Punjab Politics: पंजाब की सियासत में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के भीतर की रस्साकशी अब खुलेआम सामने आ गई है। लुधियाना के दाखा हलके में अपनी शानदार जीत के बाद अकाली विधायक और पंथक कमेटी के सदस्य मनप्रीत सिंह अयाली ने पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल को एक महीने का कड़ा अल्टीमेटम दे दिया है।
सुखबीर बादल की बढ़ेंगी मुश्किलें?
अयाली ने साफ शब्दों में कहा कि सुखबीर बादल को अपनी “एग्रेसिव अप्रोच” छोड़कर पंथक एकता के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, “पंथक नेताओं के पास एक महीने का समय है, वे अपने निजी स्वार्थों को त्यागकर आगे आएं।” अयाली ने बिना नाम लिए सुखबीर पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वे शिरोमणि अकाली दल को मजबूत करना चाहते हैं, तो उन्हें त्याग की भावना दिखानी होगी। यदि वे सिर्फ खुद को मजबूत करना चाहते हैं, तो यह उनकी मर्जी है, लेकिन फिर पंथ अपना फैसला खुद लेगा।
विश्लेषण: अयाली की चुनौती और 2027 का चुनाव
एक वरिष्ठ Editor के तौर पर इस घटनाक्रम का विश्लेषण करें तो मनप्रीत अयाली का यह बयान 2027 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले अकाली दल के लिए एक बड़ी चुनौती है। दाखा हलके में सुखबीर बादल की तीन रैलियों के बावजूद अयाली के समर्थित आजाद उम्मीदवारों की जीत यह दर्शाती है कि जमीन पर उनकी पकड़ मजबूत है। सुखबीर ने प्रचार के दौरान अयाली के लिए पार्टी के दरवाजे बंद होने की बात कही थी, लेकिन जनता का फैसला कुछ और ही कहानी कह रहा है। अगर पंथक कमेटी ने अकाली दल के बागी गुटों और अन्य पंथक संगठनों को एक मंच पर ला दिया, तो सुखबीर बादल के लिए आने वाले चुनाव में राह बेहद मुश्किल हो सकती है।
‘मैं किसी गुट के साथ नहीं, पंथ के साथ हूं’
अयाली ने स्पष्ट किया कि वह अकाली दल के किसी बागी गुट या अन्य संगठन के साथ नहीं हैं। वह पंथक कमेटी के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं, जिसका गठन श्री अकाल तख्त साहिब ने किया है। उन्होंने यह भी साफ किया कि उन्होंने न तो अकाली दल छोड़ा है और न ही उन्हें पार्टी से निकाला गया है। वह आज भी पंजाब विधानसभा में अकाली दल के नेता हैं।
पंथक एकता के लिए एक महीने का समय
अयाली ने कहा कि पंथक कमेटी ने पहली जिम्मेदारी सदस्य बनाने की पूरी कर ली है। अब उनका फोकस अगले एक महीने तक पंथक एकता के लिए काम करने पर है। इसके बाद संगत जो फैसला लेगी, उसी के हिसाब से आगे बढ़ा जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि पंजाब और पंथ के भले के लिए सभी अकाली और पंथक संगठनों का एक होना जरूरी है।
‘तकड़ी होती तो क्लीन स्वीप करते’
दाखा हलके की जीत पर अयाली ने कहा कि उन्होंने लोगों से पंथक एकता और विकास के नाम पर वोट मांगा, और लोगों ने आजाद उम्मीदवारों को जिताया। उन्होंने दावा किया कि अगर उनके पास अकाली दल का चुनाव चिह्न ‘तकड़ी’ होता, तो वे क्लीन स्वीप कर सकते थे।
जानें पूरा मामला
मनप्रीत अयाली अकाली दल के एक प्रमुख नेता हैं और मौजूदा विधायक हैं। दाखा हलके में हुए हालिया स्थानीय चुनाव में उन्होंने पार्टी लाइन से हटकर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिन्हें सुखबीर बादल के कड़े विरोध के बावजूद जीत मिली। इसी जीत के बाद अयाली ने सुखबीर बादल को पंथक एकता के मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है, जिससे पार्टी के अंदरूनी कलह के और गहराने के आसार हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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मनप्रीत अयाली ने सुखबीर बादल को पंथक एकता के लिए एक महीने का अल्टीमेटम दिया।
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अयाली ने दाखा हलके में आजाद उम्मीदवारों की जीत के बाद सुखबीर पर साधा निशाना।
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अयाली का दावा- उन्होंने अकाली दल नहीं छोड़ा, विधानसभा में पार्टी के नेता हैं।
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सुखबीर ने दाखा में अयाली के खिलाफ प्रचार किया था, लेकिन पार्टी का खाता नहीं खुला।






