Bangladesh Violence News बांग्लादेश की सड़कों पर एक बार फिर खूनी संघर्ष और आगजनी का दौर शुरू हो गया है। इंकलाब मंच के प्रमुख चेहरे और प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद राजधानी ढाका सुलग उठी है। हालात इस कदर बेकाबू हो चुके हैं कि मोहम्मद यूनुस की सरकार को सेना तक को मैदान में उतारना पड़ा है, लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। हादी का शव सिंगापुर से ढाका पहुंचते ही उनके समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा है, जिससे देश में एक बार फिर बड़े बवाल की आशंका गहरा गई है।
ढाका में इस वक्त तनाव चरम पर है। गुस्साए समर्थकों ने न केवल सरकारी संपत्तियों को निशाना बनाया है, बल्कि मीडिया हाउसेस को भी आग के हवाले कर दिया है। हर तरफ केवल तबाही का मंजर नजर आ रहा है, और प्रशासन इन हालातों के सामने पूरी तरह घुटने टेकता हुआ दिखाई दे रहा है।
राष्ट्रीय कवि के बगल में दफनाया जाएगा शव
ढाका विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्र संघ की नेता फातिमा तस्मीन जुम्मा ने जानकारी दी है कि शरीफ उस्मान हादी के परिवार की भावुक अपील पर उन्हें बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि ‘काजी नजरुल इस्लाम’ की कब्र के बगल में दफनाया जाएगा। यह स्थान देश के लिए बेहद सम्माननीय माना जाता है। ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, जोहर की नमाज के बाद मानिक मियां एवेन्यू में उनका जनाजा निकाला जाएगा, जिसके बाद अंतिम संस्कार की रस्में पूरी की जाएंगी। अंतिम संस्कार के मद्देनजर पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तैनात की गई है।
चुनाव प्रचार के दौरान ई-रिक्शा पर मारी गई थी गोली
शरीफ उस्मान हादी आगामी फरवरी में होने वाले आम चुनाव में ढाका-8 निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे। 12 दिसंबर को जब वे मध्य ढाका में एक ई-रिक्शा पर सवार होकर अपना चुनाव प्रचार कर रहे थे, तभी बाइक सवार संदिग्ध हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। गंभीर रूप से घायल हादी को पहले ढाका मेडिकल कॉलेज और फिर एवर केयर अस्पताल ले जाया गया। हालत में सुधार न होने पर 15 दिसंबर को उन्हें बेहतर इलाज के लिए एयर एंबुलेंस से सिंगापुर भेजा गया था, जहां उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
हसीना को हटाने वाले ‘विद्रोह’ का थे प्रमुख चेहरा
शरीफ उस्मान हादी कोई आम नेता नहीं थे। वे पिछले साल जुलाई 2024 में हुए उस ऐतिहासिक विद्रोह के प्रमुख सूत्रधारों में से एक थे, जिसके चलते शेख हसीना को बांग्लादेश की सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। वे ‘हसीना विरोधी मंच’ यानी इकबाल मंच के मुख्य प्रवक्ता भी थे। उनकी इसी लोकप्रियता और राजनीतिक कद के कारण उनकी मौत ने समर्थकों को उग्र कर दिया है।
यूनुस सरकार के खिलाफ सड़कों पर संग्राम
हादी की मौत की खबर फैलते ही बांग्लादेश के कई शहरों से तोड़फोड़ और आगजनी की खबरें सामने आने लगीं। समर्थक सीधे तौर पर सरकार की विफलता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और सड़कों पर उतरकर भारी प्रदर्शन कर रहे हैं। हालात इतने विस्फोटक हो गए हैं कि कई जगह गाड़ियों को आग लगा दी गई है। मोहम्मद यूनुस की सरकार, जो देश में शांति बहाली का दावा कर रही थी, अब इस नई चुनौती के सामने लाचार नजर आ रही है। सवाल उठ रहा है कि क्या बांग्लादेश एक बार फिर उसी अराजकता की ओर बढ़ रहा है जिससे वह कुछ महीने पहले ही गुजरा था?
जानें पूरा मामला
यह पूरा विवाद इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या से जुड़ा है। वे एक युवा और प्रभावशाली नेता थे जिन्होंने जुलाई 2024 की क्रांति में बड़ी भूमिका निभाई थी। चुनाव प्रचार के दौरान उन पर हुए जानलेवा हमले और अब इलाज के दौरान हुई उनकी मौत ने उनके समर्थकों के सब्र का बांध तोड़ दिया है, जिससे देश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
मुख्य बातें (Key Points)
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हिंसक प्रदर्शन: शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में भारी हिंसा, मीडिया हाउस और गाड़ियों में लगाई गई आग।
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अंतिम संस्कार: हादी को राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम के बगल में दफनाया जाएगा, सुरक्षा के कड़े इंतजाम।
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हमले की वजह: 12 दिसंबर को चुनाव प्रचार के दौरान ई-रिक्शा पर जाते समय हादी को गोली मारी गई थी।
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सरकार विफल: हालात संभालने में यूनुस सरकार नाकाम, सेना तैनात करने के बावजूद जारी है तनाव।






