Priyanka Gandhi Prashant Kishor Meeting: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद देश की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दिल्ली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की है। खबरों के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच यह बैठक करीब 2 घंटे तक चली। इस मुलाकात ने सियासी गलियारों में नई चर्चाओं और कयासों का बाजार गर्म कर दिया है।
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब बिहार में प्रशांत किशोर की पार्टी और कांग्रेस, दोनों को ही करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच कोई नया समझौता होने वाला है?
‘2 घंटे की बैठक और सियासी तूफान’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रशांत किशोर और प्रियंका गांधी की यह मुलाकात दिल्ली में हुई। हालांकि, अभी तक न तो कांग्रेस और न ही प्रशांत किशोर की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान आया है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई है।
राजनीतिक विश्लेषक इस मुलाकात को सामान्य नहीं मान रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रशांत किशोर जल्द ही कांग्रेस के साथ कोई बड़ा समझौता कर सकते हैं। यह अटकलें इसलिए भी अहम हैं क्योंकि प्रशांत किशोर का कांग्रेस के साथ पुराना और खट्टा-मीठा रिश्ता रहा है।
‘प्रियंका ने सवाल पर क्या कहा?’
संसद परिसर में जब पत्रकारों ने प्रियंका गांधी से इस मुलाकात के बारे में सवाल पूछा, तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज नहीं किया, लेकिन सीधा जवाब देने से भी बचती नजर आईं। प्रियंका ने कहा, “यह कोई न्यूज़ है? देश में इतनी समस्याएं हैं। हम वायु प्रदूषण पर चर्चा की मांग कर रहे हैं और आप इस तरह के सवाल पूछ रहे हैं?”
प्रियंका ने आगे कहा कि मीडिया को संसद की कार्यवाही में बाधा डालने वाले मंत्रियों से सवाल पूछने चाहिए। जानकारों का मानना है कि अगर यह मुलाकात नहीं हुई होती, तो प्रियंका इसे साफ तौर पर नकार सकती थीं, लेकिन उनका गोलमोल जवाब देना इस बात का संकेत है कि ‘दाल में कुछ काला जरूर है’।
‘बिहार हार के बाद बदले समीकरण’
इस मुलाकात का सबसे बड़ा कारण बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे माने जा रहे हैं। प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज पार्टी’ का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। पार्टी ने 238 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी। इतना ही नहीं, 236 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई।
दूसरी तरफ, कांग्रेस का प्रदर्शन भी काफी कमजोर रहा। पार्टी 61 सीटों पर लड़ी और सिर्फ 6 पर सिमट कर रह गई। दोनों ही पक्षों को मिली इस करारी हार ने शायद उन्हें एक-दूसरे के करीब आने पर मजबूर कर दिया है। हालांकि, जन सुराज की टीम ने इसे महज अफवाह बताया है, लेकिन राजनीतिक पंडित इसे भविष्य की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।
‘पुराना रिश्ता और तल्खियां’
प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के रिश्ते नए नहीं हैं। 2021 में जेडीयू से अलग होने के बाद, किशोर ने कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का एक ब्लूप्रिंट पेश किया था। अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी के आवास पर राहुल और प्रियंका की मौजूदगी में कई बैठकें हुई थीं।
उस वक्त पीके के कांग्रेस में शामिल होने की पूरी तैयारी थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप’ का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया, जिसे पीके ने ठुकरा दिया। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को स्ट्रक्चरल रिफॉर्म (ढांचागत सुधार) की जरूरत है। इसके बाद दोनों की राहें जुदा हो गई थीं और पीके कांग्रेस के मुखर आलोचक बन गए थे। बिहार चुनाव के दौरान भी उन्होंने कांग्रेस पर तीखे हमले किए थे।
‘जानें पूरा मामला’
तीन साल पहले जब बात बिगड़ी थी, तब से प्रशांत किशोर लगातार कांग्रेस को निशाने पर लेते रहे हैं। बिहार चुनाव में उन्होंने एनडीए और महागठबंधन दोनों के खिलाफ मोर्चा खोला था। उन्होंने कांग्रेस के ‘वोट चोरी’ और ‘एसआईआर’ जैसे मुद्दों को खारिज करते हुए कहा था कि यह बिहार में कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। अब हार के बाद अचानक प्रियंका गांधी से उनकी मुलाकात यह इशारा करती है कि राजनीति में कोई भी स्थाई दुश्मन या दोस्त नहीं होता।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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प्रशांत किशोर और प्रियंका गांधी के बीच दिल्ली में 2 घंटे लंबी बैठक हुई।
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प्रियंका गांधी ने मुलाकात की खबर पर सीधा जवाब देने के बजाय सवाल टाल दिया।
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बिहार चुनाव में जन सुराज के 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने के बाद यह बैठक हुई।
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2022 में कांग्रेस में शामिल होने की बात बिगड़ने के बाद पीके पार्टी के आलोचक बन गए थे।
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राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस और पीके के बीच नए समझौते की अटकलें तेज हो गई हैं।






