MGNREGA Name Change: संसद के शीतकालीन सत्र में राजनीतिक पारा तब अचानक सातवें आसमान पर पहुंच गया, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने अपनी ही पार्टी की लाइन से अलग हटकर मोदी सरकार के एक बड़े फैसले का खुला समर्थन कर दिया। जहां पूरी कांग्रेस पार्टी मनरेगा का नाम बदलने के विरोध में सड़क से लेकर संसद तक लड़ाई लड़ रही है, वहीं थरूर के इस कदम ने विपक्ष की एकजुटता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की जगह एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। सरकार द्वारा लाए जा रहे इस नए बिल का नाम ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) 2025’ होगा।
आम बोलचाल में इसे ‘VB-G RAM G’ (वीबी-जी राम जी) के नाम से जाना जाएगा। इस बिल को पेश करने से पहले बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को 15 से 19 दिसंबर तक लोकसभा में मौजूद रहने के लिए व्हिप भी जारी किया है।
शशि थरूर ने किया सरकार का समर्थन
कांग्रेस पार्टी इस बदलाव को महात्मा गांधी का अपमान बता रही है, लेकिन तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर का विचार बिल्कुल अलग है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए सरकार के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।
थरूर ने लिखा कि मनरेगा के नाम बदलने और नए ‘जी राम जी’ विधेयक पर विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने तर्क दिया कि ‘ग्राम स्वराज’ का विचार और ‘राम राज्य’ का आदर्श कभी भी एक-दूसरे के विरोधी नहीं थे। ये दोनों ही गांधी जी की चेतना के दोहरे स्तंभ थे। थरूर ने कहा कि उनकी (गांधी जी की) अंतिम सांस ‘राम’ की साक्षी थी, इसलिए जहां कोई विभाजन नहीं था, वहां विभाजन पैदा करके हमें उनकी विरासत का अपमान नहीं करना चाहिए।
कांग्रेस नेतृत्व ने बताया गांधी का अपमान
जहां थरूर सरकार के सुर में सुर मिला रहे हैं, वहीं कांग्रेस नेतृत्व इस मुद्दे पर बेहद आक्रामक है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि नए कानून से महात्मा गांधी का नाम हटाना उनका अनादर है।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे ‘मनरेगा को खत्म करने की साजिश’ करार दिया है। खड़गे ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह केवल नाम बदलने की बात नहीं है, बल्कि भाजपा और आरएसएस की मनरेगा को खत्म करने की योजना है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मोदी जी विदेशी धरती पर बापू को फूल चढ़ाते हैं, लेकिन असल में उनका प्रेम सिर्फ दिखावटी है।
पार्टी से अलग-थलग पड़े थरूर?
शशि थरूर का यह रुख कांग्रेस के लिए नई मुसीबत बन गया है। हाल ही में राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई सांसदों की रणनीतिक बैठक में भी शशि थरूर शामिल नहीं हुए। यह तीसरा मौका था जब थरूर पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक से नदारद रहे।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में चंडीगढ़ से सांसद मनीष तिवारी भी नहीं पहुंचे थे, जिससे अटकलें और तेज हो गई हैं कि पार्टी के अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इससे पहले भी, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के डिनर में कांग्रेस को नहीं बुलाया गया था, तब शशि थरूर को इनवाइट किया गया था, जिस पर काफी बवाल हुआ था।
जानें पूरा मामला
सरकार मनरेगा को निरस्त कर एक नया व्यापक कानून लाना चाहती है, जिसका फोकस ‘विकसित भारत’ पर है। विधेयक की प्रतियां लोकसभा सदस्यों को बांटी जा चुकी हैं। नए नाम में ‘राम’ शब्द के जुड़ाव और महात्मा गांधी का नाम हटने को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह इस “गरीब और मजदूर विरोधी” निर्णय का संसद और सड़क पर पुरजोर विरोध करेगी, लेकिन उनके अपने ही सांसद का समर्थन खोना उनके लिए बड़ा झटका है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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केंद्र सरकार मनरेगा का नाम बदलकर ‘VB-G RAM G’ (विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन) करने जा रही है।
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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया है और इसे गांधी जी के आदर्शों के अनुरूप बताया है।
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प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे महात्मा गांधी का अपमान और योजना खत्म करने की साजिश बताया है।
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शशि थरूर लगातार तीसरी बार कांग्रेस सांसदों की बैठक में शामिल नहीं हुए, जिससे उनके बीजेपी के करीब जाने की अटकलें तेज हैं।
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बीजेपी ने बिल पास कराने के लिए 15 से 19 दिसंबर तक अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है।






