Delhi Air Pollution दिल्ली-एनसीआर में गहराते वायु प्रदूषण के संकट ने अब देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद की दहलीज पर दस्तक दे दी है। राजधानी में सांस लेना दूभर होने के बीच, अब संसद के शीतकालीन सत्र में नियम 193 के तहत इस गंभीर मुद्दे पर ‘महा बहस’ छिड़ने वाली है। एक ओर जहां विपक्ष सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है, वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए कई कड़े और निर्णायक निर्देश जारी किए हैं।
संसद के भीतर वायु प्रदूषण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस होने के आसार हैं। सदन में प्रदूषण की रोकथाम और दीर्घकालिक उपायों पर चर्चा की जाएगी। इस बहस में विपक्षी दल सरकार से दिल्ली की जनता को इस ‘गैस चैंबर’ से बाहर निकालने के लिए किए गए ठोस प्रयासों का हिसाब मांगेंगे। राजधानी में छाई धुंध और जहरीले स्मॉग ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है, जिससे अब यह मामला राजनीतिक गलियारों में पूरी तरह गरमा चुका है।
सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश और स्कूल बंदी
प्रदूषण की मार सबसे ज्यादा बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं कि नर्सरी से लेकर कक्षा पांचवीं तक के छात्रों के लिए स्कूल पूरी तरह बंद रखे जाएं। अदालत ने स्पष्ट किया है कि सर्दियों की छुट्टियों के मद्देनजर इन निर्देशों में किसी भी तरह के बदलाव की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने बच्चों के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए प्रशासन को इन आदेशों का कड़ाई से पालन करने को कहा है।
टोल प्लाजा और यातायात पर बड़ा फैसला
दिल्ली की सीमाओं पर लगने वाले भारी ट्रैफिक जाम और उससे निकलने वाले धुएं को कम करने के लिए भी कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) को निर्देश दिया है कि वह दिल्ली की सीमाओं पर स्थित नौ टोल प्लाजा को अस्थायी रूप से बंद करने या उन्हें स्थानांतरित करने पर विचार करे। अक्सर टोल पर वाहनों के खड़े रहने से उत्सर्जन बढ़ता है, जिससे प्रदूषण में इजाफा होता है। इस संबंध में एमसीडी को एक हफ्ते के भीतर अंतिम फैसला लेने का समय दिया गया है।
मजदूरों और कर्मचारियों के लिए राहत
प्रदूषण के कारण निर्माण कार्यों पर लगी पाबंदियों से प्रभावित हुए मजदूरों के लिए भी राहत की खबर है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि वह पंजीकृत निर्माण श्रमिकों का सत्यापन करे और उनके खातों में सीधे धन हस्तांतरित (Direct Benefit Transfer) करे। इसके साथ ही, वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने पर भी विचार करने को कहा गया है। वहीं, प्रदूषण को कम करने के लिए कॉरपोरेट सेक्टर में 50% ‘वर्क फ्रॉम होम’ (Work From Home) को लागू करने पर भी गंभीरता से काम किया जा रहा है ताकि सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कम हो सके।
व्यापार पर प्रदूषण की चौतरफा मार
जहरीली हवा का असर केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिल्ली के व्यापार की कमर भी तोड़ रहा है। चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के अनुसार, प्रदूषण और यातायात पाबंदियों के कारण बाजारों में ग्राहकों की संख्या में 80% तक की भारी गिरावट आई है। पहले जहां रोजाना 7-8 लाख लोग एनसीआर से खरीदारी के लिए आते थे, अब वह संख्या घटकर महज डेढ़ लाख रह गई है। व्यापारियों ने इस मुद्दे पर आपातकालीन बैठक बुलाने और हस्तक्षेप करने की मांग की है।
विश्लेषण
दिल्ली का वायु प्रदूषण अब केवल एक मौसमी समस्या नहीं, बल्कि एक वार्षिक प्रशासनिक विफलता बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और संसद में बहस इस बात का प्रमाण है कि हालात काबू से बाहर हो चुके हैं। केवल ‘ग्रेप-4’ लागू करना या स्कूलों को बंद करना कोई स्थायी समाधान नहीं है। जब तक पराली जलाने, शहरी परिवहन और धूल नियंत्रण के लिए कोई दीर्घकालिक (Long-term) नीति नहीं बनेगी, तब तक दिल्ली की जनता हर साल इसी तरह ‘मौत की हवा’ में सांस लेने को मजबूर रहेगी।
जानें पूरा मामला
दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार ‘खतरनाक’ श्रेणी में बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को अपने पुराने उपायों पर पुनर्विचार करने और किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहन राशि देने जैसे मुद्दों पर काम करने को कहा है। सरकार अब प्रदूषण को रोकने के लिए ‘ऑड-इवन’ और अन्य कड़े नियमों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की तैयारी में है।
मुख्य बातें (Key Points)
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संसद में नियम 193 के तहत वायु प्रदूषण पर ‘महा बहस’ होगी।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कक्षा 5वीं तक के स्कूल बंद रहेंगे।
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प्रदूषण को कम करने के लिए नौ टोल प्लाजा को अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है।
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निर्माण कार्यों पर रोक से प्रभावित मजदूरों के खातों में सरकार पैसा भेजेगी।
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प्रदूषण के कारण दिल्ली के बाजारों में ग्राहकों की संख्या 80% तक घट गई है।






