिक रंजिश किस कदर क्रूरता का रूप ले चुकी है।
‘जनाजे पर सियासत और भारत विरोधी नारे’
यह हिंसा तब भड़की जब कट्टरपंथी युवा नेता शरीफ उस्मान हादी का शव सिंगापुर से ढाका पहुंचा। शनिवार को ढाका विश्वविद्यालय परिसर में उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच दफनाया गया। हैरान करने वाली बात यह रही कि अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख जनरल वकार उज्ज जमा भी जनाजे की नमाज में शामिल हुए। यूनुस ने वहां हादी के सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया। शव को कब्रिस्तान ले जाते समय उग्र भीड़ ने जमकर Anti-India Slogans लगाए, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है।
‘संसद घेरने की कोशिश और उदीची कार्यालय में आग’
जनाजे के बाद भीड़ बेकाबू हो गई। भीड़ ने संसद भवन की ओर मार्च किया और परिसर में घुसने की कोशिश की, जिसे सुरक्षा बलों ने हल्का बल प्रयोग कर तितर-बितर किया। उपद्रवियों ने अगस्त जैसी अराजकता दोहराने की कोशिश की। इसके अलावा, उपद्रवियों ने ‘उदीची’ संस्था के कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया। यह संस्था लंबे समय से कट्टरपंथ और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ काम कर रही थी। इसका जलना यह संकेत है कि अब सामाजिक संगठनों को भी निशाना बनाया जा रहा है।
‘लिंचिंग का खौफनाक मंजर’
भीड़ का यह पागलपन यहीं नहीं रुका। हाल ही में ईशनिंदा के आरोप में 25 वर्षीय दीपू चंद्र दास की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी और शव को पेड़ से लटकाकर जला दिया। इस मामले में Rapid Action Battalion (RAB) ने 7 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। वहीं, हादी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार तीन मुख्य आरोपियों को 4 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है।
‘संपादकीय विश्लेषण: अराजकता की ओर बढ़ता पड़ोसी’
बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति बेहद चिंताजनक है। जब देश का शीर्ष नेतृत्व (मोहम्मद यूनुस) एक ऐसे व्यक्ति के जनाजे में शामिल होकर कसम खाता है जिसके समर्थक भारत विरोधी नारे लगाते हैं और हिंसा फैलाते हैं, तो यह उपद्रवियों के हौसले बढ़ाने जैसा है। 7 साल की बच्ची को जिंदा जलाना यह साबित करता है कि वहां कानून का राज खत्म हो चुका है और ‘मॉब जस्टिस’ (भीड़ का न्याय) हावी हो गया है। अगर इस कट्टरपंथ पर लगाम नहीं लगाई गई, तो बांग्लादेश पूरी तरह से गृहयुद्ध और अस्थिरता के दलदल में धंस जाएगा, जिसका सीधा असर क्षेत्रीय सुरक्षा पर पड़ेगा।
‘जानें पूरा मामला’
यह पूरा बवाल कट्टरपंथी युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद शुरू हुआ। हादी, जो शेख हसीना के खिलाफ मुहिम चला रहे थे, उनकी मौत के बाद समर्थकों में गुस्सा है। उनका शव सिंगापुर से आने के बाद हिंसा भड़क उठी। उपद्रवियों ने इसे राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग देते हुए आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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लक्ष्मीपुर में उपद्रवियों ने घर में पेट्रोल डालकर आग लगाई, 7 साल की आयशा की जलकर मौत।
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उस्मान हादी के जनाजे में मोहम्मद यूनुस शामिल हुए, भीड़ ने लगाए भारत विरोधी नारे।
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उपद्रवियों ने संसद भवन में घुसने की कोशिश की और उदीची संस्था के दफ्तर को जलाया।
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ईशनिंदा के शक में दीपू चंद्र दास की लिंचिंग कर शव को पेड़ से लटकाकर जलाया गया।






