Gorakhpur Adulterated Chana Raid – उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में खाद्य विभाग ने एक बड़ी छापेमारी में 30 टन मिलावटी भुने चने जब्त किए हैं। मेसर्स मां तारा ट्रेडर्स के गोदाम से 750 बोरी भुना चना बरामद किया गया है जिसमें कैंसर फैलाने वाली जहरीली इंडस्ट्रियल डाई ‘ओरामाइन ओ’ मिलाई गई थी। यह माल मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से मंगाया गया था और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई किया जा रहा था।
यह वही ओरामाइन ओ डाई है जिसे खाने की चीजों में इस्तेमाल करना पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके सेवन से लिवर-किडनी डैमेज और यहां तक कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं।
क्या है ओरामाइन ओ और क्यों है इतना खतरनाक?
ओरामाइन ओ एक इंडस्ट्रियल डाई है जिसका केमिकल फार्मूला C17H21N3HCL (अमीन हाइड्रोक्लोराइड) है। इसका इस्तेमाल कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, प्रिंटिंग इंक और पेपर मैन्युफैक्चरिंग में किया जाता है। इस डाई का रंग बहुत चटक पीला होता है और कीमत बेहद सस्ती। यही वजह है कि मिलावटखोर इसे भुने चनों में मिलाकर उन्हें आकर्षक बनाते हैं। लेकिन फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 के तहत इसे खाने की चीजों में इस्तेमाल करना पूरी तरह गैरकानूनी है।
सेहत पर क्या पड़ता है असर?
ओरामाइन ओ खाने से शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचता है:
लिवर डैमेज: यह डाई लिवर को बुरी तरह प्रभावित करती है।
किडनी पर बुरा असर: किडनी की कार्यप्रणाली गड़बड़ा सकती है।
स्प्लीन का साइज बढ़ना: स्प्लीन पेट के ऊपरी बाएं हिस्से में पसलियों के नीचे मौजूद एक जरूरी अंग है। इसका काम शरीर को इंफेक्शन से बचाना और खून को फिल्टर करना है।
स्प्लीन बढ़ने से एनीमिया यानी खून की कमी हो सकती है। इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। गंभीर स्थिति में स्प्लीन फट भी सकती है जिससे इंटरनल ब्लीडिंग होती है और यह जानलेवा हो सकता है।
डीएनए में बदलाव: सबसे खतरनाक बात यह है कि ओरामाइन ओ जेनेटिक मटेरियल को बदल सकता है।
WHO ने भी माना कैंसरकारी
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की एजेंसी IARC (इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर) ने ओरामाइन ओ को ग्रुप 2B कार्सिनोजन घोषित किया है।
इसका मतलब है कि इस डाई से कैंसर होने का गंभीर खतरा है।
कैसे हुआ खुलासा?
गोरखपुर खाद्य विभाग को 16 दिसंबर को सूचना मिली कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से संदिग्ध माल लेकर दो गाड़ियां आई हैं।जानकारी पुख्ता होने पर फूड एंड ड्रग्स डिपार्टमेंट की टीम ने उसी दिन मेसर्स मां तारा ट्रेडर्स के गोदाम पर छापा मारा। मौके पर भुने चनों के सैंपल लेकर जांच की गई। प्रथम दृष्टया ही इसमें रंग मिलाए जाने की पुष्टि हो गई।
असिस्टेंट कमिश्नर ने क्या बताया?
फूड एंड ड्रग्स डिपार्टमेंट के असिस्टेंट कमिश्नर सुधीर सिंह ने बताया कि मौके पर दो नमूने लेकर जांच की गई तो भुने चने में भारी मात्रा में सिंथेटिक कलर मिलाए जाने की पुष्टि हुई।
उन्होंने कहा कि स्पॉट से 750 बोरी चने बरामद किए गए। हर एक बोरी में 40 किलो चने थे। इस पूरे स्टॉक को सीज कर दिया गया है और बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
MP-छत्तीसगढ़ से क्यों आता है माल?
सहायक खाद्य आयुक्त सुधीर सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चने का प्रोडक्शन ज्यादा होता है। वहां से सप्लाई गोरखपुर आती है और फिर यहां से उत्तर प्रदेश के देवरिया, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर मंडल और दूर-दूर तक के इलाकों में भेजी जाती है। यानी यह मिलावटी चना पूर्वी उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से में बिक रहा था।
गोदाम मालिक कौन?
जिस गोदाम पर छापा मारा गया, वहां CCTV कैमरे भी लगे हुए थे। मकान मालिक ने बताया कि गोदाम ओम प्रकाश नाम के व्यक्ति को किराए पर दिया हुआ है। वह पिछले दो-तीन साल से यहां काम कर रहे हैं। ओम प्रकाश बाहर से माल मंगाते थे और यहां से आगे बेचते थे।
आगे क्या कार्रवाई होगी?
सुधीर सिंह ने बताया कि जो भी लोग इस सप्लाई चेन में शामिल पाए जाएंगे, उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सबकी सप्लाई बंद कर दी जाएगी और लाइसेंस कैंसिल किए जाएंगे। विभाग का प्लान है कि इस मिलावटी चने के पूरे नेटवर्क का पता लगाया जाए। फिर वो जहां तक भी फैला हो, अभियान चलाकर हर एक साझेदार के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी।
सांसद ने केंद्रीय मंत्री को लिखी चिट्ठी
भुने चनों में ओरामाइन ओ की मिलावट का मामला इतना गंभीर हो गया है कि राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने मंत्रालय से ओरामाइन ओ की मिलावट पर नेशनल हेल्थ अलर्ट जारी करने की गुजारिश की है। यह भी कहा है कि पूरे देश में भुने चनों की जांच हो और मिलावट करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो।
कैसे पहचानें मिलावटी भुने चने?
अगर आप भुने चने खाने के शौकीन हैं तो इन बातों का ध्यान रखें:
1. रंग देखें: अगर चने जरूरत से ज्यादा पीले और चमकीले दिख रहे हैं तो सावधान हो जाएं।
2. गीले हाथों से छुएं: गीले हाथों से चने छूने पर अगर रंग निकलने लगे तो ऐसे चने बिल्कुल न खाएं।
3. भरोसेमंद दुकान: हमेशा विश्वसनीय दुकान से ही चने खरीदें।
4. घर पर भूनें: सबसे सुरक्षित तरीका यह है कि बाजार से कच्चे चने खरीदें और उन्हें घर पर ही भून लें।
आम आदमी पर क्या असर?
भुने चने एक बेहद पॉपुलर स्नैक है जो बाजार में आसानी से मिल जाता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, लोग इसे खूब खाते हैं। अब जब इसमें कैंसरकारी केमिकल मिलाए जाने की बात सामने आई है तो हर किसी को सतर्क रहने की जरूरत है। खासकर जो लोग रोजाना या नियमित रूप से भुने चने खाते हैं, उन्हें अब ज्यादा सावधानी बरतनी होगी।
संपादकीय विश्लेषण
यह मामला सिर्फ गोरखपुर तक सीमित नहीं है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से माल आ रहा था और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई हो रही थी। इसका मतलब है कि यह नेटवर्क काफी बड़ा और संगठित है।
सवाल यह है कि दो-तीन साल से यह धंधा चल रहा था तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जब तक खाद्य विभाग को सूचना नहीं मिली, तब तक यह जहर आम लोगों की थाली में पहुंचता रहा।
अब जरूरत है कि न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में भुने चनों की जांच हो और मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो।
मुख्य बातें (Key Points)
- गोरखपुर में 30 टन (750 बोरी) मिलावटी भुने चने जब्त, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ से आया था माल
- चनों में ओरामाइन ओ नामक इंडस्ट्रियल डाई मिली जो कैंसर का कारण बन सकती है
- WHO ने ओरामाइन ओ को ग्रुप 2B कार्सिनोजन घोषित किया है
- लिवर-किडनी डैमेज, स्प्लीन बढ़ना, डीएनए में बदलाव जैसे गंभीर खतरे
- खाद्य विभाग पूरे नेटवर्क का खुलासा कर लाइसेंस कैंसिल करेगा






