Ram Vanji Sutar Death News : देश के कला जगत से एक अत्यंत दुखद खबर सामने आई है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ जैसी विश्व प्रसिद्ध प्रतिमा को आकार देने वाले प्रख्यात मूर्तिकार राम वनजी सुतार अब हमारे बीच नहीं रहे। 100 वर्ष की आयु में उनके निधन से मूर्तिकला के एक स्वर्णिम युग का अंत हो गया है।
भारत के कला और संस्कृति जगत को आज एक गहरा आघात लगा है। अपनी छेनी और हथौड़े से पत्थरों और धातुओं में जान फूंकने वाले महान शिल्पकार राम वनजी सुतार ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। यह खबर आते ही कला प्रेमियों और देशवासियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई है। राम सुतार केवल एक नाम नहीं, बल्कि भारतीय मूर्तिकला का एक ऐसा हस्ताक्षर थे, जिन्होंने देश को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने वाली कई ऐतिहासिक कृतियां रचीं।
100 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
राम वनजी सुतार ने 100 वर्ष की दीर्घायु पूरी कर अंतिम सांस ली। एक शताब्दी का उनका जीवन कला की साधना और देश की मिट्टी की सुगंध से महकता रहा। उनके जाने को कला जगत के लिए एक बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है, जिसकी भरपाई शायद ही कभी हो सके। जिस उम्र में लोग थक जाते हैं, उस उम्र तक भी उनकी पहचान और उनका काम लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहा।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के थे शिल्पकार
राम वनजी सुतार की सबसे बड़ी पहचान दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) रही है। गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की इस विशालकाय प्रतिमा का डिजाइन और निर्माण उन्हीं की देखरेख में हुआ था। यह प्रतिमा आज न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में इंजीनियरिंग और कला का बेजोड़ नमूना मानी जाती है। इसके अलावा भी उन्होंने देश भर में कई महत्वपूर्ण प्रतिमाओं का निर्माण किया, जो आज भी उनकी कलात्मकता की गवाही देती हैं।
‘जानें पूरा मामला’
यह खबर तब सुर्खियों में आई जब मीडिया में ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ के तौर पर राम वनजी सुतार के निधन की पुष्टि की गई। 100 वर्ष की आयु में उनका देहांत होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत अजर और अमर है। वे एक प्रख्यात मूर्तिकार थे और उनके निधन को कला के क्षेत्र में एक कभी न भरने वाले शून्य के रूप में देखा जा रहा है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के शिल्पकार राम वनजी सुतार का निधन हो गया है।
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उन्होंने 100 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली।
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उनके निधन को कला जगत के लिए एक बहुत बड़ा झटका बताया गया है।
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वे भारत के सबसे प्रख्यात मूर्तिकारों में से एक थे।






