Karnataka Congress News Update: कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है। बेलगावी में बीती रात लोक निर्माण मंत्री सतीश द्वारा आयोजित एक Dinner में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी विधायकों के जुटने से नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं। सत्ता के गलियारों में हो रही इस हलचल ने कांग्रेस आलाकमान की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि यह बैठक महज़ खाना खाने के लिए नहीं, बल्कि शक्ति प्रदर्शन का अखाड़ा मानी जा रही है।
कर्नाटक कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बेलगावी में चल रहे विधानसभा सत्र के बीच सियासी नाटक अपने चरम पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। वरिष्ठ लोक निर्माण मंत्री सतीश ने एक विशेष Dinner का आयोजन किया, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खेमे के माने जाने वाले 30 से ज्यादा विधायक शामिल हुए। इस जमावड़े में मुख्यमंत्री के बेटे और विधान परिषद सदस्य यतीन्द्र सिद्धारमैया और विधायक के.एन. रजन्ना जैसे दिग्गज चेहरे भी नजर आए। हालांकि, खुद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस कार्यक्रम से दूर रहे, लेकिन उनकी गैर-मौजूदगी में भी उनके समर्थकों की एकजुटता ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
डिनर के बहाने शक्ति प्रदर्शन का खेल
इसे आधिकारिक तौर पर विधानमंडल सत्र के दौरान एक ‘सामाजिक मेलजोल’ बताया गया, लेकिन अंदरखाने की खबर कुछ और ही है। बैठक में शामिल कई विधायकों ने दबे जुबान में संकेत दिए कि वहां Political मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई। राजनीतिक पंडित इसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देख रहे हैं। गौरतलब है कि ठीक एक हफ्ते पहले उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने भी इसी तरह एक Dinner पार्टी आयोजित की थी, जिसमें उनके समर्थक विधायक पहुंचे थे। अब सिद्धारमैया गुट की यह जवाबी बैठक साफ इशारा कर रही है कि कुर्सी बचाने और हथियाने का खेल फिर से शुरू हो चुका है।
संपादक का विश्लेषण: अस्थिरता की ओर बढ़ता कर्नाटक
एक वरिष्ठ Editor के तौर पर इस घटनाक्रम का विश्लेषण करें, तो यह ‘डिनर डिप्लोमेसी’ कर्नाटक सरकार की स्थिरता के लिए शुभ संकेत नहीं है। जब सरकार के दो शीर्ष धड़े—सिद्धारमैया और शिवकुमार—अलग-अलग बैठकें करने लगें, तो यह प्रशासन पर पकड़ ढीली होने का सबूत है। यह केवल डिनर नहीं, बल्कि ‘हेड-काउंट’ (विधायकों की गिनती) की कवायद है। अगर आलाकमान ने जल्द हस्तक्षेप नहीं किया, तो कर्नाटक में भी हम वैसा ही सियासी ड्रामा देख सकते हैं जैसा कुछ समय पहले देखने को मिला था। यह गुटबाजी अंततः जनता के विश्वास और विकास कार्यों पर भारी पड़ेगी।
दिल्ली दौड़ और आलाकमान की कोशिशें
कर्नाटक में यह सियासी घमासान नया नहीं है। इससे पहले भी नेतृत्व को लेकर इतना बवाल मचा था कि मामला दिल्ली दरबार तक पहुंच गया था। विधायकों ने दिल्ली के दौरे किए थे और खुद सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार को आलाकमान के सामने पेश होना पड़ा था। उस वक्त राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ था और तय हुआ था कि सिद्धारमैया सीएम रहेंगे और शिवकुमार डिप्टी सीएम। लेकिन ताजा हालातों ने उस ‘युद्धविराम’ को तोड़ दिया है।
जानें पूरा मामला
कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार के बीच शीतयुद्ध चल रहा है। एक हफ्ते पहले डी.के. शिवकुमार ने अपने समर्थक विधायकों को डिनर पर बुलाया था। इसके जवाब में अब सिद्धारमैया गुट के मंत्री सतीश ने बेलगावी में डिनर आयोजित किया, जिसमें 30 से अधिक विधायक और सीएम के बेटे शामिल हुए। इस घटनाक्रम ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को फिर से हवा दे दी है।
मुख्य बातें (Key Points)
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बेलगावी में मंत्री सतीश ने आयोजित किया Dinner, सिद्धारमैया गुट के 30+ विधायक हुए शामिल।
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सीएम के बेटे यतीन्द्र सिद्धारमैया और के.एन. रजन्ना भी बैठक में मौजूद रहे।
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एक हफ्ते पहले डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने भी बुलाई थी ऐसी ही बैठक।
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कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन और सीएम की कुर्सी को लेकर अटकलें फिर हुई तेज।






