G. Ram Bill 2025 Lok Sabha News : 18 दिसंबर 2025 की तारीख भारतीय संसदीय इतिहास में एक बड़े हंगामे और एक ऐतिहासिक फैसले के लिए याद की जाएगी। लोकसभा में भारी शोर-शराबे और विपक्ष द्वारा कागज फाड़कर फेंकने की घटनाओं के बीच, मोदी सरकार ने ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने वाला ‘G. Ram Bill’ पास करा लिया है। जहां एक तरफ सदन में सियासी पारा सातवें आसमान पर था, वहीं दूसरी तरफ सरकार ने गांवों को Smart City की तर्ज पर विकसित करने के लिए अब तक का सबसे बड़ा बजट दांव चल दिया है।
हंगामे के बीच ‘विकसित गांव’ का संकल्प
सदन के भीतर का नजारा बेहद तनावपूर्ण था। बिल पास होते ही विपक्ष ने जोरदार विरोध दर्ज कराया। माननीय अध्यक्ष महोदय को हस्तक्षेप करते हुए कहना पड़ा कि जनता ने सांसदों को कागज फेंकने के लिए नहीं, बल्कि चर्चा करने के लिए चुनकर भेजा है। इस अराजकता के कारण कार्यवाही को अगले दिन तक के लिए स्थगित करना पड़ा। लेकिन इस शोर के बीच सरकार ने अपना इरादा साफ कर दिया—यह सिर्फ नाम बदलने की कवायद नहीं है, बल्कि यह रोजगार और विकास की एक नई Guarantee है। सरकार का दावा है कि इस बिल के जरिए प्रधानमंत्री मोदी के ‘विकसित भारत’ के सपने की नींव रखी जा रही है, जो सीधे ‘विकसित गांव’ से होकर गुजरेगी।
कैसा होगा सपनों का ‘आदर्श गांव’?
सरकार ने सदन के पटल पर जिस ‘आदर्श गांव’ का खाका खींचा है, वह किसी Metropolitan City की सुविधाओं से कम नहीं होगा। मंत्री ने अपने संबोधन में साफ किया कि अब गांव केवल मिट्टी और कच्चे रास्तों तक सीमित नहीं रहेंगे। नए प्रावधानों के तहत, हर गांव में पक्की गलियां, साफ नालियां और जल निकासी की Modern व्यवस्था होगी। अंधेरे को दूर करने के लिए हर मोड़ पर LED या Solar लाइट्स लगाई जाएंगी। सिर्फ बुनियादी ढांचा ही नहीं, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य को भी हाईटेक किया जाएगा। गांवों में Digital Classrooms, आधुनिक लैब और कंप्यूटर सेंटर खोले जाएंगे ताकि गांव का कोई भी बच्चा किसी प्रतियोगिता में शहर के बच्चों से पीछे न रहे।
1.51 लाख करोड़ का भारी-भरकम बजट
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए सरकार ने आंकड़ों के साथ पलटवार किया। कांग्रेस के समय के बजट की तुलना करते हुए सरकार ने बताया कि पुरानी सरकारों ने मनरेगा का बजट 40,000 करोड़ से घटाकर 35,000 करोड़ कर दिया था, जिसे उन्होंने ‘हाथी के दांत’ करार दिया। वहीं, मोदी सरकार ने इस साल ग्रामीण विकास और रोजगार के लिए 1,51,282 करोड़ रुपये का विशाल Budget प्रस्तावित किया है। इसमें अकेले भारत सरकार 95,600 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सरकार ने दो टूक कहा कि उनके पास गांव के विकास और मजदूरों की मजदूरी के लिए धन की कोई कमी नहीं है, क्योंकि “मोदी है तो मुमकिन है।”
जल संरक्षण पर सबसे बड़ा फोकस
इस नए कानून और योजना में पानी को सबसे बड़ी प्राथमिकता दी गई है। देश के कई हिस्सों में गिरते Water Level को देखते हुए, सरकार ने ‘क्रिटिकल ब्लॉक्स’ (Critical Blocks) में पानी की व्यवस्था सुधारने के लिए कुल राशि का 65% हिस्सा खर्च करने का निर्णय लिया है। इसका मतलब है कि अब सिर्फ गड्ढे नहीं खोदे जाएंगे, बल्कि तालाब, सिंचाई के कुएं और Micro Irrigation Channels बनाए जाएंगे। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत व्यापक वृक्षारोपण होगा। सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है—गांव स्वावलंबी बनें, वहां रोजगार हो, गरीबी खत्म हो और हर हाथ को काम के साथ-साथ मेहनत की सही कीमत मिले।
‘जानें पूरा मामला’
यह पूरा घटनाक्रम 18 दिसंबर 2025 को लोकसभा में पेश किए गए एक नए विधेयक के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसे ‘G. Ram Bill’ कहा जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य मनरेगा जैसी पुरानी रोजगार योजनाओं को अपग्रेड करके उन्हें ‘संपूर्ण विकसित गांव’ के निर्माण से जोड़ना है। विपक्ष ने इसे लेकर सदन में भारी हंगामा किया और बिल की प्रतियां फाड़ीं, लेकिन सरकार ने बहुमत के आधार पर इसे पास करा लिया। सरकार का तर्क है कि यह योजना केवल दिहाड़ी मजदूरी तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इससे गांवों में स्थायी संपत्ति (Assets) जैसे—गोदाम, डेयरी सेंटर और Community Halls का निर्माण होगा।
मुख्य बातें (Key Points)
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लोकसभा में भारी हंगामे और विपक्ष के विरोध के बीच ‘G. Ram Bill’ पास।
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सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए 1,51,282 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया।
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गांवों में Digital Classrooms, Solar Lights और WiFi जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।
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पानी की कमी वाले क्षेत्रों में बजट का 65% हिस्सा जल संरक्षण पर खर्च होगा।






