Indian Rupee Crash: 17 दिसंबर 2025 को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 91.38 के स्तर पर पहुंच गया। यह गिरावट इतनी तेज है कि दिसंबर की शुरुआत से अब तक रुपया 2.6% टूट चुका है। पूरे साल 2025 में रुपये की वैल्यू 6.5% गिर चुकी है, जिससे यह दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी में शामिल हो गई है।
पिछले कुछ दिनों में क्या हुआ?
अगर आप पिछले कुछ दिनों का ट्रेंड देखें तो तस्वीर बिल्कुल साफ हो जाती है। 3 दिसंबर को रुपये ने पहली बार 90 का आंकड़ा पार किया था और उसके बाद से गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है।
यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, इसका असर आम आदमी की जेब पर सीधा पड़ता है। जब रुपया कमजोर होता है तो पेट्रोल-डीजल महंगा होता है, इंपोर्टेड सामान की कीमतें बढ़ती हैं और विदेश जाने का खर्च भी आसमान छूने लगता है।
रुपये की गिरावट के पीछे क्या हैं असली वजहें?
पहला कारण – ट्रेड डील का अधर में लटकना: सबसे बड़ी वजह है अमेरिका-भारत ट्रेड डील का रुक जाना। ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ लगाया हुआ है लेकिन कोई फाइनल डील नहीं हो पा रही। बहुत दिनों से बातचीत चल रही है, सब कह रहे हैं जल्द होगी, लेकिन कब होगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इस अनिश्चितता ने निवेशकों को डरा दिया है।
दूसरा कारण – विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली: साल 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारत से ₹16 लाख करोड़ बाहर निकाल लिए हैं। इतने बड़े पैमाने पर पैसा निकलना आम बात नहीं है। इसका मतलब साफ है कि निवेशक रुपया छोड़कर डॉलर की तरफ भाग रहे हैं।
ग्लोबल टेंशन ने बढ़ाई डॉलर की ताकत
तीसरा कारण – दुनिया भर में अशांति: यूक्रेन में युद्ध चल रहा है, मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ा हुआ है। इन सबके बीच निवेशकों को सबसे सुरक्षित जगह डॉलर लगती है। जब दुनिया में अनिश्चितता बढ़ती है, तो लोग अपना पैसा अमेरिकी करेंसी में लगाना पसंद करते हैं।
चौथा कारण – बिजनेस करने वालों का डर: जब रुपया 90 का लेवल पार कर गया, तो इंपोर्टर्स में पैनिक फैल गया। उन्हें लगा कि कल और गिर सकता है, तो आज ही डॉलर खरीद लेते हैं। यही पैनिक बाइंग रुपये को और नीचे धकेल रही है।
रूस के साथ रुपये में व्यापार: क्या है सरकार का प्लान?
इस संकट से निपटने के लिए सरकार एक बड़ा कदम उठा रही है जिसे रुपये का इंटरनेशनलाइजेशन कहते हैं। इसका मतलब है कि भारत चाहता है कि दुनिया भर में व्यापार सिर्फ डॉलर में नहीं बल्कि रुपये में भी हो।
पिछले 3 सालों से भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है और इस तेल का पेमेंट भारत ने रुपये में किया है। रूस ने उस रुपये को अपने वॉस्ट्रो अकाउंट्स में जमा कर रखा है। इसका मतलब है कि रूस के पास इस वक्त लाखों करोड़ रुपये जमा हैं।
अब रूस पर अमेरिका ने कड़े सैंक्शन लगाए हुए हैं। ऐसे में रूस उन देशों के साथ व्यापार बढ़ाना चाहता है जहां बिना डॉलर के काम चल सके और भारत इसमें सबसे आगे है।
$100 बिलियन का टारगेट: पुतिन की भारत यात्रा का मकसद
साल 2025 में रूस ने भारत को $63.8 बिलियन का सामान एक्सपोर्ट किया जो लगभग ₹57 लाख करोड़ के बराबर है। वहीं भारत ने रूस को सिर्फ $4.9 बिलियन यानी करीब ₹4 लाख करोड़ का सामान भेजा। यह अंतर बहुत बड़ा है और दोनों देश इसे बदलना चाहते हैं।
हाल ही में राष्ट्रपति पुतिन भारत दौरे पर आए थे और उनके साथ रूस से अब तक का सबसे बड़ा बिजनेस डेलीगेशन आया था। दोनों देश अपना कुल व्यापार $100 बिलियन से ज्यादा करना चाहते हैं।
रूस खासतौर पर भारत से फूड, एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल और फुटवेयर इंपोर्ट करना चाहता है। अगर ऐसा होता है तो रुपये की डिमांड बढ़ेगी और इसकी साख भी मजबूत होगी।
Ola Electric की दूसरी बड़ी खबर: भाविश अग्रवाल ने बेचे शेयर
16 दिसंबर 2025 को Ola Electric के फाउंडर भाविश अग्रवाल ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी का एक बड़ा हिस्सा बेच दिया। उन्होंने 2.6 करोड़ शेयर बेचे और इनकी कीमत थी ₹34.99 प्रति शेयर।
यहां सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि एक साल पहले जब Ola Electric के शेयर IPO में आए थे, तब कंपनी ने इश्यू प्राइस रखा था ₹76। मतलब कंपनी के फाउंडर को अपने ही शेयर IPO प्राइस से भी आधी कीमत पर बेचने पड़े। इस बिक्री से भाविश अग्रवाल को कुल ₹92 करोड़ मिले।
शेयर क्यों बेचने पड़े? समझिए पूरा खेल
भाविश अग्रवाल ने शेयर इसलिए बेचे क्योंकि उन्हें प्रमोटर लोन चुकाना था। उन्होंने अपने शेयर गिरवी रखकर कर्ज लिया था जिसे शेयर्स प्लेज करना कहते हैं।
इसमें दिक्कत यह होती है कि अगर शेयर की कीमत गिर जाए तो बैंक कह सकता है कि हम तुम्हारे शेयर बेचकर अपना पैसा वसूल लेंगे। Ola के शेयर काफी गिर चुके थे इसलिए भाविश अग्रवाल ने खुद शेयर बेचकर अपना कर्ज चुका दिया।
मिंट अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने यह कर्ज अपने AI स्टार्टअप कृत्रिम को फंड करने के लिए लिया था।
Ola Electric की बिक्री में भारी गिरावट: 71% का झटका
Ola Electric की सेल्स में भयानक गिरावट आई है। नवंबर 2025 में कंपनी ने सिर्फ 8,254 इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचे जबकि नवंबर 2024 में यही आंकड़ा था 29,322 यूनिट्स। मतलब साल भर में 71% की गिरावट आ गई जो बहुत बड़ा परसेंटेज है।
मार्च 2024 में Ola ने अपनी सबसे ज्यादा बिक्री दर्ज की थी – 53,647 यूनिट्स। देश की सबसे बड़ी EV कंपनी सिर्फ 20 महीनों में पहले नंबर से पांचवें नंबर पर पहुंच गई। बिक्री गिरने की मुख्य वजह है क्वालिटी से जुड़ी शिकायतें जो लगातार सामने आती रही हैं।
कंपनी का नया स्ट्रक्चर: अब कौन कितने पर्सेंट का मालिक?
BSE के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2025 तक भाविश अग्रवाल के पास कंपनी के 30.02% शेयर्स थे यानी करीब 132 करोड़ से ज्यादा शेयर।
शेयर बिक्री के बाद अब कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 34% से ज्यादा होगी। Ola Electric में लगभग 58.35% हिस्सेदारी अब आम जनता यानी पब्लिक की है और बाकी हिस्सा अन्य निवेशकों के पास है।
आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?
रुपये की गिरावट का सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा। इंपोर्टेड सामान महंगा होगा, पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं और विदेश पढ़ाई या घूमने जाने वालों का खर्च काफी बढ़ जाएगा।
वहीं Ola Electric की हालत देखकर EV खरीदने वाले सोच में पड़ सकते हैं कि क्या इस कंपनी पर भरोसा करना सही रहेगा या नहीं।
‘क्या है पूरी पृष्ठभूमि’
भारतीय रुपया पिछले कुछ सालों से डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है। वैश्विक अनिश्चितता, विदेशी निवेशकों की निकासी और अमेरिका के साथ ट्रेड डील में देरी ने इस गिरावट को और तेज कर दिया है। सरकार रुपये को इंटरनेशनल बनाने की कोशिश कर रही है जिसमें रूस के साथ रुपये में व्यापार एक बड़ा कदम है। वहीं Ola Electric जो कभी भारत की सबसे बड़ी EV कंपनी थी, क्वालिटी की शिकायतों के चलते बुरी तरह पिछड़ गई है। कंपनी के फाउंडर को अपने शेयर आधी कीमत पर बेचने पड़े जो कंपनी की मौजूदा हालत बयान करता है।
मुख्य बातें (Key Points)
- रुपये की रिकॉर्ड गिरावट: 17 दिसंबर 2025 को रुपया 91.38 पर पहुंचा, साल 2025 में 6.5% की गिरावट दर्ज
- विदेशी निवेशकों की निकासी: 2025 में अब तक ₹16 लाख करोड़ भारत से बाहर गए
- Ola के शेयर आधी कीमत पर बिके: भाविश अग्रवाल ने ₹34.99 प्रति शेयर पर 2.6 करोड़ शेयर बेचे, जबकि IPO प्राइस ₹76 था
- Ola की बिक्री धड़ाम: नवंबर में 71% गिरावट, कंपनी पहले नंबर से पांचवें पर पहुंची
- भारत-रूस व्यापार: $100 बिलियन का लक्ष्य, रुपये में ट्रेड से करेंसी मजबूत होने की उम्मीद






