Uttarakhand Fire Tragedy उत्तराखंड के चमोली जिले से एक बेहद डरावनी खबर सामने आई है, जहां भारत-चीन सीमा के करीब स्थित नीति घाटी अचानक भीषण आग की लपटों से घिर गई। बुधवार रात ज्योतिर्मठ क्षेत्र की नीति-मलारी घाटी के मेहरगांव में लगी इस आग ने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया और कई आवासीय घरों को अपनी चपेट में लेकर राख कर दिया।
घटना की जानकारी मिलते ही सीमा पर तैनात भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और स्थानीय पुलिस के जवान तुरंत मौके के लिए रवाना हुए। आग इतनी भीषण थी कि इसकी लपटें करीब 4 किलोमीटर दूर मलारी गांव से भी साफ देखी जा सकती थी। सीमावर्ती और दुर्गम क्षेत्र होने के कारण अग्निशमन दल को मौके पर पहुँचने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन प्रशासन और सुरक्षा बलों ने साहस दिखाते हुए स्थिति को संभाला।
मेहरगांव में मची चीख-पुकार और दहशत
जिस समय आग लगी, उस वक्त पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया। आग ने मेहरगांव के कई मकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। राहत की सबसे बड़ी बात यह रही कि इस गांव के अधिकांश निवासी इन दिनों ‘शीतकालीन प्रवास’ के लिए निचले इलाकों में गए हुए हैं। गांव के खाली होने की वजह से एक बहुत बड़ी जनहानि टल गई, वरना यह हादसा और भी भयावह हो सकता था।
दुर्गम रास्तों ने बढ़ाई बचाव दल की मुश्किलें
जोशीमठ के उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि आग की सूचना मिलते ही फायर सर्विस और पुलिस बल को सक्रिय किया गया था। चूंकि यह क्षेत्र काफी ऊंचाई पर और दुर्गम है, इसलिए राहत कार्यों में काफी कठिनाई आई। आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने पुष्टि की है कि प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए था और काफी मशक्कत के बाद अब आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया है।
नुकसान का आकलन और जांच शुरू
प्रशासन अब इस अग्निकांड में हुए नुकसान का जायजा ले रहा है। मेहरगांव के कितने घर पूरी तरह जले हैं और कितनी संपत्ति का नुकसान हुआ है, इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। हालांकि, सबसे बड़ा सवाल अभी भी बरकरार है कि इतनी भीषण आग लगी कैसे? फिलहाल आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है और अधिकारी मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं।
वरिष्ठ संपादक का विश्लेषण
उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों में शीतकालीन प्रवास के दौरान घरों का खाली रहना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था एक बड़ी चुनौती बनकर उभरती है। मेहरगांव की यह घटना दर्शाती है कि दुर्गम इलाकों में ‘फायर रिस्पांस टाइम’ को और बेहतर करने की जरूरत है। अगर ग्रामीण वहां मौजूद होते, तो स्थिति और भी चिंताजनक हो सकती थी। प्रशासन को अब सीमावर्ती क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों पर ध्यान देना चाहिए।
जानें पूरा मामला
यह घटना चमोली जिले के नीति-मलारी घाटी की है, जो रणनीतिक रूप से भारत-चीन सीमा के बेहद करीब है। सर्दियों में बर्फबारी और अत्यधिक ठंड के कारण यहां के ग्रामीण निचले क्षेत्रों में प्रवास करते हैं। बुधवार रात लगी आग ने मेहरगांव के निर्जन घरों को निशाना बनाया, जिससे भारी संपत्ति का नुकसान हुआ है।
मुख्य बातें (Key Points)
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चमोली की नीति-मलारी घाटी के मेहरगांव में लगी भीषण आग।
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आग के कारण कई आवासीय घर जलकर पूरी तरह खाक हो गए।
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शीतकालीन प्रवास के कारण गांव खाली था, जिससे जनहानि टल गई।
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आईटीबीपी, पुलिस और फायर ब्रिगेड ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।






