Teen Vaping Risks: दुनिया भर में ई-सिगरेट (E-Cigarette) और वेपिंग (Vaping) का क्रेज एक खतरनाक महामारी की तरह फैलता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया रिपोर्ट ने एक डराने वाला सच उजागर किया है। दुनिया भर में 13 से 15 साल की उम्र के करीब 1.5 करोड़ बच्चे ई-सिगरेट की लत का शिकार हो चुके हैं, जबकि कुल मिलाकर 10 करोड़ से ज्यादा लोग वेपिंग कर रहे हैं।
भारत में हालांकि साल 2019 से ही ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। यह नशा अब चुपके-चुपके हमारे घरों के किशोरों और युवाओं तक पहुंच रहा है, जो इसे ‘कूल’ और ‘सुरक्षित’ मानकर इस्तेमाल कर रहे हैं।
क्या है ई-सिगरेट और क्यों है खतरनाक?
ई-सिगरेट एक बैटरी से चलने वाला इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। इसमें एक पॉड या कार्ट्रिज लगा होता है, जिसमें निकोटीन, अलग-अलग फ्लेवर और कई तरह के केमिकल्स का लिक्विड भरा होता है। जब कोई इसका कश लेता है, तो हीटर लिक्विड को गर्म करके धुएं जैसी भाप बनाता है, जिसे फेफड़ों में खींचा जाता है।
दिखने में यह पेन या यूएसबी ड्राइव जैसा हो सकता है, लेकिन अंदर से यह शरीर को उतना ही नुकसान पहुंचाता है जितना कि एक सामान्य सिगरेट। कई लोगों को गलतफहमी है कि इसमें सिर्फ निकोटीन होता है और यह सुरक्षित है।
भाप में छिपा ‘जहरीला कॉकटेल’
डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के मुताबिक, ई-सिगरेट की भाप में सिर्फ पानी या खुशबू नहीं होती। इसमें लेड (सीसा), टिन और निकल जैसी भारी धातुएं पाई जाती हैं। इसके अलावा, इसमें बेंजीन और फॉर्मेल्डिहाइड जैसे जहरीले केमिकल्स और अल्ट्राफाइन कण भी होते हैं।
ये सभी तत्व मिलकर दिमाग, दिल, फेफड़े और किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। यहां तक कि यह आपके डीएनए (DNA) को भी डैमेज कर सकता है, जिससे आगे चलकर कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। WHO ने साफ चेतावनी दी है कि ये केमिकल्स किशोरों के विकसित हो रहे दिमाग पर परमानेंट असर डाल सकते हैं।
भारत में बैन, फिर भी कैसे मिल रहा?
भारत में ई-सिगरेट कानूनन अपराध है। 2019 के कानून के तहत, पहली बार पकड़े जाने पर 1 साल की जेल या 1 लाख रुपये का जुर्माना और दूसरी बार में 3 साल की जेल या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
बावजूद इसके, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम, टेलीग्राम आदि) और पान की दुकानों पर चोरी-छिपे इसकी बिक्री जारी है। फ्रूट और मिंट जैसे आकर्षक फ्लेवर्स और चमकदार पैकेजिंग टीनएजर्स को अपनी ओर खींचती है, जो धीरे-धीरे निकोटीन की एक खतरनाक लत बन जाती है।
रिसर्च के चौंकाने वाले आंकड़े
2022 की एक रिसर्च में पाया गया कि भारत में 18 से 30 साल के करीब 23% युवाओं ने कम से कम एक बार वेपिंग की है, और 8% लोग इसके आदी हो चुके हैं। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगर इसके हॉटस्पॉट बन चुके हैं।
शरीर पर इसका असर
अगर कोई युवा एक साल तक लगातार ई-सिगरेट पीता है, तो उसके शरीर में गंभीर बदलाव दिखने लगते हैं। दांत और त्वचा पीली पड़ने लगती है, थकान और तनाव बढ़ जाता है, फेफड़ों की क्षमता घट जाती है और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या शुरू हो जाती है। यह मानसिक सेहत को भी बिगाड़ता है, जिससे चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स होते हैं।
लत कैसे छोड़ें?
डॉक्टरों का कहना है कि ई-सिगरेट छोड़ना मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं। इसके लिए मजबूत इच्छाशक्ति जरूरी है।
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योग और गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज करें।
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वेपिंग करने वाले दोस्तों और जगहों से दूरी बनाएं।
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क्रेविंग होने पर पानी पिएं या हेल्दी स्नैक्स खाएं।
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जरूरत पड़ने पर निकोटीन पैच या गम का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर करें।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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बड़ा खतरा: WHO के मुताबिक 1.5 करोड़ बच्चे ई-सिगरेट का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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जहरीले तत्व: वेपिंग की भाप में लेड, निकल और कैंसर फैलाने वाले केमिकल्स होते हैं।
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कानूनी सजा: भारत में ई-सिगरेट रखने या बेचने पर जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है।
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मानसिक असर: यह याददाश्त कमजोर करता है और दिमाग के विकास को रोकता है।
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भ्रम: ई-सिगरेट सिगरेट से सुरक्षित नहीं है, बल्कि यह निकोटीन की लत को और गहरा करती है।






