Prashant Kishor Congress Meeting : सियासी गलियारों में एक बार फिर बड़ी हलचल है। चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के बीच एक अहम मुलाकात की खबर सामने आई है। बिहार विधानसभा उपचुनाव के नतीजों के ठीक एक महीने बाद हुई इस मीटिंग ने नए राजनीतिक समीकरणों को हवा दे दी है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुलाकात में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के सामने अपनी पार्टी का विलय करने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन इसके बदले उन्होंने एक बड़ी शर्त भी जोड़ दी है।
‘पार्टी ले लो, पद दे दो’
14 नवंबर को आए बिहार चुनाव के नतीजों में प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। इसके ठीक बाद 15 दिसंबर को यह खबर आई कि पीके ने प्रियंका गांधी से मुलाकात की है। पॉलिटिक्स के कंसल्टिंग एडिटर आदेश रावल के मुताबिक, इस बैठक में प्रशांत किशोर ने एक बड़ा दांव चला है। उन्होंने प्रियंका गांधी से कहा कि वे अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने को तैयार हैं। लेकिन, इसके एवज में उन्होंने बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के पद की मांग कर दी है।
प्रियंका गांधी का जवाब
प्रशांत किशोर के इस अचानक आए प्रस्ताव पर प्रियंका गांधी ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई। खबर है कि उन्होंने पीके से साफ शब्दों में कहा कि वह तत्काल ऐसा कोई वादा नहीं कर सकतीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बारे में पार्टी की शीर्ष लीडरशिप (High Command) से चर्चा करने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा या आगे की बात होगी। यानी फिलहाल गेंद कांग्रेस आलाकमान के पाले में है।
2022 में क्यों बिगड़ी थी बात?
यह पहली बार नहीं है जब प्रशांत किशोर और कांग्रेस करीब आए हों। इससे पहले साल 2022 में भी 10 जनपथ पर बैठकों का दौर चला था। उस वक्त सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष थीं। प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मौजूदगी में इलेक्शन स्ट्रैटेजी का एक पूरा प्रेजेंटेशन दिया था। कांग्रेस ने उनकी सलाह पर ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024’ का गठन भी किया और उन्हें पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया। लेकिन तब प्रशांत किशोर ने यह ऑफर ठुकरा दिया था।
क्या थी पीके की नाराजगी?
उस समय कांग्रेस का ऑफर ठुकराने के बाद प्रशांत किशोर ने कहा था कि पार्टी को मेरी सलाह से ज्यादा एक ‘मजबूत नेतृत्व’ की जरूरत है जो इसकी जड़ों में समाई समस्याओं को ठीक कर सके। बाद में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने साफ किया था कि उनका मकसद सिर्फ एक या दो चुनाव जितवाना नहीं था, बल्कि कांग्रेस को देश में फिर से एक मजबूत पार्टी बनाना था। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या 2022 की कड़वाहट भूलकर कांग्रेस नेतृत्व पीके के इस नए ‘विलय प्लान’ को स्वीकार करता है या नहीं।
जानें पूरा मामला (Background)
प्रशांत किशोर काफी समय से बिहार में ‘जन सुराज’ अभियान चला रहे हैं और हाल ही में उन्होंने इसे राजनीतिक पार्टी का रूप दिया था। हालांकि, पहले ही चुनावी इम्तिहान (उपचुनाव) में उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। जानकारों का मानना है कि इसी हार के बाद पीके अब राष्ट्रीय राजनीति में वापसी और कांग्रेस के सहारे अपनी जमीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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प्रशांत किशोर ने प्रियंका गांधी से मुलाकात कर पार्टी विलय का प्रस्ताव दिया।
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विलय के बदले पीके ने बिहार कांग्रेस अध्यक्ष पद की मांग की है।
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प्रियंका गांधी ने कहा- फैसला लीडरशिप से बात करने के बाद ही होगा।
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2022 में भी पीके ने कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर ठुकरा दिया था।






